वैश्विक अनिश्चितता और Tariff War से धीमी होगी GDP ग्रोथ, शहरी आय में कमी से निवेश और खपत पर असर

वैश्विक विकास 2025-26 में धीमा हो सकता है, लेकिन भारत पर असर कम होगा. अप्रैल 2025 के आंकड़े बताते हैं कि उद्योग और व्यापार मज़बूत स्थिति में हैं. अच्छी रबी फसल, अधिक बुवाई और बेहतर मानसून की वजह से खाद्य महंगाई कम हो रही है.;

Update: 2025-05-30 14:09 GMT
चौथी तिमाही में 7.5 फीसदी रहे जीडीपी आंकड़े

वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए 7.4 फीसदी के दर से ग्रोथ दिखाया है. पूरे साल के लिए 6.5 फीसदी का डेटा MOSPI के दूसरे अनुमान के अनुरूप है. चौथी तिमाही में कृषि और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र ने शानदार ग्रोथ दिखाया है. पर सवाल उठता है कि वित्त वर्ष 2024-25 अब पीछे छूट चुका है. लेकिन मौजूदा वैश्विक उठापटक और ट्रंप के टैरिफ वॉर को देखते हुए 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गाड़ी पटरी पर तेज दौड़ेगी या रफ्तार धीमी होगी.

कैसे रहेगा FY26 में ग्रोथ आउटलुक

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के आउटलुक को लेकर कहा, दुनिया में बढ़ती अनिश्चितता के बीच, 2025 और 2026 में वैश्विक विकास धीमा हो सकता है. लेकिन भारत पर इसका असर कम होगा.

उन्होंने कहा, 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3% से 6.8% की दर से बढ़ेगी. इसमें निजी खर्च, खासकर ग्रामीण इलाकों में इसमें सुधार आया है, और सेवाओं का निर्यात अहम भूमिका निभाएंगे. उन्होंने बताया कि कई संस्थाओं ने भारत के ग्रोथ रेट को 6.3% से 6.7% के बीच रहने का अनुमान जताया है.

वी अनंत नागेश्वरण के मुताबिक, अप्रैल 2025 के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में फैक्ट्री और व्यापार से जुड़ी गतिविधियाँ में तेजी रही है. रबी फसल अच्छी रही, गर्मियों में बुवाई ज़्यादा हुई, सरकारी खरीद अच्छी रही और मानसून सामान्य से बेहतर रहा है जिससे खाने-पीने की चीज़ों की महंगाई कम हुई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, भारत का निर्यात मज़बूत बना हुआ है और विदेशी मुद्रा भंडार से 11 महीनों तक  आयात करने के लिए पर्याप्त है.

कच्चे तेल की कीमतें घटने से भारत को फायदा

वी अनंत नागेश्वरण ने कच्चे तेल के दामों में कमी पर संतोष जताते हुए कहा, कच्चे तेल की कीमतें घट रही हैं, जिससे भारत का आयात खर्च कम होगा, सरकार को राहत मिलेगी और बाहरी दबाव घटेंगे. दुनिया भर में अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंक अलग रास्ता अपना रहे हैं, जिससे पूंजी निवेश और शेयर बाजार पर असर देखने को मिल सकता है. 

GDP डेटा उम्मीद से बेहतर

CareEdge रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने जीडीपी डेटा पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, FY25 की चौथी तिमाही में GDP ग्रोथ 7.4% रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है. पूरे साल की GDP ग्रोथ 6.5% रही है जो MOSPI के दूसरे अनुमान के अनुरूप है. उन्होंने बताया, GVA ग्रोथ 6.8% रही, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और फाइनेंशियल सेवाओं का अहम योगदान रहा है. खेती-किसानी में ग्रोथ अच्छी रही, हालांकि थोड़ी धीमी हुई है.

कुंभ के बावजूद ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट का फीका प्रदर्शन

रजनी सिन्हा के मुताबिक कुंभ जैसे बड़े त्योहार के बावजूद ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं में ग्रोथ धीमी रही है. ग्रामीण खपत मजबूत रही, लेकिन कम वेतन वृद्धि की वजह से शहरी खपत थोड़ी कमजोर रही है. कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग की रिकवरी अनुमान के मुताबिक रही. उन्होंने बताया कि तीसरी तिमाही में मजबूत खर्च का असर चौथी तिमाही में दिख रहा है. जबकि सरकार ने जनवरी-फरवरी 2025 में पूंजीगत खर्च (Capex) थोड़ा कम किया है. उन्होंने कहा, अच्छी खेती, अच्छे मानसून और कम महंगाई की वजह से ग्रामीण मांग बनी रहेगी लेकिन शहरी मांग अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है.

रजनी सिन्हा के मुताबिक, टैक्स राहत और RBI की ब्याज दरों में कटौती से डिमांड को सपोर्ट मिल सकता है. लेकिन वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिका के टैरिफ से निजी निवेश पर असर पड़ सकता है. उन्होंने FY26 में GDP ग्रोथ रेट 6.2% रहने का अनुमान जताया है.

कमजोर शहरी इनकम कमजोर कड़ी

Emkay Global की मुख्य अर्थशास्त्री, माधवी अरोड़ा ने कहा, Q4 की तेज ग्रोथ सरकार और राज्यों द्वारा की गई बड़ी खर्च की वजह से दिखी है, खासकर Capex (बुनियादी ढांचे पर खर्च) के चलते हुए ये हुआ है. FY25 की ग्रोथ सरकार के अनुमान के मुताबिक रही है लेकिन FY26 में वैश्विक अनिश्चितता और कमजोर शहरी इनकम के कारण निवेश और खपत प्रभावित हो सकते हैं. हालांकि, RBI की ब्याज दरों में नरमी और रेगुलेटरी ढील से थोड़ी राहत मिल सकती है. 

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