पांचवें टर्म में व्लादिमीर पुतिन और हुए ताकतवर, जानें- क्या है वजह

स्टालिन के बाद व्लादिमीर पुतिन सबसे अधिक समय तक रूस पर राज करने वाले शख्स बन चुके हैं. इनका कार्यकाल 2030 तक है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-18 03:01 GMT

Vladimir Putin News:  व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति बन चुके हैं. शपथ लेने के बाद उन्होंने एक बात कही कि दुश्मनों के साथ रिश्ते सुधारेंगे. उनके इस बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. मसलन कि क्या यूक्रेन के साथ आने वाले समझ में युद्ध समाप्त करेंगे. क्या अमेरिका और यूरोपीय यूनियम के साथ रिश्तों में सुधार करेंगे. अंतरराष्ट्रीय संबंध और कूटनीति का भाव स्थाई कभी नहीं होता है, समय के हिसाब से कहानी बुनी जाती है. इन सबके बीच हम यह बताएंगे कि पांचवीं बार जब रूस की जनता ने पुतिन के हाथ में कमान दी तो वो कैसे और मजबूत हो गए.

जब अमेरिका- यूरोपीय यूनियन हुए खिलाफ

यूक्रेन के खिलाफ जब पुतिन ने मोर्चा खोला तो उसका विरोध वैश्विक स्तर पर खासतौर से अमेरिका और यूरोपीय यूनियन आ गए. सामरिक बल के हिसाब से यूक्रेन रूस के सामने नहीं ठहरता है. लेकिन अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के सहयोग से जेलेंस्की मैदान में डटे हुये हैं. बता दें कि इन दोनों देशों ने सैनिक साजो सामान और आर्थिक तौर पर मदद तो की. लेकिन जमीन पर रूस से लड़ने के लिए फौज नहीं भेजी. इन सबके बीच रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिये.

यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस हुआ मालामाल

अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के देशों ने भी रूस से आयात- निर्यात पर रोक लगाने की गुजारिश की. हालांकि उसमें चेतावनी अधिक थी. लेकिन तेल के दम रूस की अर्थव्यवस्था टिकी रही. रूस ने कोविड जैसे हालात का सामना भी किया. यही नहीं महंगाई को भी काबू में रखा.इस वजह से रूस की अधिकांश जनता में नाराजगी के भाव नहीं आए. तेल के निर्यात से रूबल की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ा. एक तरफ अमेरिका जब खुलकर विरोध में आया तो चीन ने दोस्ती निभाई. 

पुतिन के विरोधियों का हुआ अस्त

इसके अलावा वेगनर प्रमुख येवगिनी प्रिझनोव के तख्ता पलट की कोशिश को नाकाम किया. आगे चलकर येवगिनी का अंत भी हो गया. इसके साथ ही नवेल्नी जो पुतिन के कट्टर विरोधी थे वो भी इस दुनिया में नहीं रहे. इस तरह से उन्हें जो चुनौती मिल सकती थी वो अपने आप रास्ते से हट गए. हालांकि येवगिनी और नवेल्नी के केस में विरोधी दल पुतिन को जिम्मेदार मानते हैं, हालांकि अभी तक वो किसी तरह का सबूत नहीं दे पाए हैं. जानकार बताते हैं कि पुतिन ने अपने विरोधियों को कभी उभरने का मौका नहीं दिया तो दूसरी तरफ उन्होंने कोशिश कि युद्ध की वजह से आम रूसी नागरिकों के जीवन में मुश्किल ना आए. इसके साथ ही यूक्रेन के बारे में कहा कि रूस का कंसर्न सिर्फ इतना है कि जेलेंस्की ऐसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनने से बचें जो रूसी संप्रभुता के लिए खतरा हो. 

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