बायजू रवीन्द्रन को 'सबसे खराब' संस्थापक चुना गया; श्रीधर वेम्बू 'सर्वश्रेष्ठ'

2015 में लॉन्च हुई बायजू की वैल्यू एक समय 22 बिलियन डॉलर आंकी गई थी, लेकिन इस साल की शुरुआत में दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजर ब्लैकरॉक ने इसकी वैल्यूएशन घटाकर 1 बिलियन डॉलर कर दी.

Update: 2024-10-17 17:02 GMT

Reddit Users : एक समय में ऐसा था जब बायजू के सह-संस्थापक और सीईओ बायजू रविन्द्रन को उनके स्टार्टअप के लिए काफी प्रसिद्धि मिली लेकिन फिर वो दौर आया जब बायजू डूबता गया और अब ये समय भी आ चुका है कि एड-टेक कंपनी बायजू के सह-संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन को रेडिट समुदाय द्वारा "सबसे खराब" भारतीय संस्थापक चुना गया है. हालाँकि इस सूची में रविन्द्रन अकेले नहीं हैं, इस सूची में ओला के भाविष अग्रवाल और हाउसिंग डॉट कॉम के राहुल यादव को लेकर भी यूज़र्स ने कुछ ऐसे ही अनुभव साझा किये.

वहीँ रेडिट उपयोगकर्ताओं ने ज़ोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बू को “सर्वश्रेष्ठ” संस्थापक के रूप में वोट दिया है.

यूज़र्स ने क्या क्या कहा
एक यूजर ने कहा, "वेम्बू ने अपने गांव में एक कंपनी बनाई, जिससे उनके गृहनगर के लोगों को बहुत सारी नौकरियां मिल रही हैं. हालांकि ज़ोहो उद्योग मानकों की तुलना में कम भुगतान करता है, फिर भी उनके उत्पाद बेहतरीन हैं."
"निस्संदेह वेम्बू। वह तमिलनाडु के एक गांव से काम करते हैं. उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और अब गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. उसने बिना वीसी फंडिंग के भी अपने स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बना दिया," एक अन्य ने कहा.

रविन्द्रन के लिए आई कुछ ऐसी राय
रवींद्रन पर एक यूजर ने लिखा, "वह लालची है और अपने उत्पाद को बेचने के लिए बेवकूफी भरी हरकतें करता है. (कई माता-पिता कर्ज में फंस गए और रो पड़े). उसने अपने कर्मचारियों पर बहुत दबाव डाला और उनके साथ सबसे बुरा व्यवहार किया. शुरुआती दौर में उसका साथ देने वाले निवेशकों का साथ देने के बजाय उसने उनसे झगड़ा किया. उसने भारतीय स्टार्टअप सिस्टम को बदनाम किया. वह सबसे खराब है क्योंकि उसने ग्राहकों, कर्मचारियों, निवेशकों, विक्रेताओं और देश को सबसे खराब अनुभव दिया है."
फोरम पर एक और टिप्पणी थी, "उन्होंने अपने कर्मचारियों पर इतना दबाव डाला कि यह कहना कम है. उनके कई कर्मचारी जब वरिष्ठ प्रबंधन से भिड़ते हैं, तो उन पर मुकदमा चला दिया जाता है और पुलिस द्वारा उन्हें परेशान किया जाता है."
2015 में लॉन्च हुई बायजू की वैल्यू एक समय 22 बिलियन डॉलर थी, लेकिन कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील के बाद स्कूलों के फिर से खुलने से इसकी वैल्यू खत्म हो गई. इस साल की शुरुआत में, दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजर ब्लैकरॉक ने इसकी वैल्यू घटाकर 1 बिलियन डॉलर कर दी थी.

ऐसे शुरू हुआ परेशानी का दौर
कंपनी की मुश्किलें तब शुरू हुईं जब दो साल पहले वित्तीय रिपोर्टिंग की समय-सीमा चूक गई और राजस्व अनुमान से 50 प्रतिशत से अधिक कम रह गया. फरवरी में, बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लीन के निवेशकों के एक समूह, जिसमें प्रोसस और पीक XV शामिल थे, ने एक असाधारण आम बैठक के दौरान "कुप्रबंधन और विफलताओं" के आरोपों का हवाला देते हुए रवींद्रन को सीईओ पद से हटाने के लिए मतदान किया। रवींद्रन ने सभी आरोपों से इनकार किया था.
बायजूस वर्तमान में दिवालियापन कार्यवाही का सामना कर रहा है.


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