क्या AI इंसानों की सोच की जगह ले सकता है? पैनल डिस्कशन में उठा सवाल
चर्चा के अंत में सभी पैनलिस्ट इस बात पर सहमत हुए कि AI एक शक्तिशाली साधन है, लेकिन यह इंसानी सोच, संवेदना और निर्णय क्षमता की पूरी तरह से जगह नहीं ले सकता। हां, यह दुनिया के हर कोने में पहुंचकर विकास को तेज़ ज़रूर कर सकता है।;
क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंसानी फीलिंग्स और लिए जाने वाले फैसलों की जगह ले सकता है? इस सवाल को केंद्र में रखते हुए चेन्नई के अन्ना सलाई स्थित मद्रास मैनेजमेंट एसोसिएशन में आयोजित The Federal COGNI: The Boardroom Series की पहली कॉन्फ्रेंस "From Insight to Impact: AI in the Boardroom" में एक अहम पैनल चर्चा हुई. इस चर्चा का संचालन The Neural के संस्थापक रंजीत मेलारकोड ने किया, जिन्होंने विभिन्न स्टार्टअप्स और कंपनियों के फाउंडर्स, CXOs और CEOs के साथ AI के इस्तेमाल और उससे जुड़ी रणनीति पर गहन चर्चा की.
पैनल के प्रमुख नाम
जगन सेल्वराज (CEO, Thunai AI)
अपर्णा टीए (हेड ऑफ एंटरप्राइज़ IT सॉल्यूशंस, ManageEngine- Zoho)
मनीष बाफना (SVP ऑफ इंजीनियरिंग, Responsive)
राज बाबू (फाउंडर और CEO, Agilisium)
AI: एक रणनीतिक बदलाव या महज तकनीक?
राज बाबू ने कहा कि AI इंसानियत के लिए उतना ही क्रांतिकारी है जितना आग, पहिया या लोकतंत्र रहा है. अब ज्ञान शक्ति नहीं, बल्कि एक सामान्य वस्तु बन चुका है. उन्होंने बताया कि अब भाषा समझने की क्षमता भी मशीनों को मिल चुकी है, जो पहले सिर्फ इंसानों के पास थी। उन्होंने AI को लेकर "सकारात्मक चिंता" यानी Positive Paranoia की बात की — जो हर कंपनी लीडर के लिए ज़रूरी है ताकि वे समय रहते AI को अपनाएं और उद्योग में प्रतिस्पर्धा में पिछड़ें नहीं.
AI अब तकनीक से आगे
अपर्णा टीए ने कहा कि AI कोई नया कांसेप्ट नहीं है. लेकिन अब इसके 'कंज़्यूमराइज़ेशन' ने इसे आम लोगों की सोच में लाकर खड़ा कर दिया है. उन्होंने आगाह किया कि AI का गलत इस्तेमाल, जैसे कि संवेदनशील डेटा को पब्लिक LLM में डालना खतरनाक हो सकता है.
AI पूरी प्रक्रिया का हिस्सा
मनीष बाफना ने बताया कि AI एक फीचर नहीं बल्कि एक बदलाव है जो बिज़नेस प्रोसेस को पूरी तरह से बदल सकता है. उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि कैसे AI की मदद से अधिक सटीकता से और तेज़ी से RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल) पर प्रतिक्रिया दी जा सकती है.
ग्राहकों के लिए AI का उपयोग
जगन सेल्वराज ने Thunai AI के विज़न को साझा करते हुए बताया कि उनकी कंपनी का उद्देश्य छोटे व्यवसायों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का मौका देना है. उन्होंने बताया कि कैसे चैट, वॉयस, ईमेल और एप्लिकेशन AI एजेंट्स के जरिए कस्टमर इंटरफेस को पूरी तरह से ऑटोमेट किया जा सकता है — बिना किसी डेवलपर की मदद के.
जीवन बचाने में भी सहायक हो रहा AI
राज बाबू ने AI के हेल्थकेयर उपयोग का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे COVID के दौरान वर्चुअल "डिजिटल मरीज" और "डिजिटल इलाज" की मदद से टीके की प्रक्रिया को 8–12 साल से घटाकर 2 साल में पूरा किया गया.
जोखिम और सुरक्षा
अपर्णा ने स्पष्ट किया कि “AI डिटर्मिनिस्टिक नहीं बल्कि प्रोबेबिलिस्टिक है”, यानी यह हमेशा तयशुदा नतीजा नहीं देता. इसी कारण इसके इस्तेमाल में जोखिम बना रहता है. सेल्वराज ने यह भी बताया कि उनकी कंपनी VPC (वर्चुअल प्राइवेट क्लाउड) के जरिए डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करती है.
भारत के लिए कितना लाभदायक?
अपर्णा ने कहा कि भारत जैसे देश, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां मानव संसाधन की कमी है, वहां AI बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. सरकार की वॉयस और लैंग्वेज AI में निवेश की नीति इससे जुड़ी जानकारियां किसानों तक उनकी भाषा में पहुंचाने में मदद करेगी.