चांदी की कीमत 66 डॉलर के पार, 2025 में अब तक दोगुने से ज्यादा बढ़ी, क्या तेजी अब थमने वाली है?

कड़ी आपूर्ति, बढ़ती मांग और अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते चांदी की कीमतें 66 डॉलर के पार पहुंच गई हैं। विश्लेषकों का मानना है कि औद्योगिक मांग और भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण आगे भी तेजी बनी रह सकती है, जो बाजार में अहम कमोडिटीज की ओर एक बड़े बदलाव का संकेत है।

Update: 2025-12-19 14:33 GMT
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के मार्च वायदा भाव 0.47% गिरकर ₹2,06,451 प्रति किलोग्राम पर आ गए। पिछले सत्र में चांदी ने ₹2,07,833 का नया रिकॉर्ड उच्च स्तर छुआ था और 5% की तेजी के साथ ₹2,07,760 पर बंद हुई थी।
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गुरुवार, 18 दिसंबर को चांदी सीमित दायरे में रही और हल्की गिरावट के साथ कारोबार करती दिखी। रिकॉर्ड ऊंचाई पर मुनाफावसूली और अमेरिका के अहम CPI महंगाई आंकड़ों से पहले डॉलर में हल्की मजबूती का असर कीमतों पर पड़ा। हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नरम (डोविश) संकेतों से कीमती धातुओं को समर्थन मिलता रहा, लेकिन डॉलर की मजबूती ने तेजी पर कुछ हद तक लगाम लगाई, जबकि चांदी रिकॉर्ड स्तरों के आसपास बनी रही।

नवंबर महीने में चांदी में तेज उछाल देखा गया था, जिसकी वजह कड़ी आपूर्ति, रुपये की कमजोरी और दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदें रहीं। MCX पर चांदी के मार्च वायदा भाव 0.47% गिरकर ₹2,06,451 प्रति किलोग्राम पर रहे। पिछले सत्र में चांदी ₹2,07,833 के नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंची थी और 5% की तेजी के साथ ₹2,07,760 पर बंद हुई थी।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट सिल्वर 0.2% बढ़कर 66.44 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई, जबकि पिछले सत्र में यह 66.88 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक गई थी। 2025 में अब तक चांदी करीब 120% चढ़ चुकी है, जो सोने की 65% बढ़त से कहीं ज्यादा है। इसे मजबूत औद्योगिक मांग, निवेश प्रवाह और वैश्विक भंडार में कमी का समर्थन मिला है।

सोने में भी शुरुआती कारोबार में नरमी दिखी। MCX पर फरवरी डिलीवरी वाले सोने के वायदा भाव 0.20% गिरकर ₹1,34,619 प्रति 10 ग्राम पर आ गए। वैश्विक बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.2% फिसलकर 4,332.29 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जबकि बुधवार देर रात इसमें 1% से ज्यादा की तेज बढ़त देखी गई थी। अमेरिकी सोने के वायदा भाव भी 0.2% गिरकर 4,364.70 डॉलर पर आ गए।

अन्य कीमती धातुओं में प्लैटिनम 3.6% उछलकर 1,966 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया, जो 17 साल से ज्यादा का उच्चतम स्तर है। वहीं पैलेडियम करीब 1% बढ़कर 1,663 डॉलर पर पहुंच गया, जो लगभग तीन साल का उच्च स्तर है।

चांदी का आउटलुक: विश्लेषकों को और तेजी की उम्मीद

चांदी की जबरदस्त तेजी और रफ्तार पकड़ती दिख रही है। विश्लेषकों का कहना है कि कीमतें और भी ऊंचे स्तर छू सकती हैं, क्योंकि धातु अब ऐसे दायरे में पहुंच रही है जो पहले कभी नहीं देखा गया। 65 डॉलर प्रति औंस के स्तर को मजबूती से पार करने के बाद चांदी 66 डॉलर से ऊपर निकल गई है। इसके पीछे वैश्विक आपूर्ति में कमी, सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग और 2026 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें हैं।

इस उछाल ने चांदी को कमोडिटी बाजार की चर्चा के केंद्र में ला दिया है। विशेषज्ञ इसे एक नए संरचनात्मक अपट्रेंड की शुरुआत बता रहे हैं।

चॉइस ब्रोकिंग के कमोडिटी और करेंसी एनालिस्ट आमिर मकड़ा के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि यह ब्रेकआउट कीमती धातु के लिए एक अहम मोड़ को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “65 डॉलर के स्तर को पार करना चांदी के लिए एक नए दौर की शुरुआत है। यह मील का पत्थर इस बात का संकेत है कि भविष्य उन्हीं ठोस, अहम और दुर्लभ कमोडिटीज का है, जो दीर्घकालिक औद्योगिक विकास की बुनियाद हैं।”

मकड़ा ने आगे कहा कि अमेरिका में बेरोजगारी दर के बढ़कर 4.6% पर पहुंचने से अगले साल फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है, जिससे बिना ब्याज देने वाली संपत्तियां, जैसे चांदी, निवेशकों के लिए और ज्यादा आकर्षक हो गई हैं।

चांदी की बुनियादी स्थिति (फंडामेंटल बैकड्रॉप) बेहद तंग बनी हुई है। यह धातु लगातार पांचवें साल आपूर्ति घाटे में है, जबकि सौर ऊर्जा से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण तक विभिन्न क्षेत्रों से वैश्विक मांग मजबूत हो रही है। भारतीय रुपये की कमजोरी ने भी घरेलू बाजार में चांदी की कीमतों को और तेज किया है। MCX पर चांदी के वायदा भाव ₹2,05,000 के स्तर से ऊपर निकल चुके हैं, जिससे 2025 में अब तक का रिटर्न करीब 134% तक पहुंच गया है।

मकड़ा ने यह भी कहा कि तकनीकी चार्ट अभी भी आगे और तेजी का समर्थन कर रहे हैं। तत्काल सपोर्ट 20-DEMA के पास ₹1,82,300 पर है। उनके मुताबिक, “अगर चांदी में 3% से 5% तक का करेक्शन आता है तो ट्रेडर्स को गिरावट पर खरीद (बाय ऑन डिप्स) के मौके तलाशने चाहिए, क्योंकि व्यापक रुझान मजबूती से तेजी के पक्ष में है।”

कोटक सिक्योरिटीज में एवीपी – कमोडिटी रिसर्च, कायनात चेनवाला के हवाले से कहा गया है कि इस रैली को मजबूत संरचनात्मक ताकतें सहारा दे रही हैं। उन्होंने कहा, “पहली बार 66 डॉलर के ऊपर चांदी का जाना कड़ी भौतिक आपूर्ति, मजबूत ETF निवेश, सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग और अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावना—इन सभी का एक साथ असर है। इसमें 2026 से चीन द्वारा चांदी के निर्यात पर संभावित प्रतिबंध की उम्मीद भी शामिल है, जो वैश्विक बाजार पर भारी दबाव डाल सकती है।”

स्पॉट सिल्वर की 2025 में अब तक की 120% बढ़त ने सोने की 65% बढ़त को काफी पीछे छोड़ दिया है। इसकी वजह सिर्फ कमी नहीं, बल्कि ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन में इसकी लगातार बढ़ती रणनीतिक भूमिका भी है। चूंकि चांदी को अब अमेरिका में ‘क्रिटिकल मिनरल’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए विश्लेषकों का मानना है कि इसके दीर्घकालिक लक्ष्य लगातार ऊपर की ओर बढ़ते रहेंगे। इसे संरचनात्मक आपूर्ति घाटे, भू-राजनीतिक जोखिम और तेज होती औद्योगिक मांग का समर्थन मिलता रहेगा।

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