वित्तीय घाटे को RBI से मिलने वाले डिविडेंड के जरिये कम करेगी सरकार

केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्ष में वित्तीय घाटे को कम करने में जो सफलता पाई है उसके पीछे बड़ा कारण आरबीआई से उसे मिलने वाला डिविडेंड है. FY24 में जीडीपी का 5.87 फीसदी वित्तीय घाटा था लेकिन अब ये घटकर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया जा रहा है.;

Update: 2025-05-24 08:44 GMT
निर्मला सीतारमण और संजय मलहोत्रा ( फाइल फोटो)

RBI Record Dividend Payout: देश के सेंट्रल बैंक और बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बोर्डने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड देने का फैसला किया है. ये आरबीआई की ओर से सरकार को दिया जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा डिविडेंड पेआउट है. इस रिकॉर्ड डिविडेंड देने के फैसले से सरकार की वित्तीय स्थिति तो मजबूत होगी ही साथ में सरकार के खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी. लेकिन सरकार के लिए बड़ी बात ये कि आरबीआई के 2.69 लाख करोड़ के डिविडेंड देने के फैसले से वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान सरकार को अपने राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को बजट अनुमान (Budget Projection) से भी कम रखने में मदद मिल सकती है.

बजट अनुमान से कम रह सकता है Fiscal Deficit

आरबीआई बोर्ड के सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड देने के फैसले पर भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश गए बजट में सरकार ने आरबीआई, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड मिलने का अनुमान जताया था. लेकिन आरबीआई के इस डिविडेंड पेआउट ने बजट अनुमान को भी पीछे छोड़ दिया है. ऐसे में हमें उम्मीद है कि राजकोषीय घाटे को बजट अनुमान 4.4 फीसदी से 20 से 30 बेसिस प्वाइंट कम यानी 4.2 फीसदी तक रखने में मदद मिलेगी जो कि एक अच्छा संकेत है. दूसरा विकल्प ये है कि करीब 70,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करने का सरकार के लिए विकल्प खुल गया है.

बजट की भाषा और बैलेंस शीट की मजबूरी

2025-26 के बजट में सरकार ने 2.56 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड का अनुमान लगाया था लेकिन RBI ने उससे भी ज़्यादा दिया 2.69 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया है. यह 2023-24 के मुकाबले 27% ज्यादा है. यह ‘सरप्लस’ नहीं बल्कि फाइनेंशियल सिस्टम की एक सधी हुई चाल है, जो दिखने में स्थिर है, लेकिन भीतर से कुछ चिंता की लकीरें भी है. राजकोषीय घाटा जो 4.4% पर तय किया गया था वह अब 4.2% तक आ सकता है. इसका सीधा मतलब है कि सरकार यह कह सकती है कि हम अपने लक्ष्य से बेहतर कर रहे हैं.यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि RBI ने डॉलर खरीदे 83-84 पर और बेचे 87-88 पर जिस से उसके खाते में अरबों की कमाई आ गई. यह करेंसी मार्केट का वह गणित है जिसे केवल रिजर्व बैंक समझता है और सरकार इसे इस्तेमाल करती है.

डिविडेंड नहीं, बचाव की मुद्रा

इस भारी-भरकम डिविडेंड के पीछे एक और दिलचस्प कहानी है Contingent Risk Buffer (CRB) की. अगर RBI इसे 6.5% पर ही रखता तो सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड के तौर पर मिल सकते थे. लेकिन उसने इसे 7.5% कर दिया जिसका अर्थ यह है कि आरबीआई ने किसी खतरे को भांपकर एक हिस्सा बचा लिया गया. यह बचाव की मुद्रा बताती है कि रिजर्व बैंक के अंदर एक हल्का भय जरूर है कि वैश्विक और घरेलू परिस्थितियां आने वाले समय में उतनी सरल नहीं रहने वाली है. ऐसे में यह डिविडेंड राहत भी है और चेतावनी भी.

सरकार को मिले डिविडेंड का इतिहास

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड देने की घोषणा की है. जबकि 2023-24 में यह राशि 2.11 लाख करोड़ रुपये थी यानी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले डिविडेंड पेआउट में 27.4% की बढ़ोतरी आई है. 2022-23 में आरबीआई ने 87,416 करोड़ रुपये, कोरोनाकाल के दौरान 2021-22 के लिए 30,000 करोड़ रुपये, 2020-21 में 99,122 करोड़ रुपये, 2019-20 के लिए 57,128 करोड़ रुपये और 2018-19 के लिए 1.76 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड का भुगतान सरकार को किया गया था. 

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