Zoho को नई दिशा: शैलेश डवे और राजेश गणेशन ने बताए भविष्य के प्लान

जोहो का नेतृत्व परिवर्तन सामयिक बदलाव नहीं, बल्कि दीर्घकालीन सोच का हिस्सा है। ग्रामीण भारत से प्रतिभा उठाना, उद्यमों की ज़रूरतों को पूरा करना, उत्पादों में AI को गहराई से शामिल करना और ग्राहकों से जुड़े रहने की नीति – ये सब कंपनी की नई चुनौतियां हैं।

Update: 2025-09-20 17:24 GMT
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दशकों से जोहो (Zoho Corp) के संस्थापक श्रीधर वेंबू के नेतृत्व में कंपनी ने जो पहचान बनाई है, अब वह एक नए चरण में प्रवेश कर रही है। नए सीईओ शैलेश दवे और मैनेजइंजन (ManageEngine) प्रमुख राजेश गणेशन कंपनी को बढ़िया ख़ास रणनीतियों के साथ आगे ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। इन रणनीतियों में बड़े और मध्य स्तर के उद्यमों (enterprises) में विस्तार, ग्रामीण भारत से तकनीकी प्रतिभा को जोड़ना और अपनी उत्पाद श्रृंखला (product suite) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को गहराई से शामिल करना है। साथ ही, ज़ोहो उस स्टार्टअप वाली भावना (startup ethos) को भी बनाये रखना चाहता है, जिसने उसे भारत की कुछ अकथनीय वैश्विक टेक उपलब्धियों में से एक बनाया है।

नेतृत्व का परिवर्तन

शैलेश के अनुसार, श्रीधर वेंबू के सीईओ रहने के 20 सालों से ज़्यादा समय तक ज़ोहो की शुरुआती वृद्धि हुई। अब “अगली पीढ़ी” नेतृत्व संभाल रही है, जो यह दिखाती है कि संगठन में नेतृत्व की गहराई कितनी है। उन्होंने खुद को क्रिकेट की तुलना से समझाया, जहां श्रीधर सेहवाग‑स्टाइल बल्लेबाज़ी करते हैं, वहीं वह राहुल द्रविड़ की तरह हैं — यानी धैर्य, टीम प्रक्रिया पर ज़्यादा ध्यान, गणना‑पूर्वक आगे बढ़ना।

राजेश गणेशन की कहानी और नेतृत्व शैली

राजेश ने इंजीनियर से लेकर मैनेजइंजन के प्रमुख तक का सफर तय किया है। उन्होंने कहा कि कोई एक पल ऐसा नहीं है, जिसने उनका नेतृत्व तय कर दिया हो, बल्कि समय के साथ छोटे‑छोटे अनुभव और अलग‑अलग जिम्मेदारियां निभाने से यह विकसित हुई है। वे “सहानुभूति” (empathy) को नेतृत्व की एक महत्वपूर्ण विशेषता बताते हैं — टीम में दूसरों की सोच, भावना और परिस्थितियों को समझना।

ग्रामीण भारत से टैलेंट का जुड़ाव

ज़ोहो ने शुरुआत से ही उन जगहों को चुना है, जहां प्रतिस्पर्धा कम हो — टियर‑2 और टियर‑3 कॉलेज से लोगों को लिया गया, इंटरव्यू उनकी भाषा में किया गया (हिन्दी, तमिल, तेलुगु, मलयाळम)। ज़ोहो स्कूल जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए, वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को प्रशिक्षण और स्टाइपेंड देकर रोज़गार के अवसर दिए गए। संस्था का मानना है कि शहरों के बाहर भी बहुत प्रतिभा है, लेकिन उसे निखारने की जरूरत है — छोटे‑छोटे प्रोजेक्ट्स से शुरुआत, समीक्षा, फिर बड़े कामों की ओर वृद्धि।

AI का प्रयोग

AI को हाइप से आगे ले जाने का ज़ोहो का लक्ष्य है। निजी जीवन में AI उपयोग हो रहा है, लेकिन व्यापारिक संदर्भ में नियम, सुरक्षा, गोपनीयता (privacy) आदि मुद्दे हैं। ज़ोहो ने आंतरिक कार्यों जैसे कोडिंग, परीक्षण, मार्केटिंग, ग्राहक सेवा में AI का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जिससे 20‑30% की दक्षता (efficiency) बढ़ी है। बड़े उद्यमों (enterprises) में AI लागू करते समय कानूनी, नियामक मानकों की पूर्ति (compliance) की चुनौतियां हैं, जैसे कि EU के AI एक्ट जैसे नवीन नियम।

एकीकृत सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म की भूमिका

ज़ोहो और मैनेजइंजन का दृष्टिकोण है कि ग्राहक को अलग-अलग उत्पादों की झंझट न हो बल्कि एक प्लेटफार्म हो जिसमें बिक्री, विपणन, वित्त, HR आदि सभी काम शामिल हों। “बेहतर फीचर” की तुलना में विविधता (breadth), गहराई (depth), और एकीकरण (integration) ज़्यादा मायने रखते हैं।

वैश्विक संचालन और डेटा संप्रभुता

ज़ोहो ने पहले से ही विभिन्न देशों में लोकल कार्यालय और डेटा सेंटर स्थापित किए हैं, ताकि सॉफ़्टवेयर स्थानीय कानूनों, सुरक्षा मानकों व डेटा गोपनीयता नियमों का पालन कर सके। कंपनी का विश्वास है कि यह मॉडल आने वाले समय में और ज़्यादा महत्वपूर्ण होगा।

आगे की राह

ज़ोहो का मानना है कि भारतीय SaaS उद्योग 2030 तक $50 बिलियन से अधिक का उद्योग बन सकता है। शैलेश दवे का कहना है कि कंपनी “माराथन” की तरह बढ़ेगी, “स्प्रिंट” की तरह नहीं। AI, एजेंट टेक्नोलॉजी जैसे नए क्षेत्रों का परीक्षण शुरू हो गया है। अगले 3‑4 साल ज़ोहो के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे।

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