क्यों कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन की हुई IMF से विदाई? विवादों से रहा है पुराना नाता

कैबिनेट की नियुक्ति मामलों की समिति ने कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन के तीन साल के कार्यकाल को अचानक बीच में खत्म करते हुए उन्हें वापस बुलाने का फैसला लिया गया है.;

Update: 2025-05-04 06:26 GMT
पूर्व आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन

भारत सरकार ने आईएमएफ में अपने प्रतिनिधि एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और पूर्व आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन (Krishnamurthy V Subramanian) के तीन साल के कार्यकाल को अचानक बीच में खत्म कर उन्हें वापस बुला लिया है. ये फैसला तब लिया गया है जब 9 मई 2025 को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के बोर्ड की अहम बैठक होने वाली है जिसमें भारत आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को किसी भी प्रकार के फाइनेंशियल सपोर्ट का विरोध करने वाला है.

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले जिसमें 28 लोगों की आतंकियों ने हत्या कर दी है और भारत का मानना है कि पाकिस्तान लगातार टेरर फंडिंग को बढ़ावा दे रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है रणनीतिक रूप से अहम वोट के पहले कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन के हटने के बाद इस बैठक में कौन भारत की अगुवाई करेगा.

कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन की अचानक हो गई विदाई

कैबिनेट की नियुक्ति मामलों की समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन के तीन साल के कार्यकाल को अचानक बीच में खत्म करते हुए उन्हें वापस बुलाने का फैसला लिया और इसे लेकर आधिकारिक आदेश 30 अप्रैल 2025 को जारी कर दिया गया. सुब्रमणियन के कार्यकाल को पूरा होने में अभी छह महीने का समय बचा हुआ था. अगस्त 2022 में सुब्रमणियन को आईएमएफ में नियुक्त किया गया था और उन्होंने 1 नवंबर 2022 को उन्होंने अपना कार्यभार संभाला था. साल 2018 से 2021 तक वे भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे थे और वे इस पद को संभालने वाले सबसे युवा व्यक्ति बने थे.

आईएमएफ से सुब्रमणियन के थे मतभेद

पर बड़ा सवाल है कि कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन को उनके कार्यकाल को पूरा होने से पहले क्यों हटाया गया? सरकार की ओर से इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया है लेकिन ये माना जा रहा है कि आईएमएफ के साथ डेटा को लेकर सुब्रमणियन के गहरे मतभेद थे. उन्होंने आईएमएफ के डेटा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे, जो इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के अधिकारियों को पसंद नहीं आया. कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने 2024 में एक किताब लिखा है जिसका शीर्षक है India@100: Envisioning Tomorrow’s Economic Powerhouse जिसमें उन्होंने लिखा है कि भारत 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 55 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है. कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन के आईएमएफ में नियुक्ति से पहले अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला भारत के प्रतिनिधि के तौर पर वहां तैनात थे. सुरजीत भल्ला ने न केवल अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया बल्कि वे दूसरी बार भी नियुक्त किए गए थे. लेकिन सुब्रमणियन की ऐसे विदाई हैरान करने वाला है.

विवादों के रहा है पुराना रिश्ता

पिछले साल अप्रैल 2024 में इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड को भारत के ग्रोथ रेट को लेकर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की ओर दिए गए बयान को लेकर खुद को किनारा कराना पड़ा था. तब भारत दौरे पर आए सुब्रमण्यन ने 28 मार्च 2024 को नई दिल्ली में अपने एक बयान में कहा था कि अगर भारत ने पिछले 10 वर्षों में जो अच्छी नीतियों को लागू किया है उसे ऐसे ही आगे बढ़ाता रहा और रिफॉर्म्स की प्रक्रिया को तेज करता रहा तो साल 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था सालाना 8 फीसदी के दर से विकास करती रहेगी. तब आईएमएफ को कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन के इस बयान से खुद को किनारा करना पड़ा. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रवक्ता जूली कोजैक ने वाशिंगटन में तब कहा था कि,भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर ये आँकड़े और विचार आईएमएफ के नहीं हैं और बल्कि इस संस्था में भारत के प्रतिनिधि के रूप में कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन का ये व्यक्तिगत राय है. 

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