भारत में हाई-स्पीड ट्रेडिंग कंपनियाँ इंटर्न्स को दे रही हैं 12 लाख रुपये महीना

एम्सटर्डम स्थित IMC ट्रेडिंग बीवी ने इस साल भारत में इंटर्न्स को 12.5 लाख रुपये प्रतिमाह (लगभग \$14,182) तक की पेशकश की है, जो 2024 की तुलना में तीन गुना है।

Update: 2025-09-19 12:15 GMT
कई कंपनियाँ सर्वश्रेष्ठ दिमागों को पकड़ने के लिए IIT जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों से छात्रों को पढ़ाई पूरी करने से पहले ही इंटर्न के रूप में भर्ती कर रही हैं।

नियामक निगरानी (Regulatory scrutiny) के बावजूद भारत के इक्विटी डेरिवेटिव्स बाज़ार में हाई-स्पीड ट्रेडिंग कंपनियाँ शुरुआती स्तर की नौकरियों के लिए वेतन में बड़ी बढ़ोतरी कर रही हैं। IMC ट्रेडिंग और क्वाडआई (Quadeye) जैसी कंपनियाँ इंटर्न्स और नई भर्तियों को भारी-भरकम पैकेज दे रही हैं, क्योंकि इनमें अपार मुनाफ़े की संभावना है।

सूत्रों के अनुसार, एम्सटर्डम स्थित IMC ट्रेडिंग बीवी ने इस साल भारत में इंटर्न्स को 12.5 लाख रुपये प्रतिमाह (लगभग \$14,182) तक की पेशकश की है, जो 2024 की तुलना में तीन गुना है। वहीं, क्वाडआई (Quadeye), जो भारत में सबसे बड़े रिक्रूटर्स में से एक है, ने नए कर्मचारियों को 7.5 लाख रुपये महीना तक दिया — जो पिछले साल से 50% ज़्यादा है। ग्लासडोर के मुताबिक, भारतीय वित्तीय पेशेवरों का औसत वार्षिक वेतन लगभग 7 लाख रुपये है।

यह भर्ती और आकर्षक पैकेज उस समय जारी हैं जब खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं और इसके चलते डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पिछले साल की तुलना में 40% से अधिक कम हुई है। फिर भी, यह बाज़ार दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट (वॉल्यूम के हिसाब से) है, जहाँ विदेशी फंड्स और प्रोप्रायटरी ट्रेडिंग डेस्क्स ने एल्गोरिद्म का इस्तेमाल करके मार्च 2024 तक 7 अरब डॉलर का सकल मुनाफ़ा कमाया।

भर्ती फर्म एक्विस सर्च के डैनियल वाज़ ने कहा, “लाभकारी ट्रेडर्स की मांग पहले जितनी ही मजबूत है। हमें लगभग हर महीने नए डेस्क स्थापित करने के लिए पूछताछ मिल रही है और शीर्ष स्तर के ट्रेडर्स, क्वांट रिसर्चर्स और ट्रेडिंग सिस्टम इंजीनियरों को आकर्षित करने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है।”

नियामकों की सख़्ती और कंपनियों की रणनीति

वैश्विक दिग्गज और घरेलू कंपनियाँ पीछे हटने के मूड में नहीं हैं, जबकि SEBI बाज़ार पर निगरानी और बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। जुलाई में, नियामक ने जेन स्ट्रीट ग्रुप एलएलसी पर भारत के शेयर और डेरिवेटिव्स बाज़ार में कीमतों को प्रभावित करने का आरोप लगाया और उन्हें अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि, न्यूयॉर्क स्थित कंपनी इन आरोपों को चुनौती दे रही है और आदेश पलटने की कोशिश कर रही है।

भारत में विस्तार की दौड़

एस्टे एडवाइज़र्स और iRage Broking Services LLP जैसी कंपनियों का कहना है कि हालिया घटनाओं से कुछ संभावित ग्राहक सावधान हुए हैं, लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाली कंपनियों की लाइन लगी हुई है।

बेंगलुरु स्थित ऑप्टिमस प्राइम सिक्योरिटीज़ एंड रिसर्च ने हाल ही में अपने HFT (हाई-फ्रिक्वेंसी ट्रेडिंग) ऑपरेशंस को बढ़ाया है।

बिलाखिया ग्रुप भी मिनिक्स होल्डिंग्स के साथ मिलकर इस कारोबार में प्रवेश की योजना बना रहा है।

वहीं, अरबपति केन ग्रिफिन की सिटाडेल सिक्योरिटीज़ ने पिछले महीने भारत में एक ऑप्शंस ट्रेडर नियुक्त किया और अपने गुड़गाँव कार्यालय (2022 से सक्रिय) में और स्टाफ़ जोड़ने की योजना बनाई है।

सिटाडेल और टॉवर रिसर्च भारत के नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX) में अल्पांश हिस्सेदारी खरीद रहे हैं।

प्रतिस्पर्धा और बदलती तकनीक

कई कंपनियाँ सर्वश्रेष्ठ दिमागों को पकड़ने के लिए IIT जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों से छात्रों को पढ़ाई पूरी करने से पहले ही इंटर्न के रूप में भर्ती कर रही हैं। इन कंपनियों के पैकेज अन्य सेक्टर की तुलना में कहीं ज़्यादा हैं।

डेटा के अनुसार, मार्च 2025 तक मूल्य के लिहाज़ से 70% इक्विटी डेरिवेटिव्स ट्रेड एल्गोरिद्म के जरिए किए गए — जो तीन साल पहले 60% थे।

iRage के CEO रजिब बोराह ने कहा, “पहले जो रणनीतियाँ 6 महीने तक काम करती थीं, अब मुश्किल से दो महीने में बदलनी पड़ती हैं। अब और तेज़ी से एडॉप्ट करना पड़ता है। जैसे-जैसे और कंपनियाँ इन मौकों का इस्तेमाल करेंगी, ‘अल्फ़ा डिके’ (यानी किसी रणनीति का मार्केट से आगे निकलने की क्षमता खोना) और तेज़ी से होगा।”

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