भारत हमारा सबसे बड़ा मित्र है, निर्वासन में बोलीं शेख हसीना

निर्वासन में शेख हसीना ने कहा, वह तभी लौटेंगी जब बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होगा। यूनुस सरकार पर भारत से रिश्ते बिगाड़ने और चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

Update: 2025-11-12 07:26 GMT

भारत में निर्वासन के दौरान बांग्लादेश की बेदखल पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि उनकी देश वापसी केवल तभी संभव है जब बांग्लादेश में भागीदारी लोकतंत्र (Participatory Democracy) की बहाली हो। इसके साथ ही, आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए और देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराए जाएं।

हसीना ने यह बातें पीटीआई को दिए एक विशेष ईमेल इंटरव्यू में कहीं। भारत में एक अज्ञात स्थान से बातचीत में उन्होंने मौजूदा यूनुस प्रशासन पर भारत के साथ रिश्ते ख़तरे में डालने और कट्टरपंथी ताक़तों को मज़बूत करने का आरोप लगाया।

 'यूनुस की भारत-विरोधी नीति मूर्खतापूर्ण और आत्मघाती'

हसीना ने आरोप लगाया “यूनुस की भारत से दुश्मनी मूर्खता की पराकाष्ठा है और यह दिखाती है कि वह कितना कमज़ोर, अराजक और अस्थिर शासक है — जो बिना जनादेश के सत्ता में है और चरमपंथियों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि ढाका और नई दिल्ली के बीच “विस्तृत और गहरे रिश्ते” इतने मज़बूत हैं कि “यूनुस के इस मूर्खतापूर्ण दौर” से भी उबर जाएंगे।साथ ही, उन्होंने भारत को “सुरक्षित शरण देने के लिए धन्यवाद” देते हुए कहा कि वह भारत सरकार और यहां के लोगों की ‘अथाह मेहमाननवाज़ी’ के लिए गहराई से आभारी हैं।

'मेरी वापसी की शर्त वही है जो जनता चाहती है — लोकतंत्र की बहाली'

हसीना ने साफ कहा “मेरी बांग्लादेश वापसी की सबसे बड़ी शर्त वही है जो बांग्लादेशी जनता चाहती है भागीदारी लोकतंत्र की वापसी। अंतरिम प्रशासन को आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध वापस लेना होगा और स्वतंत्र, निष्पक्ष व समावेशी चुनाव कराने होंगे।”

'हमने हालात पर नियंत्रण खो दिया, लेकिन सबक मिला'

78 वर्षीय हसीना ने यह भी माना कि 2024 के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान उनकी सरकार “स्थिति पर नियंत्रण खो बैठी थी”, जिसके चलते उन्हें 5 अगस्त 2024 को देश छोड़ना पड़ा और अंततः भारत आना पड़ा। इन प्रदर्शनों ने उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया और इसके बाद यूनुस नेतृत्व वाले अंतरिम शासन का गठन हुआ।

उन्होंने कहा,यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि हमने स्थिति पर नियंत्रण खो दिया। इससे कई सबक मिले, लेकिन ज़िम्मेदारी केवल सरकार की नहीं थी  तथाकथित छात्र नेताओं (जो वास्तव में अनुभवी राजनीतिक उकसाने वाले थे) ने भी भीड़ को भड़काया।

'आवामी लीग को बाहर रखकर कोई चुनाव वैध नहीं'

हसीना ने यह दावे खारिज किए कि उन्होंने फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों के बहिष्कार की अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि आवामी लीग को चुनाव से बाहर रखा गया, तो वह चुनाव “कानूनी और नैतिक वैधता” नहीं रखेगा।

“करोड़ों लोग हमारे साथ हैं... अगर आवामी लीग को बाहर रखा गया तो यह हमारे देश के लिए एक बड़ी खोई हुई संभावना होगी। बांग्लादेश को ऐसी सरकार चाहिए जो जनता की सच्ची सहमति से शासन करे। उम्मीद है यह मूर्खतापूर्ण प्रतिबंध हटाया जाएगा। सरकार में हों या विपक्ष में  आवामी लीग का राजनीतिक संवाद में हिस्सा होना ज़रूरी है।”

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर चिंता

हसीना ने कहा कि भारत हमेशा से बांग्लादेश का सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय साझेदार रहा है। लेकिन मौजूदा यूनुस सरकार “राजनयिक मूर्खताओं” के जरिए इन संबंधों को नुकसान पहुंचा रही है। “यूनुस की भारत-विरोधी नीतियां न केवल अव्यवहारिक हैं बल्कि बांग्लादेश के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ हैं। मुझे उम्मीद है कि वह और ज़्यादा राजनयिक गलतियाँ करने से पहले मंच से उतर जाएगा।”

भारत में चिंतित लोगों को आश्वस्त करते हुए उन्होंने कहा, “मौजूदा अंतरिम सरकार बांग्लादेश के आम नागरिकों की सोच का प्रतिनिधित्व नहीं करती। भारत हमारे राष्ट्र का सबसे करीबी और सबसे अहम दोस्त है और रहेगा।”

 'मैं अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी पेश होने को तैयार'

हसीना ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण में मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार हैं  यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में भी।लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस इस चुनौती से भाग रहे हैं क्योंकि “एक निष्पक्ष अदालत उन्हें निर्दोष ठहराएगी। मैंने बार-बार यूनुस सरकार को ICC में मुकदमा चलाने की चुनौती दी है, लेकिन वह बचते रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि निष्पक्ष अदालत मुझे बरी कर देगी।”

उन्होंने बांग्लादेश के “इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल” को “राजनीतिक प्रतिशोध का मंच” बताते हुए कहा कि वहां की कार्यवाही ‘कंगारू कोर्ट’ जैसी है, जहाँ उनके खिलाफ मौत की सज़ा मांगी जा रही है। वे मुझे और आवामी लीग दोनों को निष्क्रिय करना चाहते हैं। यह तथ्य कि वे विपक्ष को दबाने के लिए फांसी की सज़ा का इस्तेमाल कर रहे हैं, दिखाता है कि उन्हें लोकतंत्र और विधिक प्रक्रिया का कोई सम्मान नहीं।

 'पश्चिमी समर्थकों का मोहभंग'

हसीना ने दावा किया कि यूनुस को कुछ पश्चिमी उदारवादियों का निष्क्रिय समर्थन मिला, जो उन्हें अपना साथी मान बैठे थे। अब जब उन्होंने देखा है कि यूनुस ने अपने मंत्रिमंडल में कट्टरपंथियों को जगह दी, अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया और संविधान को कमजोर किया उम्मीद है कि अब वे अपना समर्थन वापस ले लेंगे।

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