2030 तक 30% EV बिक्री का लक्ष्य खतरे में, नीति आयोग ने बताया क्यों लोग नहीं खरीद रहे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स

नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. जिसमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ट्रांजीशन के लिए स्पष्ट लक्ष्य और समय सीमा के साथ एक स्पष्ट नीति तैयार की जाए.;

Update: 2025-08-06 12:33 GMT

2030 तक देश में जितनी भी गाड़ियां बिके उसमें 30 फीसदी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स होना चाहिए. केंद्र सरकार ये लक्ष्य लेकर चल रही है. लेकिन जिस रफ्तार से मौजूदा समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियां की बिक्री हो रही है उसे देखकर लगता नहीं कि ये लक्ष्य इस अवधि तक हासिल किया जा सकेगा. नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रहम्ण्यम खुद इस बात की तस्दीक कर रह रहे हैं.

200 बिलियन डॉलर का अवसर

नीति आयोग ने Unlocking 200 Billion Dollar Opportunities - Electric Vehicles In India नाम से एक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास 200 डॉलर की ईवी इंडस्ट्री को भूनाने का सुनहरा अवसर है. लेकिन इसे हासिल करने की राह में कई परेशानियां हैं जो इस लक्ष्य को मुश्किल बना रही है. नीति आयोग ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडस्ट्री से जुड़े अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट में बताया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को अपनाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते EV अपनाने की रफ्तार देश में धीमी पड़ गई है.

क्यों EV सेल्स की रफ्तार पड़ी धीमी?

रिपोर्ट में बताया गया कि EV की शुरुआती कीमत ज्यादा होने और बैंक फाइनेंसिंग में दिक्कत के कारण इन्हें खरीदने से लोग हिचक रहे हैं. चार्जिंग की दिक्कत और RWA की मनमानी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के अपनाने की राह में रोड़ा साबित हो रहा है. EV खरीदने में सबसे बड़ी चिंता चार्जिंग की सुविधा को लेकर है. कई अपार्टमेंट और सोसाइटी (RWA/AoA) निजी वाहनों के लिए होम चार्जिंग की अनुमति नहीं देते हैं. सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन या तो पर्याप्त नहीं हैं या फिर भरोसेमंद नहीं हैं. इतना ही नहीं, सार्वजनिक चार्जिंग पर 18% जीएसटी लगता है जबकि घरेलू चार्जिंग पर कोई टैक्स नहीं है, जिससे बाहर चार्ज करना 4 गुना महंगा हो जाता है.

RWA ने बताई अपनी परेशानी

गाजियाबाद में क्रॉसिंग रिपब्लिक GH7 सोसाइटी के प्रेसीडेंट रोहित चौधरी ने द फेडरल देश से बात करते हुए बताया कि, RWA की तरफ से चार्जिंग सुविधा लगाने को लेकर कोई अवरोध नहीं है. लेकिन जो सोसाइटी 15-20 साल पहले तैयार हुई है उसमें चार्जिंग सुविधा लगाने में दिक्कते हैं. पार्किंग एरिया कई बेसमेंट में होती है. उचित तरीके से वायरिंग नहीं होने पर शार्ट सर्किट का खतरा रहता है. इसलिए हाउसिंग सोसाइटी ने कॉमन एरिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग सुविधा बना रखा है.

EV के लिए देशभर में टोल माफ का सुझाव

नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में EV को बढ़ावा देने के लिए देशभर में टोल माफ करने से लेकर परमिट की बाध्यता हटाने को कहा है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इन वाहनों को अपना सके. इनपुट जीएसटी 18 फीसदी और आउटपुट GST के 5 फीसदी के कारण कंपनियों की वर्किंग कैपिटल अटक जाती है. साथ ही, हर राज्य में रोड टैक्स अलग-अलग हैं और कंपनियों को हमेशा टैक्स के बढ़ने का डर सताता रहता है. नीति आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों की मांग है कि रोड टैक्स में बदलाव करने से पहले उन्हें तैयारी का समय दिया जाना चाहिए.

चार्जिंग स्टेशन लगाने की अनुमति की प्रक्रिया तेज हो

ई-बस और ट्रक कंपनियों के लिए कंपनियों ने कहा है कि बड़ी व्यावसायिक गाड़ियों जैसे बस और ट्रक की सरकारी खरीद बढ़े, ताकि मांग में तेजी आए. बैटरी स्वैपिंग नीति बने, जिससे समय की बचत हो. लीजिंग मॉडल को बढ़ावा मिले, जिससे शुरुआती लागत कम हो. टोल छूट मिले और लोन की अवधि 8-10 साल तक बढ़ाई जाए ताकि ये निवेश फायदे का सौदा बने. इसके अलावा कंपनियों ने मांग की है कि चार्जिंग स्टेशन लगाने की अनुमति की प्रक्रिया तेज हो और नई तकनीकों जैसे तेज चार्जिंग और लंबी रेंज पर आधारित वाहनों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाए.

7.6 फीसदी ही बिक रहे EV

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रहम्ण्यम के मुताबिक, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने से रोजगार के अवसर जगेंगे, एनर्जी सिक्योरिटी को सुनिश्चित किया जा सकेगा और क्लीन मोबिलिटी में ग्लोबल लीडरशिप की ओर कदम बढ़ाया जा सकेगा. उन्होंने कहा पीएलआई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव के तहत 10 सालों में OEM को 40000 करोड़ रुपये इंसेंटिव के तौर पर दिया गया है. लेकिन इसके चलते केवल 7.6 फीसदी व्हीकल्स की इलेक्ट्रिक व्हीकल के तौर पर बेचा जा रहा है. ऐसे में इस रफ्तार के चलते 2030 तक 30 फीसदी ईवी बेचने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने ऐसे में ज्यादा इंसेंटिव देने की वकालत की है.

कैसे कम होगा ग्रीन हाउस गैस एमीशन

नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा ने कहा, भारत ने क्लाइमेट चेंज के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए 2030 तक ग्रीन हाउस गैस एमीशन को घटाने और 2070 तक शून्य के लेवल तक लाने का भरोसा दिया है. उन्होंने कहा, क्लाइमेट चेंज में सबसे बड़ा योगदान ट्रांसपोर्ट सेक्टर का रहा है और भारत में फीसदी ग्रीन हाउस गैस में योगदान ट्रांसपोर्ट सेक्टर का है.शहरीकरण और तेज आर्थिक विकास और मोटर व्हीकल के बढ़ते इस्तेमाल के चलते प्रदूषण बढ़ने वाला है. उन्होंने कहा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को अपनाने से एमीशन को घटाने में मदद मिलेगी और शहरों में वायु प्रदूषण को घटाया जा सकेगा.

नीति आयोग की सिफारिश

नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. जिसमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ट्रांजीशन के लिए स्पष्ट लक्ष्य और समय सीमा के साथ एक स्पष्ट नीति तैयार की जाए. एक ऐसा कार्यक्रम तैयार किया जाए जिसमें समयबद्ध तरीके से EV अपनाने के लिए नियम सख्त हों. एक ऐसा प्रोगाम तैयार किया जाए जिसके 5 शहरों को 100% इलेक्ट्रिक बसों, इलेक्ट्रिक पैरा-ट्रांजिट और इलेक्ट्रिक मालवाहक वाहन से लैस हो. ई-ट्रकों और ई-बसों के लिए पूंजी लागत को कम करने करने के लिए ब्लेंडेड फंड तैयार और लागू किया जाए. और अलग-अलग एजेंसियों के बीच समन्वय से जुड़ी समस्याओं का तेजी से हल करने के लिए इंटर मिनिस्ट्री कमिटी का गठन किया जाए. 

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