अब्दुल रऊफ ने पढ़ा था नमाज़-ए-जनाज़ा, हाफिज सईद से क्या है रिश्ता?
1999 से लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य रऊफ हाफिज सईद का करीबी सहयोगी रहा है और अक्सर उसके करीबियों के साथ देखा जाता है।;
Who is Abdul Rauf: पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरों में शर्मिंदा हुआ जब उसके एक शीर्ष अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से हाफ़िज़ अब्दुल रऊफ के बारे में ऐसे विवरण साझा किए जो उसके "निर्दोष प्रचारक" होने के दावे की पोल खोलते हैं। रऊफ वही व्यक्ति है जिसने मुरिदके स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुख्यालय पर भारतीय कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों की नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ाई थी।
पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक मेजर जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रऊफ को एक "आम नागरिक" बताया, जिसके "तीन बेटियां और एक बेटा" हैं। उन्होंने कहा कि रऊफ ने मुरिदके, पंजाब (पाकिस्तान) में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार की नमाज़ पढ़ाई थी।
सच्चाई: अमेरिका की आतंकी सूची में नाम
यह पाकिस्तान की एक बड़ी चूक साबित हुई। चौधरी ने रऊफ की कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान संख्या (CNIC) 35202-5400413-9, जन्मतिथि 25 मार्च 1973 और लाहौर निवासी होने की जानकारी साझा की। यही विवरण अमेरिका के ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) की स्पेशली डिज़िग्नेटेड नेशनल्स एंड ब्लॉक्ड पर्सन्स लिस्ट (SDN List) से मेल खाता है, जिसमें रऊफ को लश्कर-ए-तैयबा का एक नामित आतंकवादी बताया गया है।
चौधरी ने रऊफ को पाकिस्तान मरकज़ी मुस्लिम लीग (PMML) की "वेलफेयर विंग इंचार्ज" के तौर पर पेश किया, जिसकी जिम्मेदारी कथित तौर पर विकास और राहत कार्यों के लिए चंदा जुटाना है। लेकिन अमेरिका के अनुसार, यह राहत कार्य LeT के आतंकी नेटवर्क को छुपाने की रणनीति है।
कौन है हाफ़िज़ अब्दुल रऊफ?
रऊफ 1999 से लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य रहा है और आतंकी सरगना हाफ़िज़ सईद का करीबी सहयोगी माना जाता है। वह लश्कर के लिए रणनीतिक और नेतृत्व भूमिका निभा चुका है। अमेरिका के अनुसार, रऊफ फ़लाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन का प्रमुख है, जो LeT के नाम पर चलने वाली एक छद्म मानवता-सेवी संस्था है।
OFAC डेटाबेस के अनुसार, रऊफ के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट नंबर CM1074131 (जारी: 29 अक्टूबर 2008, समाप्ति: 2013) और एक अन्य पासपोर्ट A7523531 है। रऊफ के नाम कई पते भी दर्ज हैं, जिनमें लाहौर के तीन स्थान और खानेवाल जिले का एक स्थान शामिल है।
2003 से सार्वजनिक मंचों पर LeT का समर्थन
2003 से ही रऊफ LeT से जुड़े संगठनों का सार्वजनिक रूप से बचाव करता रहा है, भले ही उन पर पाकिस्तान सरकार ने प्रतिबंध लगाया हो। उसने पाकिस्तानी मीडिया और LeT की वेबसाइट पर दिए गए साक्षात्कारों में खुद को राहत और फंडिंग गतिविधियों का संचालनकर्ता बताया। अमेरिका के अनुसार, ये कार्य LeT की आतंकी गतिविधियों को छुपाने और वैश्विक नजरों से बचाने के लिए किए जाते हैं।
जनाज़े में पाक सेना और पुलिस अधिकारी भी मौजूद
भारत ने पहले ही इस बात की ओर ध्यान दिलाया था कि कैसे पाकिस्तान की सेना और राज्य संस्थान आतंकवादियों के साथ मिलीभगत में शामिल हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उस फोटो को सार्वजनिक किया जिसमें रऊफ आतंकियों की नमाज़ पढ़ा रहा था। इसी फोटो के आधार पर उन पाकिस्तानी अधिकारियों की पहचान हुई जो इस जनाज़े में मौजूद थे।
इनमें लाहौर स्थित IV कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फ़ैयाज़ हुसैन शाह, 11वीं इन्फेंट्री डिवीजन के मेजर जनरल राव इमरान सरताज, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस उस्मान अनवर और ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर शामिल हैं।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत के प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने 12 मई को जारी एक बयान में कहा, “ISPR द्वारा साझा की गई पहचान की जानकारी हाफ़िज़ अब्दुल रऊफ की उस जानकारी से पूरी तरह मेल खाती है जो LeT के वरिष्ठ नेतृत्व और अमेरिकी प्रतिबंध सूची में दर्ज है।”
सरकारी समर्थन का खुला प्रदर्शन
रऊफ द्वारा आयोजित जनाज़े में पाक सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी वर्दी में मौजूद थे। जनाज़ों को पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे में लपेटा गया और सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, जो स्पष्ट रूप से आतंकियों को राज्य समर्थन मिलने का संकेत है। इसके साथ ही पाकिस्तान की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ (प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की भतीजी) की ओर से भेजा गया पुष्पचक्र इस बात को और स्पष्ट करता है।
निष्कर्ष: झूठ की बुनियाद पर खड़ा पाकिस्तान
पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब हुआ है। एक "मासूम प्रचारक" के रूप में प्रस्तुत किया गया व्यक्ति दरअसल एक घोषित आतंकवादी निकला, जो दशकों से LeT के लिए काम कर रहा है। ISPR द्वारा साझा की गई जानकारी ने ही पाकिस्तान की झूठी कहानी की पोल खोल दी है।
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए न सिर्फ आतंकियों को निशाना बनाया, बल्कि पाकिस्तान के आतंक के झूठे जाल को भी उजागर किया।