पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने का भारत ने किया विरोध, जानें है क्या IMF की Extended Fund Facility

क्सटेंडेड फंड फैसिलिटी एक ऐसा विशेष प्रोग्राम है जो उन देशों की मदद करता है जो छोटी से लेकर मध्यम अवधि के बेहद गंभीर वित्तीय और आर्थिक संकट से जूझ रहे होते हैं.;

Update: 2025-05-10 10:55 GMT
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड

IMF Extended Fund Facility: इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने शुक्रवार 9 मई 2025 को पाकिस्तान को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (Extended Fund Facility) के तहत एक बिलियन डॉलर के लोन देने की समीक्षा की साथ में लचीलापन और सततता सुविधा (RSF) के तहत 1.3 बिलियन डॉलर के नए लोन देने पर भी विचार किया है. भारत ने पाकिस्तान को कर्ज देने का पुरजोर विरोध किया और वोटिंग में शामिल नहीं हुआ. भारत ने पाकिस्तान को वित्तीय मदद करने के फैसले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है और ये भी संभावना है कि उसे मिलने वाले कर्ज का इस्तेमाल वो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है.

पाकिस्तान ने नहीं किया IMF से मिले कर्ज का सही इस्तेमाल

भारत ने बैठक में कहा पाकिस्तान बार-बार आईएमएफ से मदद लेता है. पिछले 35 सालों में 28 बार उसे पैसे मिले, लेकिन उसने कभी भी जिम्मेदारी से उन पैसों का इस्तेमाल नहीं किया गया. भारत ने कहा कि पाकिस्तान के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उसे कर्ज देना खतरनाक हो सकता है. खासकर तब, जब उस देश की सेना न सिर्फ राजनीति बल्कि अर्थव्यवस्था में भी गहरी दखल देती है. वहां सेना सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि कारोबार और निवेश जैसे क्षेत्रों में भी अपना दबदबा बनाए हुए है. भारत ने आईएमएफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए में कहा गया है कि पाकिस्तान को बार-बार कर्ज राजनीतिक वजहों से मिलता है. और जब किसी देश पर इतना कर्ज चढ़ जाए, तो उसके फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है कि IMF भी उसे मना नहीं कर पाता है. आपको बता दें जुलाई 2024 में आईएमएफ ने पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर का मदद देने का फैसला किया था. 

क्या होता है Extended Fund Facility

सवाल उठता है क्या होता है एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (Extended Fund Facility) ? आईएमएफ ने अपने वेबसाइट पर एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी को लेकर एफएक्यू ( Frequently Asked Questions) जारी किया है जिसमें बताया गया है कि किस स्थिति में इस स्कीम के तहत देशों के कर्ज उपलब्ध कराया जाता है. आईएमएफ के मुताबिक, ईएफएफ यानी एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी एक ऐसा विशेष प्रोग्राम है जो उन देशों की मदद करता है जो छोटी से लेकर मध्यम अवधि के बेहद गंभीर वित्तीय और आर्थिक संकट से जूझ रहे होते हैं.

आईएमएफ EFF के तहत केवल देशों को केवल कर्ज ही नहीं देता है, बल्कि उस देश के लिए एक लंबी अवधि की योजना भी तैयार करता है जिससे वह खुद को पटरी पर ला सके. इसमें कर्ज चुकाने से लेकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उस देश को पूरा समय भी दिया जाता है.

कितनी जल्दी IMF से मिलती है रकम

आईएमएफ की कार्यकारी बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद फौरन उस देश को कर्ज के तौर पर दी जाने वाले रकम को जारी कर दी जाती है.लेकिन लोन की पूरी राशि एक साथ नहीं दी जाती है. प्रत्येक किस्त का भुगतान उस देश के लिए तय परफॉर्मेंस मापदंडों और कार्यक्रम के समीक्षा करने के बाद जारी किया जाता है. आईएमएफ के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी का लक्ष्य किसी भी देश को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना है.

कर्ज पर देना होता है ब्याज भी

एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत 3 से 4 सालों के अवधि में सुधार के लिए उठाये कदम को देखते हुए लोन की रकम जारी की जाती है. साढ़े चार से 10 वर्षों में 12 समान किस्तों में कर्ज लौटाना होता है. जब कोई देश इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) से कर्ज लेता है, तो उस पर एक निश्चित ब्याज दर लगती है. यह ब्याज दर कई हिस्सों से मिलकर बनती है. एक बाजार द्वारा निर्धारित 'स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR)' ब्याज दर जो कभी भी 0.05% (5 बेसिस प्वाइंट) से कम नहीं होती है और एक मार्जिन, जो इस समय 0.60% (60 बेसिस प्वाइंट) है.

अगर कोई देश अपने कोटे के 300% से अधिक कर्ज लेता है, तो उस अतिरिक्त राशि पर 2% (200 आधार अंक) का सरचार्ज देना पड़ता है. और अगर यह कर्ज तीन साल से ज़्यादा समय तक बना रहता है, तो सरचार्ज 2.75% (275 बेसिस प्वाइंट) हो जाता है. यह नियम इसलिए है ताकि कोई देश IMF संसाधनों का जरूरत से ज़्यादा या लंबे समय तक उपयोग न करें. 

Tags:    

Similar News