70 देशों पर ट्रंप का टैरिफ वार, भारत पर 25% शुल्क का झटका
डोनाल्ड ट्रंप ने 70 से ज्यादा देशों पर 10% से 41% तक रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया है। भारत पर 25% शुल्क लगाया गया है, जिससे वैश्विक व्यापार पर गहरा असर पड़ेगा।;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 70 से अधिक देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रतिस्पर्धी शुल्क) लगाने का ऐतिहासिक आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के तहत भारत पर 25%, पाकिस्तान पर 19%, बांग्लादेश और वियतनाम पर 20%, दक्षिण अफ्रीका पर 30%, और स्विट्जरलैंड पर 39% शुल्क लगाया गया है। यह कदम अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा और वर्षों से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि अब खबर आई है कि भारत पर 25 फीसद टैरिफ 1 अगस्त से नहीं बल्कि 7 अगस्त से लागू होगा।
आदेश की प्रमुख बातें
व्हाइट हाउस द्वारा जारी फैक्टशीट के अनुसार यह आदेश न केवल शुल्क दरों को संशोधित करता है, बल्कि इनके लागू होने की तिथियों को भी स्पष्ट करता है। पहले 1 अगस्त 2025 की डेडलाइन तय की गई थी ताकि उस समय तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते हो जाएं। लेकिन अब यह आदेश हस्ताक्षर की तारीख से सात दिन बाद यानी 7 अगस्त से प्रभावी होगा।हालांकि, यदि कोई सामान 7 अगस्त तक जहाज पर लोड हो चुका है और 5 अक्टूबर तक अमेरिका पहुंचता है, तो उस पर नया टैरिफ लागू नहीं होगा – बशर्ते वह ट्रांजिट में हो।
भारत को क्यों निशाना बनाया गया?
अमेरिका का कहना है कि भारत जैसे देश अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं लेकिन बदले में अमेरिकी बाज़ार में छूट की मांग करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने इसे अनुचित और एकतरफा करार देते हुए जवाबी शुल्क लागू किया है।
सबसे ज़्यादा प्रभावित शीर्ष 10 देश
सीरिया – 41%
लाओस – 40%
म्यांमार (बर्मा) – 40%
स्विट्ज़रलैंड – 39%
इराक – 35%
सर्बिया – 35%
अल्जीरिया – 30%
बोस्निया और हर्ज़ेगोविना – 30%
लीबिया – 30%
दक्षिण अफ़्रीका – 30%
कनाडा के लिए अलग नियम
कनाडा पर पहले 25% का टैरिफ था, जिसे बढ़ाकर अब 35% कर दिया गया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका का आरोप है कि कनाडा नशीली दवाओं की तस्करी रोकने में विफल रहा है और अमेरिकी नीतियों के विरुद्ध प्रतिक्रिया दे रहा है। कनाडा पर लगाया गया नया टैरिफ 1 अगस्त से ही लागू हो गया है यह बाकी देशों से अलग व्यवस्था है।
टैरिफ आदेश का आधार
यह आदेश Executive Order 14257 पर आधारित है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका का व्यापार घाटा उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। ट्रंप ने कहा कि यह फैसला खुफिया एजेंसियों की नई रिपोर्टों और वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिशों पर आधारित है। उन्होंने कई देशों पर बातचीत से बचने या अपर्याप्त प्रस्ताव देने का आरोप लगाया।
अमेरिकी कंपनियों पर भी पड़ेगा असर
हालांकि ट्रंप का दावा है कि यह कदम अमेरिका में निर्माण उद्योग को पुनर्जीवित करेगा और अमेरिकी निर्यात पर लगाए गए अवरोधों को हटाएगा, लेकिन विशेषज्ञों की राय इससे उलट है। उनका कहना है कि इसका बोझ अमेरिकी कंपनियों पर ही पड़ेगा। इससे देश में महंगाई बढ़ रही है, खासकर फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और खिलौनों की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
किन देशों ने अब तक समझौता नहीं किया?
एपी न्यूज एजेंसी के मुताबिक भारत, ब्राज़ील, कनाडा, ताइवान, श्रीलंका, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और लेसोथो जैसे देशों ने अब तक अमेरिका से कोई व्यापार समझौता नहीं किया है। ट्रंप प्रशासन ने पहली बार 2 अप्रैल को इन टैरिफ्स की घोषणा की थी और तब 60 देशों पर 50% तक का शुल्क लगाने की बात की थी। यह डेडलाइन पहले 9 अप्रैल और फिर 9 जुलाई को टाली गई थी, लेकिन अब इसे 1 अगस्त से लागू कर दिया गया है।
कुछ देश ट्रंप के आगे झुके भी
आदेश जारी होने से पहले कुछ देशों ने अमेरिका से व्यापार समझौते कर लिए। पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के तहत अमेरिका उसे तेल भंडार विकास में मदद देगा और शुल्क में राहत देगा। दक्षिण कोरिया के लिए शुल्क 25% से घटाकर 15% किया गया है, जबकि फिलीपींस के लिए यह 20% से घटाकर 19% कर दिया गया है।
डोनाल्ड ट्रंप की यह आक्रामक व्यापार नीति अमेरिकी घरेलू राजनीति के लिहाज़ से तो उपयोगी हो सकती है, लेकिन इसका वैश्विक प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक होगा। भारत समेत तमाम देशों को अब इस नए टैरिफ वातावरण में रणनीतिक संतुलन साधने की आवश्यकता होगी।