Zepto और Blinkit जैसे ऐप कैसे वसूलते हैं गुप्त शुल्क? पूरी जानकारी
क्यू-कॉम फर्मों पर उपभोक्ता अधिकार विशेषज्ञ सीएजी की एस सरोजा बता रही हैं कि यूजर्स स्विगी और ज़ोमैटो जैसे बड़े किराना ऐप्स से क्यों दूर हो रहे हैं।;
क्या आप Zepto, Blinkit, Swiggy Instamart जैसी क्विक-कॉमर्स सेवाओं से सामान मंगवाते हैं और हर बार बिल में अलग-अलग चार्ज देखकर चौंक जाते हैं? उपभोक्ता अधिकारों की विशेषज्ञ एस. सरोजा (Consumer Action Group- CAG) ने The Federal को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि किस तरह ये डिलीवरी प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं से स्पष्ट जानकारी दिए बिना अनेक शुल्क वसूलते हैं और उपभोक्ताओं को क्या कदम उठाने चाहिए।
उपभोक्ताओं पर थोपे जा रहे हैं कई अनदेखे चार्ज
सरोजा बताती हैं, “हर ऑर्डर पर उपभोक्ता प्लेटफॉर्म शुल्क, बारिश शुल्क, हैंडलिंग शुल्क आदि चुका रहे हैं, लेकिन ज़्यादातर को यह पता भी नहीं होता कि वे क्या दे रहे हैं। कंपनियों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे हर शुल्क को स्पष्ट रूप से दर्शाएं। उपभोक्ताओं को भी अधिक सतर्क और जागरूक होना होगा। खासतौर पर जब ऑनलाइन और स्टोर पर सामान की कीमत में अंतर हो। उनका कहना है कि यदि कोई उपभोक्ता सुविधा के नाम पर अतिरिक्त भुगतान करता है, तो यह उसकी जानकारी के आधार पर ली गई स्वैच्छिक पसंद होनी चाहिए, न कि गुमराह करने के कारण।
उपभोक्ता बार-बार ये ऐप्स क्यों इस्तेमाल करते हैं?
सरोजा कहती हैं, “सबसे बड़ा कारण है डिलीवरी की गति। घर बैठे तेजी से सामान पहुंचना एक बड़ी सुविधा है। जब ऐप उपयोग में आसान होता है और ग्राहक को एक ही स्थान पर सारी चीज़ें मिल जाती हैं, तो भरोसा बढ़ता है। साथ ही अगर प्रोडक्ट समय पर और अपेक्षा के अनुसार आता है, तो ग्राहक बार-बार उसी प्लेटफॉर्म पर जाता है।”
क्या ये प्लेटफॉर्म पारदर्शिता बरतते हैं?
हमेशा नहीं, सरोजा मानती हैं। हालांकि, 2019 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत गठित केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) इस पर निगरानी रख रहा है।
कुछ उदाहरण
iPhone यूज़र्स से ज़्यादा शुल्क वसूलने के मामले में जांच
Zepto को 10 मिनट डिलीवरी के दावे को साबित करने के लिए नोटिस
डार्क पैटर्न्स (ऐसे डिज़ाइन जो उपभोक्ताओं को भ्रमित करें) को रोकने के लिए दिशा-निर्देश
अगर डिलीवरी ऐप ने ठगा तो क्या करें?
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 1915 पर कॉल करें, शिकायत दर्ज की जाती है और दूसरी पार्टी से फॉलोअप होता है। Consumer Action Group (CAG) जैसे संगठनों से संपर्क करें। ये कंपनियों से बातचीत में आपकी तरफ से बात रख सकते हैं। उपभोक्ता आयोग (पूर्व में उपभोक्ता अदालत) में शिकायत दर्ज करें।
न्याय पाने का औपचारिक तरीका
क्या छोटे, स्थानीय ऐप्स विकल्प बन सकते हैं? हां, सरोजा मानती हैं कि Zaroor जैसे तमिलनाडु-आधारित ऐप जो कम शुल्क लेते हैं और स्थानीय ज़रूरतें बेहतर समझते हैं, उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल सकती है।यदि ये प्लेटफॉर्म स्थानीय विक्रेताओं से अच्छे रिश्ते बनाएं, कीमतें कम रखें और उपभोक्ता संतुष्टि को प्राथमिकता दें, तो वे बड़ी राष्ट्रीय कंपनियों का विकल्प बन सकते हैं, सरोजा कहती हैं।
डिजिटल सुविधा के इस युग में उपभोक्ताओं को सजग रहने की आवश्यकता है। शुल्कों की पारदर्शिता, सेवा की गुणवत्ता और उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी ये तीनों आज के ऑनलाइन उपभोक्ता की प्राथमिक जरूरत बन चुके हैं।