भारत-चीन के बीच फूट डालना चाहता है पश्चिम, रूसी विदेश मंत्री लावरोव का बड़ा आरोप

Western Countries Strategy: भारत और चीन के बीच पहले से चल रहे सीमा विवादों के बीच रूस का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो क्षेत्रीय संतुलन की राजनीति को और अधिक जटिल बना सकता है.;

Update: 2025-05-16 15:11 GMT

India China Relations: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम जानबूझकर दोनों एशियाई पड़ोसियों के बीच फूट डालने की नीति अपना रहा है. यह बयान रूसी राज्य समाचार एजेंसी TASS द्वारा प्रकाशित किया गया है.

इंडो-पैसिफिक नामकरण

लावरोव ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा घटनाओं पर ध्यान दें, जिसे अब पश्चिम 'इंडो-पैसिफिक' कहने लगा है. यह बदलाव उनकी नीति को चीन विरोधी रूप देने का प्रयास है और इसके ज़रिये वे हमारे महान मित्र और पड़ोसी भारत और चीन के बीच दूरी बढ़ाना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह वही नीति है, जिसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में फिर से रेखांकित किया था— ‘फूट डालो और राज करो’.”

ASEAN की भूमिका कमजोर

लावरोव ने यह भी कहा कि पश्चिमी शक्तियां दक्षिण-पूर्वी एशिया में क्षेत्रीय मामलों में ASEAN की केंद्रीय भूमिका को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जैसे दुनिया के अन्य हिस्सों में पश्चिमी ताकतें वर्चस्व चाहती हैं. वैसे ही वे यहां भी प्रभुत्व स्थापित करना चाहती हैं. वे दशकों से प्रभावी रहे ASEAN के ढांचे को कमजोर करने की कोशिश में लगे हैं. लावरोव ने कहा कि ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) ने वर्षों से राजनीतिक, रक्षा और सैन्य सहयोग का एक मंच प्रदान किया है. इनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम शामिल हैं.

टकराववादी गुटबाज़ी

रूसी विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों पर ASEAN की "सहमति आधारित नीति" को कमजोर करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि साझा समाधान और सर्वसम्मति की तलाश को दरकिनार किया जा रहा है. कुछ ASEAN देशों को टकराव आधारित विशेष समूहों जैसे ट्रॉयका और क्वाड में शामिल होने के लिए आकर्षित किया जा रहा है.

महाद्वीपीय सुरक्षा ढांचे की वकालत

लावरोव ने यूरेशिया महाद्वीप में एक समग्र सुरक्षा तंत्र की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि यूरेशिया में अनेक सभ्यताएं हैं, जो आज भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं. इसके बावजूद यह एकमात्र महाद्वीप है, जहां कोई समेकित संगठनात्मक ढांचा नहीं है. उन्होंने अफ्रीका में *African Union और लैटिन अमेरिका में CELAC (Community of Latin American and Caribbean States) का हवाला देते हुए कहा कि यूरेशिया के लिए भी ऐसा महाद्वीपीय संगठन बनना चाहिए.

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