"मौजूदा आर्थिक मुश्किल का बोझ डाला जाए मजबूत जेब वालों पर" वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा

आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) ने कहा, अगर मौजूदा आर्थिक मुश्किलों का बोझ ऐसे लोगों पर डाल दिया जाए जिनकी वित्तीय हालत मजबूत है और इसे बर्दाश्त करने की क्षमता रखते हैं;

Update: 2025-08-28 12:12 GMT

अमेरिका (United States) के भारत पर 50 फीसदी टैरिफ का भारत पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है. वित्त मंत्रालय ने अपने मंथली इकोनॉमिक रिव्यू (Monthly Economic Review) जारी किया है उसमें ये बातें कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत के गुड्स एक्सपोर्ट के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है और अब भारत के कई मर्केंडाइज एक्सपोर्ट्स पर ऊँचे टैरिफ लागू होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक टैरिफ को लेकर ये अनिश्चितता दूर नहीं होती और ड्यूटी कम नहीं होती,भारत को इनका असर झेलना पड़ सकता है.

मजबूत वित्तीय हालत वालों पर डाला जाए आर्थिक बोझ

वित्त मंत्रालय (Ministry Of Finance) के आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, " टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण फिलहाल आर्थिक गतिविधियों, खासकर निर्यात और निवेश, पर खतरा बना हुआ है. लेकिन यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें तो इसका असर कम किया जा सकता है. अगर चुनौतियों को सही ढंग से संभाला जाए तो वे हमें और मजबूत और लचीला बनाती हैं.

अगर मौजूदा आर्थिक मुश्किलों का बोझ ऐसे लोगों पर डाल दिया जाए जिनकी वित्तीय हालत मजबूत है और इसे बर्दाश्त करने की क्षमता रखते हैं तो इन व्यापारिक संकट के बाद भी छोटे और मध्यम उद्योग इन मुश्किलों से और मजबूत होकर निकलेंगे. ऐसे में ये यही समय है राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सोच समझकर कदम उठाने की." हालांकि रिपोर्ट में ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस प्रकार का बोझ डाला जाए.

टैरिफ बन सकता है अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती

रिपोर्ट के आउटलुक में कहा गया कि, हाल ही में अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का भारत के निर्यात पर तुरंत असर भले ही कम दिखे, लेकिन इनके अप्रत्यक्ष और आगे चलकर होने वाले असर अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन सकते हैं. ऐसे में चल रही भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड को लेकर होने वाली बातचीत बहुत मायने रखती है.

ग्लोबल ट्रेड पर संकट के बादल

वित्त मंत्रालय के मंथली इकोनॉमिक रिव्यू के मुताबिक, टैरिफ से जुड़े अनिश्चितताओं, जियोपॉलिटिकल टेंशन और सप्लाई-चेन में व्यवधानों का ग्लोबल ट्रेड पर बड़ा असर पड़ा है. इसके बावजूद, कुछ मजबूती बनी हुई है—ऐसा इसलिए क्योंकि कई देशों ने टैरिफ की समय सीमा से पहले ही ज्यादा इंपोर्ट कर लिया है और व्यापक आर्थिक स्थिति में भी सुधार है. इसके बावजूद नकारात्मक असर आगे दिख सकता है. WTO के मुताबिक, 2025 में ग्लोबल मर्केंडाइज एक्सपोर्ट केवल 0.9% के दर से बढ़ेगा जबकि टैरिफ बढ़ने से पहले यह अनुमान 2.7 फीसदी जताया जा रहा था. यानी आने वाले समय में खासकर 2025 के अंत और 2026 में व्यापार और धीमा पड़ सकता है. वैश्विक ट्रेड माहौल में अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे कारोबारी भरोसा, निवेश और सप्लाई चेन प्रभावित हो रहे हैं. ट्रेड पॉलिसी अनसर्टेनटी इंडेक्स (Trade Policy Uncertainty Index), जो अप्रैल 2025 के बाद घट रहा था, जुलाई 2025 में फिर 17.4% बढ़ गया है.

अमेरिका भारत के गुड्स का बड़ा बाजार

वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, अमेरिका भारत के गुड्स एक्सपोर्ट के बड़े मार्केट में शामिल है और कई उत्पादों पर हाई टैरिफ लागू होंगे. जब तक यह अनिश्चितता दूर नहीं होती और ड्यूटी कम नहीं होती, भारत को इनका असर झेलना पड़ेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, अभी आर्थिक गतिविधियों पर, खासकर निर्यात और निवेश (कैपिटल फॉर्मेशन) पर, टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं का असर पड़ सकता है. लेकिन सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें तो इन झटकों को कम किया जा सकता है.

Exporters के लिए सरकार से राहत पैकेज की मांग

एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों की संस्था FIEO ने भी सरकार से तत्काल राहत पैकेज की मांग करते हुए ब्याज पर छूट वाली स्कीम और एक्सपोर्ट क्रेडिट सपोर्ट देने की मांग की है जिससे वर्किंग कैपिटल और नगदी की उपलब्धता बनी रहे. साथ ही एक साल के लिए लोन के मूलधन और ब्याज के भुगतान पर मोरोटोरियम की भी मांग की गई है. 

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