कच्चे तेल के दामों में आई गिरावट, पर भारत के लिए अभी खतरा टला नहीं: वित्त मंत्रालय
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति की कमी नहीं है लेकिन बीमा लागत और चोक पॉइंट्स के बंद होने की आशंका से इसकी आयातित कीमत बढ़ने का खतरा बरकरार है.;
इज़राइल और ईरान के बीच हुए हाल ही में 12 दिन चले युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई थी जिसमें अब कमी लौटी है. लेकिन स्थिति पूरी तरह सामान्य हो गया है और भारत के लिए चुनौतियां खत्म हो गई है ये कहना अभी जल्दबाजी होगी.
वित्त मंत्रालय ने अपने मंथली रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल अच्छी स्थिति में है. महंगाई कम है, नीतियाँ विकास को सहारा दे रही हैं और बड़े आर्थिक संतुलन भी नहीं बिगड़े हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि अगर तेल की कीमतें ज़्यादा समय तक ऊंची बनी रहतीं तो इससे भारत की आर्थिक विकास और बजट पर बुरा असर पड़ सकता था. लेकिन अब युद्धविराम हो गया है और कीमतें कम हुई हैं, जो राहत की बात है.
हालांकि दुनिया में तेल की आपूर्ति काफी है, फिर भी समुद्री रास्तों (जैसे खाड़ी के रास्ते) में किसी भी रुकावट या बीमा लागत बढ़ने से भारत में तेल की कीमतें फिर बढ़ सकती हैं. मंत्रालय ने कहा कि अभी जोखिम कम हुआ है, लेकिन पूरी तरह खतरा टला नहीं है. आने वाले समय में भारत को संतुलन साधते हुए आगे बढ़ना होगा और भारत की स्थिति इसमें कई देशों से बेहतर है.
सरकार खेती, फैक्ट्रियों, संसाधनों और तकनीक के ज़रिए देश की क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट में कहा गया कि ये समय थोड़े चिंता वाले हैं, लेकिन भारत के लिए नए मौके भी ला सकते हैं. अब यह हम पर है कि हम इनका फायदा कैसे उठाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनी हुई है. वित्त वर्ष 2024-25 में देश की GDP 6.5% बढ़ी है. यह तब हुआ जब दुनिया में राजनीतिक तनाव और व्यापार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी. इस विकास की वजह ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च बढ़ना, निवेश में स्थिरता और निर्यात में सुधार है. सेवाओं का क्षेत्र (जैसे बैंकिंग, होटल, आईटी आदि) भी बड़ी भूमिका निभा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूत है घरेलू मांग अच्छी है, महंगाई काबू में है, विदेशी व्यापार स्थिर है और नौकरियों की स्थिति ठीक है.
हालाँकि दुनिया की अर्थव्यवस्था को अभी भी कई मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं जैसे ट्रे़ड वॉर, नीतियों को लेकर उलझन और राजनीतिक तनाव शामिल है. इनका असर भारत पर भी पड़ सकता है, इसलिए स्थिति पर लगातार नजर रखनी जरूरी है.