रास्ते बदले, खतरे बढ़े: वेस्ट एशिया के संकट की कीमत चुका रही हैं भारतीय एयरलाइंस

फिलहाल एयरलाइंस रूट ऑप्टिमाइज़ेशन, फ्यूल हेजिंग और शेड्यूल एडजस्टमेंट जैसे उपाय अपना रही हैं, लेकिन अगर यह संकट लंबा चला और भारतीय एयरलाइंस को लोअर मार्जिन या मार्केट शेयर लॉस को स्वीकार करना पड़ा तो देश की उड्डयन महत्वाकांक्षाएं प्रभावित हो सकती हैं।;

Update: 2025-06-28 02:42 GMT

ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने भारतीय विमानन क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डाला है। ईरान और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से जुड़ी पाबंदियों ने भारतीय एयरलाइनों को मजबूर कर दिया है कि वे अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के मार्गों को बदले, जिससे लागत में भारी वृद्धि हुई है। एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा एयर जैसी प्रमुख भारतीय एयरलाइनों को अब लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है, जिससे ईंधन खर्च और संचालन समय दोनों बढ़ गए हैं।

जून में ईरानी हवाई क्षेत्र के आंशिक बंद होने और अप्रैल से पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र के बंद होने ने भारतीय उड़ानों की योजना को पूरी तरह बदल दिया है। हालांकि ईरान ने औपचारिक रूप से सभी एयरलाइनों के लिए हवाई क्षेत्र बंद नहीं किया है, पर कुछ पश्चिमी या इज़राइल-समर्थक मानी जाने वाली एयरलाइनों को उड़ान की अनुमति नहीं दी जा रही है। भारतीय उड़ानों को इस प्रकार की कोई रोक नहीं मिली है, पर विशेषज्ञों के अनुसार, बीमा कंपनियों और सुरक्षा कारणों से भारतीय एयरलाइंस एहतियातन ईरानी हवाई क्षेत्र से बच रही हैं।

फ्लाइट डाइवर्जन

इस कारण यूरोप और अमेरिका जाने वाली भारतीय उड़ानों की दूरी में सैकड़ों किलोमीटर की वृद्धि हो गई है। एयर इंडिया को यूरोप जाने वाली कई लंबी उड़ानों को वैकल्पिक एयरपोर्ट्स की ओर मोड़ना पड़ा है, जिससे यात्रा समय में 2 घंटे तक की बढ़ोतरी हुई है। इंडिगो ने अपने अल्माटी और ताशकंद की उड़ानों को निलंबित कर दिया है, यह कहते हुए कि ये अब उसकी नैरो-बॉडी फ्लीट की ऑपरेशनल रेंज से बाहर हैं। नुवामा रिसर्च के विश्लेषकों जल ईरानी और तनय कोटेचा ने कहा कि हवाई क्षेत्र पर पाबंदियों से भारतीय एयरलाइंस रणनीतिक रूप से कमजोर स्थिति में हैं — उन्हें या तो कम लाभ स्वीकार करना पड़ रहा है या यात्री खोने का खतरा उठाना पड़ रहा है।

ईंधन की कीमतों में उछाल

इस तनाव का सबसे बड़ा आर्थिक प्रभाव ईंधन की लागत पर पड़ा है। ईरान से सटे हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य, जो दुनिया के 15% तेल की आपूर्ति का रास्ता है, के बंद होने की आशंका है। इससे तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।

इंडिगो और एयर इंडिया की स्थिति

इंडिगो, जो पहले से ही ईंधन की बढ़ती कीमतों को यात्रियों पर पूरी तरह से नहीं डाल पाती, उसकी EBITDAR मार्जिन पहले ही दबाव में रही है। वहीं, एयर इंडिया अपने वाइड-बॉडी फ्लीट की मदद से सेवा बहाल रखने की कोशिश कर रही है, लेकिन लंबी दूरी के कारण पेलोड सीमाएं और क्रू लागत में वृद्धि हो रही है। एयर इंडिया ने प्रभावित यात्रियों को फुल रिफंड और फ्री रीसिड्यूलिंग की पेशकश की है, पर संचालन संबंधी चुनौतियां बरकरार हैं।

अंतरराष्ट्रीय विस्तार पर असर

इंडिगो ने अप्रैल में 31% अंतरराष्ट्रीय यात्री वृद्धि दर्ज की, जबकि सेक्टर की वृद्धि दर 17% थी। कंपनी 2030 तक अपने ASKM में अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी को 40% तक ले जाना चाहती है (जो अभी 30% है)। लेकिन मौजूदा हालात इस रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं। स्पाइसजेट और अकासा एयर जैसी छोटी एयरलाइंस और भी ज्यादा दबाव में हैं। स्पाइसजेट की ASKM में अप्रैल 2025 में 35% की गिरावट आई, और आकासा, जिसकी केवल नैरो-बॉडी फ्लीट है, लंबी उड़ानों को सहन करने में सीमित है।

उच्च लागत का संकट

नुवामा के अनुसार, पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र बंद होने से ही इंडिगो की FY26 EBITDAR पर 1–3% सीधा प्रभाव पड़ा है, जबकि असली नुकसान विकास के अवसरों और प्रतिस्पर्धा के दबाव से कहीं अधिक है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, रूट बदलाव से बढ़ी ईंधन और क्रू लागत से एयरलाइंस को प्रति सप्ताह लगभग ₹77 करोड़, यानी महीने में ₹300 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त खर्च हो रहा है। अप्रैल में इंडस्ट्री की कुल क्षमता (ASKM) 11% बढ़ी, लेकिन यात्री वृद्धि 10% ही रही, जिससे लोड फैक्टर में गिरावट देखी गई। इंडिगो की घरेलू बाजार हिस्सेदारी अप्रैल में 64% तक पहुंच गई, लेकिन अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर दबाव बना हुआ है।

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