भारत के खिलाफ ट्रंप की नीति: दबाव, राजनीति और ताकत का खेल

US India Trade Dispute: भारत पर टैरिफ का यह अमेरिकी हमला केवल एक आर्थिक कदम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-सामरिक रणनीति भी प्रतीत होता है. अब देखना होगा कि भारत इस दबाव का किस तरह जवाब देता है और यह व्यापार वार्ता किस दिशा में आगे बढ़ती है.;

Update: 2025-07-31 11:47 GMT

Donald Trump India Tariff: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% आयात शुल्क को व्यापारिक कूटनीति में एक रणनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है. यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है, जब भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौता नहीं हो सका.

ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "ट्रूथ सोशल" पर पोस्ट करते हुए कहा कि मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है. अगर वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को साथ लेकर डूबना चाहते हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. भारत के साथ हमारा व्यापार बहुत कम है — उनके टैरिफ दुनिया में सबसे ऊंचे हैं. रूस और अमेरिका के बीच भी व्यापार नाममात्र का ही है. ट्रंप ने यह भी घोषणा की कि 1 अगस्त से भारत से आयात होने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लागू होंगे, साथ ही रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत को एक "पैनल्टी" भी भुगतना पड़ सकता है।

हालांकि, बाद में ट्रंप ने रुख नरम करते हुए संकेत दिया कि अमेरिका अभी भी भारत के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के टैरिफ दुनिया में सबसे ऊंचे हैं, लेकिन अब वे इन्हें काफी हद तक घटाने को तैयार हैं. हम भारत से बात कर रहे हैं — देखेंगे क्या होता है. इस सप्ताह के अंत तक आपको पता चल जाएगा. इस घोषणा के बाद भारतीय व्यापारियों, उद्योगों और शेयर बाजारों में घबराहट का माहौल है. हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोई स्थायी रणनीतिक परिवर्तन नहीं बल्कि व्यापार समझौते के लिए चल रहे दबाव-प्रयोग का हिस्सा है.

ट्रंप की 'प्रेशर पॉलिसी'

ट्रंप द्वारा टैरिफ को एक वार्ताकरण उपकरण (negotiating tool) के रूप में इस्तेमाल करने के संकेत हाल ही में उनके एक प्रशासनिक अधिकारी की टिप्पणी से मिलते हैं. जानकारों का मानना है कि अमेरिका यह जानता है कि कोई दीर्घकालिक व्यापार समझौता, जो द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा प्रभाव डालेगा, दबाव में या जल्दबाज़ी में नहीं किया जा सकता. लगभग एक सप्ताह पूर्व अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने साफ किया था कि ट्रंप प्रशासन व्यापार समझौतों को समय सीमा पूरी करने के लिए जल्दबाज़ी में नहीं करेगा. ट्रंप प्रशासन व्यापार समझौतों की गुणवत्ता को उनकी समयसीमा से अधिक महत्व देता है. हम सिर्फ समझौता करने के लिए समझौता नहीं करेंगे.

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