सोना पहली बार 4000 डॉलर प्रति औंस के पार, जानें सोने में क्यों जारी रहेगी ये तेजी
2025 में सभी एसेट क्लास में सोने ने सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले एसेट्स में से एक है, जिसकी कीमत अब तक 53% बढ़ चुकी है, जबकि 2024 में यह 27% बढ़ी थी.
सोने की कीमत पहली बार अपने ऐतिहासिक हाई 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच जा पहुंची है. इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड 0.9% बढ़कर 4,017.16 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया, जबकि दिसंबर डिलीवरी के लिए अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स 0.9% बढ़कर 4,040 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है.
2025 में सोने ने दिया 53 फीसदी रिटर्न
सोने की कीमतों में आई उछाल के कारणों पर नजर डालें तो वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित निवेश की ओर निवेशकों का बढ़ता रुझान और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों के चलते सोने में ये तेजी आई है. दरअसल अनिश्चितता और अस्थिरता के समय में हमेशा से सोना सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) माना जाता है. 2025 में सभी एसेट क्लास में सोने ने सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले एसेट्स में से एक है, जिसकी कीमत अब तक 53% बढ़ चुकी है, जबकि 2024 में यह 27% बढ़ी थी.
1.50 लाख तक जाएगा सोने का भाव
सोने में इस आई तेजी के बाद क्या यहां से और तेजी की गुंजाइश है और क्या इस लेवल पर भी सोना खरीदना चाहिए इस सवाल पर Prithvi Finmart में कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च हेड डायरेक्टर मनोज कुमार जैन ने द फेडरल देश से बात करते हुए कहा, लंबी अवधि के निवेशक इस लेवल पर भी खरीद सकते हैं और एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं. लंबी अवधि में सोने-चांदी का ट्रेंड पॉजिटिव बेहतर रहा है. उन्होंने कहा, लंबी अवधि में सोने-चांदी ने हमेशा अच्छा रिटर्न गिया है. मनोज कुमार जैन ने सोने के दामों के लक्ष्य के बारे में बताया कि, मेरा लक्ष्य है कि इंटरनेशनल मार्केट में 2027 तक 4800 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है और भारतीय बाजारों में सोना 1,50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल तक जा सकता है.
Goldman Sachs ने 4900 डॉलर की कर दी भविष्यवाणी
दरअसल ग्लोबल इंवेस्टमेंट बैंक Goldman Sachs ने ये भविष्यवाणी किया है कि सोना 4900 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है. तो कुछ जानकारों की नजर अब अगले बड़े आंकड़े 5,000 डॉलर प्रति औंस पर है, क्योंकि फेड ब्याज दरों में कटौती जारी रख सकता है. सोने की तेजी के पीछे कई कारण हैं ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें, राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता, केंद्रीय बैंकों की खरीद, ETFs में निवेश बढ़ना और कमजोर अमेरिकी डॉलर.
इन कारणों के चलते बढ़ रही कीमत
अमेरिकी सरकार का शटडाउन मंगलवार को सातवें दिन में पहुंच गया, जिससे प्रमुख आर्थिक आंकड़ों की घोषणा टल गई है. निवेशक अब गैर-सरकारी डेटा के सहारे यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि फेड अगली बार कब और कितनी दर घटाएगा. अब बाजार को उम्मीद है कि इस महीने फेड 25 बेसिस पॉइंट और दिसंबर में फिर 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा. फ्रांस और जापान में राजनीतिक अस्थिरता ने भी सोने की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग को बढ़ाया है. विश्लेषकों का मानना है कि ETFs में निवेश, केंद्रीय बैंकों की खरीद और अमेरिकी ब्याज दरों में कमी की संभावना के चलते 2026 में सोने की कीमतें मजबूत बनी रहेगी. इसी वजह से गोल्डमैन सैक्स और यूबीएस जैसे बैंकों ने अपने सोना को लेकर अपने अनुमान बढ़ा दिए हैं.