क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस बढ़ते मेडिकल खर्चों को पूरा करने के लिए है पर्याप्त? सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा

जानकारी की कमी के कारण ज्यादातर लोग हेल्थ इंश्योरेंस को पर्याप्त मानते हैं लेकिन जैसे ही क्लेम करने की नौबत आती है तो उनका सामना सच्चाई के साथ होता है तब उन्हें एहसास होता है कि मेडिकल खर्चों के लिए ये पर्याप्त हीं है.;

Update: 2025-05-19 08:12 GMT
हेल्थ इंश्योरेंस (प्रतिकात्मक फोटो)

Health Insurance: देश में अभी भी हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव है. शहरी भारत में रहने वाले ऐसे लोग जिन्होंने हेल्थ इंश्योरेंस लिया है उनमें से एक तिहाई ही ऐसे लोग है जिन्हें अपने स्वास्थ्य बीमा कवरेज की जानकारी है. ऐसे में जानकारी के अभाव के चलते ज्यादातर पॉलिसी धारकों के लिए जब तक क्लेम करने की नौबत नहीं आती है वे अपने हेल्थ इंश्योरेंस को पर्याप्त मानकर चलते हैं. लेकिन जैसे ही पॉलिसी धारक क्लेम करने जाते हैं तब उन्हें ये एहसास होता है कि उनकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मेडिकल खर्चों का बोझ उठाने के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसे में पॉलिसीधारक ज्यादा बिल को लेकर असुरक्षित महसूस करने के साथ चिंताओं में घिर जाते हैं. एक सर्वे के मुताबिक तीन-चौथाई से ज्यादा पॉलिसीधारक मानते हैं कि उनका हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी महंगाई और मेडिकल खर्चों के लिए पर्याप्त नहीं है.

क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस है काफी!

फ्यूचर जेनराली इंडिया इंश्योरेंस (Future Generali India Insurance) ने हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर एक सर्वे किया है. इस सर्वे में पाया गया कि भारत में हेल्थ इंश्योरेंस प्लान बढ़ती महंगाई के बावजूद बेहद लिमिटेड कवरेज प्रदान करती हैं और एक बार में ही इस्तेमाल करने के बाद पूरी तरह खत्म हो जाती है जिससे भविष्य की जरूरतों के दौरान पर्याप्त नहीं रह पाती है. फ्यूचर जेनराली मेट्रो और नॉन मेट्रो शहरों में 7 से 16 अप्रैल 2025 के बीच हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों के बीच सर्वे किया. इसमें 74 फीसदी पुरुष और 26 फीसदी महिलाएं थीं. जिन लोगों के बीच सर्वे किया गया उसमें 65 फीसदी मेट्रो और 35 फीसदी नॉन-मेट्रो के लोग शामिल थे. सर्वे का मकसद ये समझना था कि लोग अपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में कितनी जानकारी रखते हैं. क्या ये पर्याप्त है? और उन्हें क्लेम करने के दौरान किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सर्वे के मुताबिक, बीमा कवरेज की कम जानकारी होने के चलते 3 में से 2 लोग मानते हैं कि उनका हेल्थ इंश्योरेंस आकस्मिक परिस्थितियों के लिए पर्याप्त है.जबकि 3 में से केवल 1 पॉलिसीधारक यानी 32 फीसदी लोगों को अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की पूरी जानकारी है.

बीमा कवरेज की खामियां

सर्वे के मुताबिक 3 में से 2 लोगों ने इंश्योरेंस क्लेम करते समय खुद को असुरक्षित और चिंतित महसूस किया क्योंकि उनका बीमा कवर पहले ही समाप्त हो चुका था. 61% लोगों को बहुत ज्यादा मेडिकल बिल मिला जो बीमा से पूरा कवर नहीं हो सका. जिन लोगों ने सर्वे में भाग लिया उनमें 43% लोगों ने बताया कि उन्हें ऐसे खर्चों का बिल अस्पताल ने दिया जो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल नहीं था. 32% लोगों को अस्पताल के नेटवर्क में शामिल ना होने के कारण अपनी जेब से बिल का भुगतान करना पड़ा.

महंगाई के मद्देनजर क्या पर्याप्त है बीमा?

सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर पॉलिसीधारक के मन में बढ़ती महंगाई को देखते हुए अपने मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को लेकर संदेह है. 8 में से 6 लोग यानी 78% मानते हैं कि मेडिकल खर्चों की लागत में बढ़ोतरी के मद्देनजर उनका मौजूदा बीमा पॉलिसी इसे पूरा नहीं करने में सक्षम नहीं है. केवल 22 फीसदी ही ऐसे लोग हैं जो अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को पर्याप्त मानते हैं.

बेहतर बीमा कवरेज की मांग

सर्वे के मुताबिक 82% लोग बढ़ती महंगाई के कारण आर्थिक परेशानियों को लेकर चिंतित रहते हैं. 81% लोग स्वास्थ्य बीमा लेते समय तनाव, उलझन और चिंता महसूस करते हैं. ऐसे में 92 फीसदी लोग ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना चाहते हैं जिसमें क्लेम की रकम की सीमा खत्म होने के बावजूद बगैर कोई एडिशनल चार्ज दिए दोबारा कवरेज मिल जाए. इससे साफ है कि अर्बन इलाकों में केवल एक-तिहाई को ही अपने बीमा की कवरेज की पूरी जानकारी है. और जब तक क्लेम करने की नौबत नहीं आती है उ्हें अपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की खामियों का पता नहीं लगता है.

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