SEBI की चूक या साजिश? 25,000 करोड़ रुपए का 'गॉडजिला स्कैम' बेनकाब

व्हिसलब्लोअर मयंक बंसल ने खुलासा किया कि Jane Street ने 2023-24 में भारतीय बाजार में हर दिन हेरफेर कर ₹25,000 करोड़ तक का मुनाफा कमाया।;

Update: 2025-07-16 01:09 GMT

मेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street द्वारा भारतीय शेयर बाजारों में की गई कथित वित्तीय हेरफेर ने देश और दुनिया की वित्तीय मंडलियों में हलचल मचा दी है। The Federal को दिए एक विशेष साक्षात्कार में व्हिसलब्लोअर मयंक बंसल ने खुलासा किया कि कैसे इस फर्म ने भारत के डेरिवेटिव्स और कैश मार्केट में रोजाना के हिसाब से कीमतों को कृत्रिम रूप से प्रभावित किया और 22,500 से 25,000 करोड़ रुपये तक का असामान्य मुनाफा कमाया।

हर दिन चल रही थी हेरफेर

बंसल के अनुसार, उन्हें 2023 के जून-जुलाई से ही Jane Street की ट्रेडिंग गतिविधियों पर संदेह होने लगा था। यह एक दिन का मामला नहीं था, यह हर दिन हो रहा था। एक खास पैटर्न बार-बार सामने आ रहा था इम्प्लायड वोलैटिलिटी (implied volatility), जो ऑप्शन प्राइसिंग का संकेतक होती है।

स्कीम सीधी थी

बड़ी डेरिवेटिव पोजीशन लेना,

फिर कैश मार्केट को नियंत्रित करना, ताकि डेरिवेटिव्स से भारी मुनाफा कमाया जा सके।

भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार गहरा और तरल (liquid) है, जबकि कैश मार्केट तुलनात्मक रूप से कमजोर है—और इसी कमजोरी का फायदा उठाया गया।

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दोहरी रणनीति

बंसल ने बताया कि Jane Street ने दो मुख्य रणनीतियाँ अपनाईं, शांत एक्सपायरी (Quiet Expiry), भारी संख्या में ऑप्शन बेचना ताकि उनकी कीमतें बहुत कम हो जाएं।फिर बाजार को स्थिर बनाए रखना, ताकि वे सस्ते ऑप्शन बेकार हो जाएं और Jane Street को लाभ हो।उग्र एक्सपायरी (Violent Expiry), भारी मात्रा में कॉल ऑप्शन्स खरीदना, जिससे कीमतें बढ़ जाएं।फिर ट्रेडिंग दिन के दूसरे हिस्से में बाजार को जानबूझकर उसी दिशा में धकेलना, जिससे उनकी शर्तें सही साबित हों।बंसल के शब्दों में: "वे सिर्फ भविष्यवाणी नहीं कर रहे थे, बल्कि उसे सच कर रहे थे।"

लगभग हर ट्रेडिंग दिन होता रहा घोटाला

यह साजिश जून 2023 से फरवरी 2024 तक लगभग 90–95% ट्रेडिंग दिनों में चली। फरवरी में SEBI द्वारा चेतावनी पत्र भेजे जाने के बाद थोड़े समय के लिए गतिविधियाँ रुकीं, लेकिन जब Jane Street ने ट्रेडिंग फिर शुरू की, तो हेरफेर भी फिर शुरू हो गया।

रेगुलेटर कहाँ थे?

बंसल ने SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों की बाजार निगरानी प्रणाली को पूरी तरह विफल बताया। "इतने बड़े सौदे रियल-टाइम में ट्रैक होने चाहिए थे," उन्होंने कहा।"अगर Jane Street अपना कारोबार समेटकर मुनाफा विदेश ले जाता, तो हम सिर्फ परछाइयों का पीछा करते रह जाते।"

बंसल ने इसे देश की आर्थिक सुरक्षा पर हमला बताया।

केवल Jane Street शामिल?

"ज़रूरी नहीं," बंसल कहते हैं। "लेकिन Jane Street की गतिविधियाँ सबसे साफ और सबसे प्रभावशाली थीं।"उन्होंने यह भी बताया कि ₹1,000 करोड़ की पूंजी से भी ₹6,000 करोड़ तक के फ्यूचर्स पर नियंत्रण पाया जा सकता है—जो बाजार को हिला देने के लिए काफी है।

क्या SEBI को आपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए?

बिलकुल।बंसल ने SEBI अधिनियम की धारा 24 का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत 10 साल तक की सजा हो सकती है। यह किसी छोटे मोटे फ्रॉड जैसा नहीं, बल्कि एक लंबी अवधि का योजनाबद्ध वित्तीय अपराध थाआर्थिक युद्ध जैसा।"

दूसरे देश भी जोखिम में हैं?

ज़रूर। बंसल ने बताया कि जिन देशों के बाजार कम तरल और कम निगरानी में रहते हैं, जैसे दक्षिण एशिया के देश, वहां यह घोटाला दोहराया जा सकता है।अगर भारत जैसे देश में हो सकता है, तो कहीं भी हो सकता है।"

क्या वैश्विक जवाबदेही ज़रूरी नहीं है?

बिलकुल ज़रूरी है। यह घोटाला किसी क्रिप्टो स्कैम जितना जटिल नहीं था। यह सीधा-सादा मार्केट मैनिपुलेशन था।बंसल ने बताया कि जनवरी 2024 से ही कई बाजार विशेषज्ञों को संदेह हो गया था, लेकिन नियामक संस्थाएँ चूक गईं।

क्या भारतीय निवेशकों के पास कोई कानूनी रास्ता है?

क्लास एक्शन मुकदमे भारत में मुश्किल होते हैं।PIL दायर की जा सकती है, लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया धीमी है और वित्तीय मामलों में तकनीकी जटिलताएँ होती हैं।

बंसल की सलाह, SEBI पर दबाव बनाए रखें। वे न्यायपालिका से ज़्यादा बाजार को समझते हैं।

क्या करियर का डर नहीं लगा?

बिलकुल नहीं।बंसल कहते हैं, “मैं Jane Street के साथ काम करना ही नहीं चाहता था। मैं महीनों इंतजार करता रहा कि SEBI कार्रवाई करे, लेकिन जब उन्होंने नहीं की, तो मुझे बोलना पड़ा। यह कोई बहादुरी नहीं थी यह अंतरात्मा की आवाज़ थी।

घोटाले का कुल अनुमानित मुनाफा

Jane Street ने सिर्फ 2024 में ही ₹22,500 से ₹25,000 करोड़ का मुनाफा कमाया।यह रकम नीरव मोदी, विजय माल्या और केतन पारेख जैसे घोटालों की कुल राशि के बराबर है और यह सब एक ही साल में हुआ। बंसल ने कहा यह स्कैम नहीं, Godzilla Scam है।

यह खुलासा न सिर्फ भारत की नियामकीय प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि वैश्विक पूंजी कैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की नब्ज पकड़कर उन्हें अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करती है। अब देखने वाली बात यह है कि भारत इस चुनौती का कानूनी और नीतिगत स्तर पर कैसे जवाब देता है।

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