टैरिफ वॉर के चलते टेक्सटाइल सेक्टर को राहत, कपास के आयात पर 31 दिसंबर तक नहीं देना होगा इंपोर्ट ड्यूटी और सेस

भारत अपने कुल टेक्सटाइल्स अपैरल का 35 फीसदी यानी 10.8 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट अमेरिका को करता है. लेकिन 63.9 फीसदी टैरिफ के चलते इस सेक्टर के एक्सपोर्ट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.;

Update: 2025-08-28 07:39 GMT

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाये गए 50 फीसदी टैरिफ से टैक्सटाइल्स सेक्टर को लगने वाले झटके से उबारने के लिए वित्त मंत्रालय ने महज 10 दिनों में अपने पुराने फैसले को बदलते हुए कपास (Cotton) पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं वसूलने के फैसले के डेडलाइन को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है. कॉटन के इंपोर्ट पर कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस भी नहीं वसूला जाएगा. डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने इस फैसले को लेकर गजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.

31 दिसंबर तक के कपास के आयात इंपोर्ट ड्यूटी सस्पेंड

सरकार के इस फैसले के पीछे तर्क को देखें तो ये माना जा रहा है कि कपास पर 31 दिसंबर तक इम्पोर्ट ड्यूटी और सेस नहीं वसूलने के फैसले से टेक्सटाइल सेक्टर से इंडस्ट्री के लिए सस्ते कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ेगी,प्रोडक्शन लागत घटेगी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सेक्टर को फायदा मिलेगा. इसके अलावा ट्रंप के टैरिफ के चलते लाखों की संख्या में रोजगार को बचाया जा सकेगा और MSMEs को मजबूती मिलेगी.

वित्त मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन

सरकार ने कच्चे कपास की सप्लाई को बढ़ाने के मकसद और फसल कटाई के मौसम से पहले कीमतों को स्थिर रखने के लिए अगले चार महीनों तक के लिए इंपोर्ट ड्यूटी और सेस वसूली को सस्पेंड किया है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने पहले 18 अगस्त को जारी नोटिफिकेशन के तहत कपास पर 30 सितंबर तक इंपोर्ट ड्यूटी वसूली पर रोक लगाने का फैसला किया था. लेकिन 28 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर रहा कहा कि इस इंपोर्ट ड्यूटी नहीं वसूलने की समय सीमा को 31 दिसंबर यानी इस वर्ष के आखिर तक के लिए बढ़ा दिया है. कपास के इंपोर्ट पर फरवरी 2021 से 11% टैरिफ लगता था, जिसमें 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी और 5% कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस शामिल था.

11 फीसदी की जगह 63.9 फीसदी लगेगा टैरिफ

सरकार के इस फैसले को अमेरिका के टैरिफ वॉर से भी जोड़कर देखा जा रहा है. इंपोर्ट ड्यूटी हटाने से उन मिलों को राहत मिलेगी जो ऊँची लागत से जूझ रही हैं, साथ ही धागा और कपड़ा निर्यातकों को भी मदद मिलेगी जिन्हें भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था. दरअसल ट्रंप के टैरिफ के चलते भारत से गार्रेमेंट्स एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है. ऐसे में एक्सपोर्टर्स को राहत देने के मकसद से भी ये फैसला लिया गया है. भारत अपने कुल टेक्सटाइल्स अपैरल का 35 फीसदी यानी 10.8 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट अमेरिका को करता है. लेकिन 63.9 फीसदी टैरिफ के चलते इस सेक्टर के एक्सपोर्ट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. 

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