शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में औपचारिक रूप से आरोप तय

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने बांग्लादेश में मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में शेख हसीना पर आरोप तय कर दिए हैं।;

Update: 2025-07-10 11:00 GMT
बांग्लादेश पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की फाइल फोटो

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना पर गुरुवार को औपचारिक रूप से मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में आरोप तय किए गए। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने ये जानकार दी है।

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने पिछले साल हुए उस जनविद्रोह के सिलसिले में शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मानवता के खिलाफ अपराधों की शिकायत को स्वीकार करते हुए आरोप तय किए, जिसमें सैकड़ों छात्रों की मौत हुई थी।

न्यायमूर्ति गोलाम मोर्तुज़ा मोजुमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर पांच आरोपों के तहत अभियोग दायर किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून ने दोष स्वीकार कर लिया है और इस मामले में सरकारी गवाह बनने की याचिका दायर की है। इन तीनों में केवल मामून को हिरासत में लिया गया है, जबकि शेख हसीना और असदुज्जमान खान की गैरहाजिरी में सुनवाई चल रही है।

शेख हसीना ने पिछले साल 5 अगस्त को भारत में शरण ली थी, जब उनकी अवामी लीग सरकार को हिंसक जनविद्रोह के चलते सत्ता से हटा दिया गया था।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने जून 2025 में शेख हसीना पर औपचारिक रूप से आरोप दायर किए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकदमे की शुरुआत में इस्लाम ने अदालत में कहा, "साक्ष्यों की जांच के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह एक समन्वित, व्यापक और व्यवस्थित हमला था। आरोपी ने सरकार विरोधी विद्रोह को कुचलने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों और अपनी पार्टी के सशस्त्र कार्यकर्ताओं को झोंक दिया।"

5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की 16 साल पुरानी सरकार को एक हिंसक जनविद्रोह में अपदस्थ कर दिया गया था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की एक फैक्ट-फाइंडिंग समिति के अनुसार, उस विद्रोह में लगभग 1,400 लोग मारे गए थे।

तब से 77 वर्षीय शेख हसीना भारत में रह रही हैं और बांग्लादेश की विभिन्न अदालतों में जनसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और जबरन गायब करने जैसे आरोपों में वांछित हैं।

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