हॉर्मुज संकट से पहले भारत ने बदली दिशा, रूस से कच्चे तेल का रिकॉर्ड आयात

ईरान-इज़राइल तनाव के बीच भारत ने जून में रूस से रिकॉर्ड स्तर पर तेल आयात किया, जो सऊदी, इराक जैसे खाड़ी देशों से कुल आयात से भी अधिक है।;

Update: 2025-06-22 06:17 GMT
मई में रूस से भारत का तेल आयात 1.96 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था। प्रतीकात्मक तस्वीर

India oil imports: ईरान पर इज़राइल और अमेरिका द्वारा किए गए ताजा सैन्य हमलों से पैदा हुई भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच भारत ने जून महीने में रूस से कच्चे तेल का आयात तेज कर दिया है। भारत ने खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत से कुल मिलाकर जितना तेल खरीदा, उससे भी ज़्यादा केवल रूस से आयात किया।

जून में भारत द्वारा रूस से प्रतिदिन 20 से 22 लाख बैरल तेल खरीदे जाने की संभावना है, जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है। मई में यह आंकड़ा 19.6 लाख बैरल प्रतिदिन था। यह जानकारी वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म Kpler ने दी है। इसी दौरान अमेरिका से तेल आयात में भी तेजी आई है। जून में अमेरिका से भारत ने 4.39 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात किया, जबकि मई में यह आंकड़ा 2.8 लाख बैरल था। Kpler के अनुसार, जून में मध्य पूर्व से भारत का कुल आयात लगभग 20 लाख बैरल प्रतिदिन रह सकता है, जो पिछले महीने की तुलना में कम है।

यूक्रेन युद्ध के बाद से बदली रणनीति

भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है, हर दिन लगभग 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है। पारंपरिक रूप से भारत मध्य पूर्व पर निर्भर रहा है, लेकिन फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, भारत ने भारी छूट पर मिलने वाले रूसी तेल की ओर रुख किया। पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय देशों की दूरी के चलते रूस ने एशियाई देशों को आकर्षक दरों पर तेल बेचना शुरू किया, जिससे भारत का रूसी तेल आयात कुल आयात का 40-44% तक पहुँच गया।

मध्य पूर्व संकट का असर अब तक सीमित

Kpler के लीड रिसर्च एनालिस्ट सुमित रितोलिया के मुताबिक, "अब तक तेल की आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई है, लेकिन जहाज़ों की गतिविधि संकेत दे रही है कि आने वाले दिनों में मध्य पूर्व से लोडिंग में गिरावट आ सकती है।" उन्होंने कहा कि टैंकर मालिक अब खाड़ी क्षेत्र में खाली जहाज भेजने से हिचक रहे हैं। ओमान की खाड़ी से MEG (Middle East Gulf) के लिए रवाना होने वाले खाली जहाजों की संख्या 69 से घटकर 40 रह गई है।

हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य बना केंद्र बिंदु

हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य, जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान व UAE के बीच स्थित है, सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत और यूएई जैसे देशों के लिए तेल निर्यात का मुख्य मार्ग है। इसी रास्ते से क़तर जैसे देशों से बड़ी मात्रा में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का निर्यात भी होता है। भारत अपनी लगभग 40% तेल और आधी गैस आयात इसी जलमार्ग से करता है।

तेहरान ने इज़राइल के हमलों के बाद इस जलमार्ग को बंद करने की धमकी दी है, जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति संकट में आ सकती है। ईरानी कट्टरपंथियों ने जहां हॉर्मुज़ को बंद करने की धमकी दी है, वहीं सरकारी मीडिया ने तेल की कीमत 400 डॉलर प्रति बैरल तक जाने की चेतावनी दी है।

तनाव गहरा

Kpler का मानना है कि हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को पूरी तरह बंद किए जाने की संभावना बेहद कम है। कारण यह है कि ईरान का सबसे बड़ा ग्राहक चीन है, जो अपनी समुद्री तेल आपूर्ति का 47% इसी क्षेत्र से प्राप्त करता है। साथ ही, ईरान के कुल तेल निर्यात का 96% हिस्सा खार्ग द्वीप के जरिए इसी मार्ग से होता है। खुद के लिए ही यह जलमार्ग बंद करना आत्मघाती कदम होगा।

ईरान ने पिछले दो वर्षों में सऊदी अरब और UAE जैसे देशों से रिश्ते सुधारने की कोशिश की है, और ऐसे में उनके निर्यात को नुकसान पहुंचाना कूटनीतिक आत्मघात जैसा होगा। इसके अलावा, हॉर्मुज़ को बंद करने की स्थिति में अमेरिका और उसके सहयोगियों की सैन्य प्रतिक्रिया लगभग तय मानी जा रही है।

भारत की रणनीति बदली

सुमित रितोलिया कहते हैं कि भारत की रणनीति पिछले दो वर्षों में काफी परिपक्व हुई है। रूस से आने वाला तेल (उराल्स, एस्पो, सोकोल ग्रेड) हॉर्मुज़ से होकर नहीं आता, बल्कि यह स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के रास्ते भारत पहुंचता है। भारतीय रिफाइनर अब भुगतान और प्रसंस्करण के मामले में अधिक लचीले हो गए हैं।

पश्चिम अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और अमेरिका से महंगे विकल्प भी अब रणनीतिक बैकअप के रूप में देखे जा रहे हैं। जून में रूस और अमेरिका से बढ़े आयात इसका प्रमाण हैं।यदि हॉर्मुज़ में संघर्ष गहराता है या आपूर्ति में अल्पकालिक बाधा आती है, तो भारत रूस की ओर और झुक सकता है। इसके अलावा, भारत के पास 9-10 दिन की तेल रणनीतिक भंडारण क्षमता भी है जिससे आपातकाल में कमी को कुछ हद तक संतुलित किया जा सकता है।

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