यमन में भारतीय नर्स को फांसी से बचाने की आखिरी कोशिश, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

यमन में भारतीय नर्स केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी तय हुई है। इस मामले में भारत सरकार से दखल देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है।;

Update: 2025-07-11 02:56 GMT
निमिषा के वकील ने कोर्ट से कहा था कि वह सिर्फ़ बेहोशी की दवा देकर उस यमनी नागरिक से अपना पासपोर्ट वापस हासिल करना चाहती थीं लेकिन दुर्घटनावश दवा की ओवरडोज हो गई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से एक भारतीय नर्स को यमन में फांसी से बचाने के लिए कदम उठाए। नर्स को 16 जुलाई को मौत की सज़ा दी जानी है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जॉयमल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की है। पीठ ने कहा, "मामले की प्रकृति और आपात स्थिति को देखते हुए, हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि भारत के अटॉर्नी जनरल के माध्यम से अदालत को यह बताया जाए कि अब तक सरकार ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं, यदि कोई उठाए गए हों।"

वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्त बासंत ने अदालत में तर्क दिया कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिजनों को 'ब्लड मनी' (रक्त-पैसा या मुआवज़ा) देकर क्षमा प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि यह राशि दी जाए, तो मृतक के परिजन महिला को माफ कर सकते हैं।

निमिषा प्रिया, 38 वर्ष, केरल के पलक्कड़ की रहने वाली एक नर्स हैं। उन्हें 2017 में अपने यमनी व्यापार साझेदार की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था।

उन्हें 2020 में मौत की सज़ा सुनाई गई और उनकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई। वर्तमान में वह यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद हैं।

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