कुलभूषण जाधव को सुप्रीम कोर्ट में अपील का हक नहीं, पाकिस्तान सरकार का पक्ष

पाक रक्षा मंत्रालय के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2019 में जाधव को काउंसलर एक्सेस देने का आदेश आईसीजे ने दिया। लेकिन उच्चतर न्यायालय में अपील का अधिकार नहीं था।;

Update: 2025-04-20 09:43 GMT
जून 2019 में अपने फैसले में, ICJ ने कहा था कि जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस मिलना चाहिए और पाकिस्तान से दोषसिद्धि और मौत की सज़ा पर पुनर्विचार करने को कहा था। फ़ाइल फ़ोटो

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव, जिन्हें जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में कैद किया गया है, को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के 2019 के फैसले के बाद राजनयिक पहुंच तो प्रदान की गई, लेकिन उन्हें उच्च न्यायालय में अपील का अधिकार नहीं दिया गया। इसकी जानकारी पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने बुधवार (16 अप्रैल) को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में दी, जैसा कि द डॉन की रिपोर्ट में कहा गया।

यह बयान 9 मई 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भड़के दंगों में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी नागरिकों के मुकदमे की सुनवाई के दौरान दिया गया। कोर्ट ने यह सवाल उठाया था कि जब भारतीय नागरिक जाधव को अपील का अधिकार दिया गया, तो पाकिस्तानी नागरिकों को क्यों नहीं?

विशेष कानून लाकर दी गई खास छूट 

सुनवाई के दौरान ख्वाजा हारिस ने बताया कि हेग स्थित ICJ में यह दावा किया गया था कि पाकिस्तान 1963 की वियना संधि के अनुच्छेद 36 का उल्लंघन कर रहा है, क्योंकि उसने विदेशी नागरिकों को राजनयिक पहुंच नहीं दी थी। इसके बाद पाकिस्तान ने 'अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (पुनरावलोकन और पुनर्विचार) अधिनियम, 2021' बनाया, जिससे विदेशी नागरिकों के मामलों में सैन्य अदालतों के आदेशों की समीक्षा और पुनर्विचार संभव हो सके।ख्वाजा ने कहा,"इस कानून ने जाधव जैसे 'भारतीय जासूस' को राजनयिक पहुंच देने की खिड़की खोली। यह एक 'विशिष्ट अधिकार क्षेत्र' का मामला था।"

कौन हैं कुलभूषण जाधव?

मार्च 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किए गए कुलभूषण जाधव को 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव ने खुद को भारतीय जासूस बताया है और उसने पाकिस्तान में जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों में हिस्सा लिया था।वहीं भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि जाधव भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जिन्हें ईरान के चाबहार बंदरगाह से अगवा किया गया था, जहां वे व्यापारिक उद्देश्यों से गए थे।

ICJ का फैसला और भारत की प्रतिक्रिया

जून 2019 में ICJ ने फैसला सुनाया कि जाधव को राजनयिक पहुंच मिलनी चाहिए और पाकिस्तान को उनकी सजा और दोषसिद्धि की समीक्षा करनी चाहिए। ICJ ने कहा था कि:"पाकिस्तान ने भारत को जाधव से संपर्क करने, उनसे मिलने, और उनके लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करने से वंचित किया, जिससे वियना संधि के तहत पाकिस्तान ने अपने कर्तव्यों का उल्लंघन किया।"जुलाई 2020 में भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि उसने ICJ के फैसले को "शब्द और भावना दोनों में लागू नहीं किया"।

कुलभूषण जाधव का मामला भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव का एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। ICJ के निर्देशों के बावजूद अपील का अधिकार न देना एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की प्रतिबद्धताओं पर सवाल खड़ा कर रहा है। वहीं, पाकिस्तान की अदालतों में अपने ही नागरिकों को कम अधिकार देना उस पर दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप भी मजबूत कर रहा है।

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