भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में बनी सहमति, जल्द समझौते की उम्मीद
अमेरिका से आई टीम सोमवार रात भारत पहुंची थी और यह मुलाकात लंबे समय बाद आमने-सामने की पहली बातचीत है, जो पिछले कई महीनों से रुकी हुई थी।;
भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में सकारात्मक प्रगति हुई है। दोनों देशों के अधिकारियों ने मंगलवार (16 सितंबर) को हुई बातचीत को ‘सकारात्मक और रचनात्मक’ बताया है। यह वार्ता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के बाद पहली बार हो रही है।
दिल्ली में हुई अहम बैठक
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने दिल्ली में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल से मुलाकात की। इस दौरान द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में आगे के कदमों पर चर्चा की गई।
वाणिज्य मंत्रालय ने की पुष्टि
भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भी वार्ता को सकारात्मक बताया। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार के स्थायी महत्व को ध्यान में रखते हुए, वार्ताएं सकारात्मक और भविष्य की दिशा में अग्रसर रहीं। दोनों पक्षों ने आपसी लाभ वाले व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए प्रयास तेज करने पर सहमति जताई है।
पहली आमने-सामने की वार्ता
सूत्रों के मुताबिक, यह बातचीत वार्ता के छठे दौर के रूप में नहीं, बल्कि एक "पूर्वाभ्यास" के रूप में देखी जा रही है। अमेरिका से आई टीम सोमवार रात भारत पहुंची थी और यह मुलाकात लंबे समय बाद आमने-सामने की पहली बातचीत है, जो पिछले कई महीनों से रुकी हुई थी।
पिछली बातचीत में गतिरोध
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच इससे पहले पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। छठे दौर की बैठक 25 से 29 अगस्त के बीच प्रस्तावित थी, जिसे स्थगित कर दिया गया था। बातचीत में गतिरोध का मुख्य कारण अमेरिका की ओर से भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में अधिक पहुंच की मांग रही, जिसे भारत ने ‘गैर-वार्तनीय’ बताया था।
रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी सख्ती से तनाव
इससे पहले अमेरिका ने भारत के रूसी तेल खरीद पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो 27 अगस्त से लागू हुआ। इसके साथ ही पहले से लागू 25 प्रतिशत शुल्क भी जारी रहा। भारत ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा था कि अमेरिका का यह कदम अन्यायपूर्ण है, जबकि चीन और यूरोपीय संघ आज भी रूस से तेल और गैस का आयात कर रहे हैं।
राजनीतिक बयानबाजी से रिश्तों में आई खटास
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत" करार देना और उनके व्यापार सलाहकार पीटर नवारो द्वारा रूसी तेल को "ब्लड मनी" बताना, दोनों देशों के रिश्तों में और तनाव का कारण बने। इन बयानों ने व्यापार वार्ता को और भी जटिल बना दिया।
संबंधों में दिखी नरमी
हालांकि, हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप के बयान से संकेत मिला है कि अमेरिका संबंधों को सुधारने की दिशा में कदम उठा रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा कि मुझे खुशी है कि भारत और अमेरिका अपने व्यापार अवरोधों को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मुझे प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत का इंतजार है और मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों महान देशों के लिए यह वार्ता सफल होगी।
प्रधानमंत्री मोदी का जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘X’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे व्यापारिक वार्ताएं हमारी साझेदारी की असीम संभावनाओं को खोलेंगी। हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं।
नजरें अब आगामी दौर पर
भारत और अमेरिका ने फरवरी 2025 में व्यापार वार्ता की शुरुआत की थी और इस साल के अंत तक पहले चरण का समझौता करने का लक्ष्य रखा था। अब तक पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं और छठा दौर शीघ्र ही संभावित है। मंगलवार को हुई वार्ता के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही एक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते की घोषणा हो सकती है।