आखिर मुइज्जू के प्रति मोदी के नरम रुख की क्या है वजह

वासुदेव कुटुम्बकम की धारणा रखने वाला भारत देश अपने अच्छे पड़ोसी देश को दूर नहीं जाने के लिए प्रयासरत हो चुका है. इसकी शुरुआत मोदी 3.0 सरकार के साथ हो चुकी है. प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में मुइज्जू को आमंत्रित किया साथ ही बकर ईद के मौके पर बधाई सन्देश भी भेजा.

Update: 2024-06-17 11:54 GMT

India - Maldives Diplomacy: मालदीव में मुइज्जू सरकार आने के बाद से भारत के साथ उसके रिश्तों में दूरियां पैदा हुई हैं. जिसके पीछे का मुख्य कारण मुइज्जू का चीन के प्रति झुकाव को माना जाता है. पाकिस्तान की तरह मालदीव भी चीन के प्रति समर्पण भाव दिखाते हुए भारत से दूरी बना रहा है. लेकिन वासुदेव कुटुम्बकम की धारणा रखने वाला भारत देश अपने अच्छे पड़ोसी देश को दूर नहीं जाने के लिए प्रयासरत हो चुका है. इसकी शुरुआत मोदी 3.0 सरकार के साथ हो चुकी है. प्रधानमंत्री मोदी खुद चाहते हैं कि मालदीव के साथ पुराने रिश्ते कायम हों, ताकि चीन किसी तरह का फायदा न उठा सके. यही वजह भी रही कि न केवल प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में मुइज्जू को आमंत्रित किया बल्कि बकर ईद के मौके पर बधाई सन्देश भी भेजा.

वर्ष 2023 से पहले भारत और मालदीव के रिश्ते काफी अच्छे थे. लेकिन मालदीव की सत्ता में मुइज्जू सरकार के आने के बाद भारत के साथ उसकी नजदीकियां दूरियों में तब्दील हो गयी. इसके पीछे की मुख्य वजह मुइज्जू का चीन समर्थक होना माना जाता है. यही वजह भी रही कि सत्ता में आते ही मुइज्जू ने भारत के साथ दूरी बनाने वाले सभी कदम उठाये. जैसे भारतीय सेना के जवानों को वापस भारत भेजना. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लक्ष्यदीप का दौरा करने पर विवादित टिपण्णी करना, जो सोशल मीडिया पर इस कदर देखने को मिला कि बॉयकोट मालदीव्स ने ऐसा असर दिखाया कि मालदीव को बैकफूट पर जाना पड़ा.


मालदीव को मोहरा बना कर हिंद महासागर में मजबूत पकड़ बनाना चाहता है चीन

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि चीन हमेशा से भारत को घेरने की रणनीति के तहत काम करता रहा है. हिंद महासागर में दबदबा बनाने के लिए चीन तमाम तरह के प्रयास करता रहा है. ये भी किसी से छुपा नहीं है कि किस तरह से चीन ने लों के नाम पर श्रीलंका को काल की गाल में धकेला. फिर अपने एहसान तले दबा कर श्रीलंका के तट पर जासूसी जहाज भी तैनात कर दिया. चीन का ये कारनामा भी भारत की घेराबंदी से जुड़ा एक कदम ही था. आज की बात करें तो श्रीलंका की स्थिति दयनीय है. पाकिस्तान से भारत के सम्बन्ध शुरू से ही ख़राब रहे हैं. चीन और पाकिस्तान के बीच इसी वजह से नजदीकियां रही हैं, लेकिन चीन ने उसे भी नहीं छोड़ा और अपने लोन के मकड़ जाल में उसे फंसा कर उसकी आर्थिक हालत को भी लचर बना दिया है. लेकिन चीन का मकसद भारत की घेराबंदी है, इसके लिए उसे मालदीव की सहायता चाहिए. मुइज्जू का झुकाव चीन के प्रति रहा है. लेकिन मुइज्जू इस बात को शायद नजरअंदाज कर रहे हैं कि किस तरह से चीन श्रीलंका और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति के साथ खिलवाड़ कर चुका है. शायद यही वजह भी रही कि चीन ने मालदीव के तट पर भी अपना जासूसी जहाज खड़ा किया था, जो विवाद का कारण बना और चीन ने स्पष्टि कारण दिया कि ये जहाज जासूसी के मकसद से नहीं बल्कि रिसर्च के मकसद से यहाँ लाया गया था.

मालदीव को क्यों दी जा रही है महत्वता

चीन जिस तरह से घेराबंदी करने में जुटा है, उससे भारत को खुद को सुरक्षित रखने के लिए पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते बनाये रखना है, ख़ास तौर से मालदीव से, जिसके साथ भारत के रिश्ते अच्छे रहे हैं. यही वजह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मुइज्जू के रवैये को नज़रंदाज़ करते हुए अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया.

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