पनीर का तमिलनाडु में कोई नामोनिशान नहीं था, फिर आया मिल्की मिस्ट

आज पनीर और अन्य दुग्ध उत्पादों में सफलता की बदौलत कंपनी ₹2,000 करोड़ के IPO की तैयारी में है।;

Update: 2025-04-29 16:47 GMT
मिल्की मिस्ट ने पनीर, जो कि एक उत्तर भारतीय मुख्य आहार है, के इर्द-गिर्द एक सफल ब्रांड खड़ा किया है और दक्षिण भारत में पहले आने का फायदा हासिल किया है। फोटो : Instagram/milkymistdairy

भारत का डेयरी बाजार एक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है — असंगठित क्षेत्र से संगठित संरचना की ओर — जिसमें प्रीमियम उत्पादों पर ध्यान बढ़ता जा रहा है। इस परिवर्तनशील परिदृश्य में, तमिलनाडु की डेयरी ब्रांड मिल्की मिस्ट खुद को एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रही है।

पनीर और वैल्यू-ऐडेड दूध उत्पादों के लिए मशहूर यह कंपनी अगले कुछ हफ्तों में अपना Draft Red Herring Prospectus (DRHP) दाखिल करने जा रही है, और ₹2,000 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है। कंपनी का मूल्यांकन करीब ₹20,000 करोड़ आंका गया है।

मिल्की मिस्ट ने पनीर को मांस या चिकन जैसी संतोषजनक "बाइट और फील" देने की कोशिश की है, ताकि यह शाकाहारियों और फ्लेक्सिटेरियन्स के लिए एक प्रभावी प्रोटीन विकल्प बन सके।

दिलचस्प बात यह है कि तीन दशक पहले तक तमिलनाडु में पनीर लगभग अज्ञात था। ऐसे में मिल्की मिस्ट ने न सिर्फ एक साहसी कदम उठाकर औद्योगिक स्तर पर पनीर बनाना शुरू किया, बल्कि तमिलनाडु के आंतरिक क्षेत्रों से ही इस व्यापार की शुरुआत की।

पहले आने का फायदा

मिल्की मिस्ट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सतीश कुमार, जिन्होंने 1991 में 17 वर्ष की उम्र में यह व्यवसाय शुरू किया था, आज देश की सबसे बड़ी वर्टिकली इंटीग्रेटेड डेयरी कंपनियों में से एक चला रहे हैं।

“हमने बहुत छोटे स्तर से शुरुआत की थी,” कुमार ने The Federal को पेरुंदुरई स्थित हेडक्वार्टर (कोयंबटूर से लगभग 80 किमी दूर) में एक विशेष बातचीत के दौरान बताया।

“पनीर एक उत्तर भारतीय मुख्य आहार है, लेकिन हमने इसे बड़े पैमाने पर बनाया, ब्रांड खड़ा किया, और दक्षिण में पहले आने का फायदा उठाया,” उन्होंने कहा।

कंपनी अब देश के सबसे बड़े पनीर उत्पादन केंद्रों में से एक संचालित करती है, जिसकी दैनिक उत्पादन क्षमता 60,000 किलोग्राम है।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर अब तक ₹2,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया जा चुका है — जिसमें एक एंड-टू-एंड कोल्ड चेन सिस्टम और 100% कंपनी-स्वामित्व वाली लॉजिस्टिक्स शामिल हैं।

पनीर पर विशेष ध्यान

जहां अधिकांश डेयरी कंपनियां तरल दूध की बिक्री पर निर्भर हैं, वहीं मिल्की मिस्ट ने जानबूझकर इस बाजार से दूरी बनाए रखी है।

“दूध तो दूध है,” कुमार कहते हैं। “कोई भी बना सकता है। हम ऐसे उत्पादों पर ध्यान देना चाहते थे जिनमें हम मूल्य जोड़ सकें, जैसे पनीर, चीज़, योगर्ट, आइसक्रीम आदि — जिनमें नवाचार, निरंतरता और गुणवत्ता की आवश्यकता होती है।”

पनीर को लगातार एक जैसी बनावट, चबाने योग्यपन और स्वाद देने के लिए कंपनी ने जर्मन फर्मों के साथ साझेदारी कर मशीनरी और प्रोसेस को कस्टमाइज़ किया है।

“हमारा लक्ष्य है कि पनीर को मांस या चिकन की तरह संतोषजनक महसूस कराया जाए,” कुमार ने कहा।

IPO के ज़रिए मिलने वाला पूंजी विस्तार और बाजार में गहराई लाने में लगाया जाएगा।

“हम हर साल 20–30% की दर से बढ़ रहे हैं,” उन्होंने बताया।

CEO का अनुभव

CEO के रत्नम, जिन्होंने अमूल में दो दशक से अधिक काम करने के बाद मिल्की मिस्ट जॉइन किया, बताते हैं कि दक्षिण भारत में पनीर को लोकप्रिय बनाना आसान नहीं था।

उन्होंने कहा, “1990 के दशक में दक्षिण भारतीय आहार में पनीर virtually unheard of था। हमें उपभोक्ताओं को शिक्षित करने में सालों लग गए। उत्तर भारतीय जानते थे कि पनीर क्या है, लेकिन अन्य लोगों को इससे परिचित कराना पड़ा।”

प्रीमियम उत्पादों की ओर रुख

कंपनी ने अपनी शुरुआत होटल और रेस्टोरेंट (HoReCa) सेक्टर से की थी और फिर रिटेल और मॉडर्न ट्रेड में कदम रखा।

आज मिल्की मिस्ट 20 से अधिक देशों में अपने उत्पाद भेजती है, हालांकि एक्सपोर्ट से केवल 5% राजस्व आता है।

रत्नम कहते हैं, “भारतीय प्रवासी समुदाय, खासकर यूरोप, यूके, सिंगापुर और जीसीसी देशों में, हमारे उत्पादों को पसंद करते हैं।”

प्रीमियम उत्पादों की ओर बढ़ते रुझान को ध्यान में रखते हुए मिल्की मिस्ट ने ग्रीक स्टाइल योगर्ट, प्रोटीन युक्त मिल्कशेक्स और आर्टिज़न चीज़ जैसे उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया है।

“कोविड के बाद से स्वास्थ्य और पोषण पर अधिक ध्यान है,” उन्होंने कहा।

“लोग अब फंक्शनल, साफ-सुथरे लेबल और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों पर अधिक खर्च करने को तैयार हैं।”

स्ट्रैटेजिक साझेदारी और भविष्य की योजनाएं

गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मिल्की मिस्ट ने MilkLane नामक स्टार्टअप के साथ साझेदारी की है, जो किसानों से उच्च गुणवत्ता वाला दूध जुटाता है।

रत्नम ने बताया, “यह सिर्फ आपूर्तिकर्ता-खरीदार का संबंध नहीं है, बल्कि एक गहरी साझेदारी है। सभी प्रीमियम उत्पादों के लिए अच्छा दूध जरूरी है।”

IPO के समय को लेकर कंपनी का नेतृत्व आश्वस्त है। “यह कोई हालिया निर्णय नहीं है,” कुमार ने कहा। “हम इसकी तैयारी लंबे समय से कर रहे थे।”

'भारत ही हमारा मुख्य बाजार है'

कंपनी अब देश के भीतर अपनी पहुंच को और मजबूत करना चाहती है।

“हम 1.4 अरब लोगों वाली उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था हैं। घरेलू मांग को पूरा करना अपने आप में एक विशाल अवसर है,” रत्नम ने कहा।

“एक्सपोर्ट ब्रांड को पहचान दिलाता है, लेकिन भारत ही हमारा कोर मार्केट है।”

क्या मिल्की मिस्ट डैनोन जैसी ग्लोबल ब्रांड बनने की आकांक्षा रखती है?

रत्नम कहते हैं, “यूरोप में जनसंख्या सीमित है, वहां विकास की गति धीमी है। भारत में उपभोग तेजी से बढ़ रहा है।

हम पहले घरेलू अवसरों को पूरा करेंगे — वैश्विक महत्वाकांक्षाएं बाद में पूरी होंगी।”

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