इजरायल का नाम ले ईरान को धमकाया, दादागीरी क्यों करता है अमेरिका

ईरान के खिलाफ इजरायली एयर स्ट्राइक पर अमेरिका की तरफ से बयान आया है कि उसे पहले से पता था। अब अमेरिका का कहना है कि ईरान कुछ ऐसा वैसा करेगा तो नतीजा खतरनाक होगा।;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-27 06:06 GMT

Israel Iran War: तारीख एक अक्टूबर ईरान ने सैकड़ों की संख्या में इजरायल पर मिसाइलों से हमला किया था। यह बात अलग कि वो नुकसान करने में कामयाब नहीं हुआ। लेकिन इजरायल क्या करेगा इसका अंदाजा दुनिया को था। हालांकि बदले वाली तारीख क्या होगी यह पता नहीं था। लेकिन वो तारीख 26 अक्तूबर के तौर पर अंकित हुई। इजरायल के करीब 100 फाइटर प्लेन ईरान की वायुसीमा में चहलकदमी करने लगे। ईरान के चुनिंदा ठिकानों को निशाना बनाया जो उसके लिए खतरनाक या खतरा बन सकते थे। बात बड़ी साफ थी कि ईरान की तरफ से तल्ख भरा संदेश क्यों नहीं आता।

ईरान ने भी साफ कर दिया कि जवाब तो देंगे। लेकिन सही समय का इंतजार है। ऐसे में अब अमेरिका की सीधी एंट्री हुई। अमेरिका ने कहा कि हमें पहले से पता था कि इजरायल एयर स्ट्राइक करने वाला है और अब ईरान ने कुछ ऐसा वैसा किया तो नतीजा खतरनाक होगा। अब यहीं से सवाल उठते हैं कि क्या अमेरिका उन सभी हरकतों को जायज ठहरा देगा जब उसे जानकारी दी जाएगी। अगर ऐसा है तो उसे पहले से पता है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू और हरदीप सिंह निज्जर के बारे में भारत सरकार का नजरिया क्या है।
दुनिया में राजनीतिक उठापठक पर नजर रखने वाले जानकार जिसकी लाठी उसकी भैंस से तुलना कर रहे हैं। अगर अमेरिका को देखें तो उसकी नैतिकता सिर्फ फायदे की है। अगर गलत तरीके से अमेरिका को फायदा मिल रहा है तो उसे जायज ठहराने से बाज नहीं आता है। आप इसकी तस्दीक वियतनाम, इराक युद्ध, अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई से देख सकते हैं। आज तक दुनिया को यह नहीं पता चल सका कि इन तीनों अभियानों के पीछे की वजह क्या थी। अगर आपको किसी संगठन से ऐतराज है तो क्या आप किसी देश को तबाह कर देंगे।

अगर औप मौजूदा समय में ईरान के साथ तनातनी को देखें तो सीधी लड़ाई तो इजरायल से है आखिर अमेरिका को क्यों सीधे सीधे इस जंग में दखल क्यों देना चाहिए। दरअसल अमेरिका की समस्या ईरान नहीं है बल्कि रूस है, रूस से ईरान की करीबी किसी से छिपी नहीं है। लिहाजा अमेरिका निशाना साधा रहता है। अब इजरायल सीधे तौर पर ईरान से भिड़ रहा है तो अमेरिका को हस्तक्षेप करने का मौका मिल गया है। इस तरह की खबरें पहले आई थीं कि जब इजरायल ने लेबनान और गाजा पर हमला किया था तो अमेरिका को जानकारी नहीं दी थी। लेकिन अब जब अमेरिका को ईरान पर अटैक की जानकारी दी तो वो खुश हो गया। यानी कि अमेरिका फूफा बनने की भूमिका में देखता है। यानी कि उसे सब बताओ तो ठीक नहीं बताओ तो मुंह फूलाकर बैठ जाता है। हालांकि यहां सवाल यह है कि जब ईरान को अमेरिका रोद देश मानता है यानी कि दुनिया के लिए खतरनाक तो भारत के संबंध में पैमाना क्यों बदलता है। 
जानकार कहते हैं कि अमेरिका को भारत से परेशानी की वजह गुरपतवंत सिंह पन्नू का अमेरिकी नागरिक नहीं होना है। बल्कि उसे दिक्कत है कि रूस-यूक्रेन की लड़ाई में भारत खुलकर उसका साथ क्यों नहीं दे रहा है। रूस से कच्चा तेल क्यों खरीद रहा है। ईरान के मुद्दे पर सधी प्रतिक्रिया क्यों देता है। अगर भारत इनमें से किसी भी विषय पर एकतरफा व्यवहार करे तो उसे रास आएगा। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि अब दुनिया एक ध्रुवी नहीं रह गई है। दुनिया को बहु ध्रुवीय बनना होगा। इसका अर्थ यह है कि जब वैश्विक स्तर पर सहयोग परस्पर बढ़ेगा तो अमेरिका के साथ तनाव होना लाजिमी है और जिस तरह से ईरान को धमका रहा है ठीक वैसे ही वो उन मुल्कों के साथ पेश आएगा जो उसके विचार से कन्नी काटेंगे। 
Tags:    

Similar News