भारत पर 500% टैरिफ लगा सकता है अमेरिका, सीनेट में बिल मंजूर, रूस से व्यापार करने वाले देश निशाने पर
यह विधेयक, जिसे रिपब्लिकन सीनेटर के अनुसार अब 84 सह-प्रस्तावकों का समर्थन प्राप्त है, का मकसद भारत और चीन जैसे देशों पर दबाव बनाना है ताकि वे रूस से तेल और अन्य वस्तुओं की खरीद बंद करें।;
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे सीनेट बिल को मंज़ूरी दी है, जो रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों पर 500 प्रतिशत आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का प्रस्ताव करता है। इसमें जिनमें भारत और चीन भी शामिल हैं। यह जानकारी रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने रविवार को एक इंटरव्यू में दी।
ग्राहम ने कहा, “यह एक बड़ी उपलब्धि है। यह बिल क्या करता है? अगर आप रूस से उत्पाद खरीद रहे हैं और यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके उत्पादों पर अमेरिका में 500% टैरिफ लगेगा। भारत और चीन पुतिन के तेल का 70% खरीदते हैं। यही उसकी युद्ध मशीन को चलाए रखता है।”
भारत-चीन को दबाव में लाने की कोशिश
ग्राहम के अनुसार, इस बिल को अब 84 सीनेटरों का समर्थन मिल चुका है। इसका उद्देश्य भारत और चीन जैसे देशों पर दबाव बनाना है ताकि वे रूस से तेल और अन्य सामान की खरीद बंद करें, जिससे रूस की युद्ध-आधारित अर्थव्यवस्था कमजोर हो और मॉस्को यूक्रेन में शांति वार्ता के लिए मजबूर हो।
उन्होंने कहा, “मेरे बिल को 84 सह-प्रस्तावक मिल चुके हैं। यह राष्ट्रपति को यह अधिकार देगा कि वह चीन, भारत और अन्य देशों पर टैरिफ लगा सकें ताकि वे पुतिन की युद्ध मशीन का समर्थन बंद करें और उसे वार्ता की मेज़ पर लाया जा सके।”
ग्राहम ने आगे बताया कि हाल ही में गोल्फ खेलते समय ट्रंप ने उनसे कहा,"अब समय आ गया है कि तुम अपना बिल आगे बढ़ाओ।"
बिल की पृष्ठभूमि और विरोध
यह बिल अगस्त में पेश किया जा सकता है, जो अमेरिका की रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। भारत और चीन अब भी पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रियायती दरों पर रूसी तेल खरीद रहे हैं, जिससे वे इस प्रस्तावित कानून के मुख्य निशाने पर आ गए हैं।
यह विधेयक रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल द्वारा मिलकर पेश किया गया है। ग्राहम ने कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रंप को एक मजबूत औजार दे रहे हैं।"
व्हाइट हाउस की दुविधा और बदलाव की मांग
प्रारंभ में यह बिल मार्च में प्रस्तावित हुआ था, लेकिन व्हाइट हाउस ने रूस के साथ संबंधों को पुनः स्थापित करने की कोशिशों के चलते इस पर आपत्ति जताई थी। अब प्रशासन इस विधेयक का समर्थन करने को तैयार दिख रहा है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने सीनेट से आग्रह किया है कि बिल की कठोर भाषा को नरम किया जाए — यानी जहां-जहां "shall" (अनिवार्य) लिखा है, उसे "may" (वैकल्पिक) में बदला जाए।
ग्राहम ने बिल में एक छूट (carve-out) का प्रस्ताव भी दिया है — उन देशों के लिए जो यूक्रेन का समर्थन करते हैं। इसका मकसद अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच संभावित व्यापार युद्ध से बचना है।
हालाँकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने जून के मध्य में एक इंटरव्यू में संकेत दिया था कि वे आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, "प्रतिबंधों की हमें बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।"
यह बयान दर्शाता है कि वे आक्रामक आर्थिक सज़ाओं को लेकर हिचकिचा रहे हैं। हालांकि, विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बाद में स्पष्ट किया कि ऐसे प्रतिबंध यूक्रेन में शांति प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया है।
भारत के लिए संभावित असर
यदि यह कानून पारित होता है, तो अमेरिका का भारत और चीन दोनों के साथ व्यापारिक संबंधों में बड़ी दरार आ सकती है। भारत, जो अमेरिका को एक शीर्ष निर्यात बाजार मानता है, इस प्रस्ताव के चलते आर्थिक और कूटनीतिक रूप से बड़ी मुश्किलों में पड़ सकता है।