फर्जी दूतावास: पुलिस को जांच में मिला करोड़ों रुपये के घोटाले का सुराग
आरोपी हर्ष वर्धन जैन के करोड़ों की ठगी, हवाला नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का खुलासा हुआ है. यूपी एसटीएफ सूत्र इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि ये मामला 300 करोड़ रूपये घोटाले का हो सकता है.;
Fake Embassy Racket : गाज़ियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए हर्ष वर्धन जैन के खिलाफ चल रही जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की जांच में सामने आया है कि जैन का संबंध करीब 300 करोड़ रुपये के घोटाले, हवाला नेटवर्क, विदेशी बैंक खातों, और पिछले लगभग 10 सालों में 40 देशों की 162 यात्राओं से जुड़ा हो सकता है।
दूतावास की आड़ में बड़ा रैकेट
STF ने 23 जुलाई को गाज़ियाबाद के कविनगर इलाके में स्थित एक दो मंजिला किराए के बंगले पर छापा मारा था, जिसे "दूतावास" के रूप में पेश किया गया था। यहां से नकली राजनयिक नंबर प्लेट वाली चार गाड़ियाँ, फर्जी दस्तावेज, और लग्ज़री घड़ियाँ बरामद हुईं। बंगले पर "ग्रैंड डची ऑफ वेस्टआर्कटिका" और "H E HV Jain, Honorary Consul" की नेमप्लेट लगी थीं और भारत एवं वेस्टआर्कटिका के झंडे भी लहराए जा रहे थे।
पुलिस का दावा है कि इस नकली दूतावास के ज़रिए जैन विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करता था और इस ऑपरेशन को हवाला के ज़रिए पैसे की हेराफेरी के लिए इस्तेमाल करता था। इस फर्जी दूतावास का संचालन 2017 से किया जा रहा था।
अंतरराष्ट्रीय संपर्क और संदिग्ध साझेदारी
छापे के दौरान बरामद हुई तस्वीरों में हर्ष वर्धन जैन की मुलाकात दिवंगत कथित तांत्रिक चंद्रास्वामी और सऊदी हथियार डीलर अदनान खशोगी से होती दिखाई दी। STF को संदेह है कि जैन ने चंद्रास्वामी के ज़रिए हैदराबाद में जन्मे और अब तुर्की नागरिक एहसान अली सय्यद से संपर्क बनाया था। आरोप है कि सय्यद और जैन ने मिलकर 25 शेल कंपनियां बनाई थीं, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया।
सय्यद ने कथित रूप से स्विट्ज़रलैंड में एक कंपनी चलाई जो 25 मिलियन पाउंड (करीब 300 करोड़ रुपये) की दलाली इकठ्ठा करती थी। बाद में वह लंदन में गिरफ्तार हुआ। अब पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि इस घोटाले में जैन की भूमिका कितनी गहरी थी।
फर्जी राजनयिक पहचान और विदेश यात्राएं
जांच में यह भी सामने आया है कि जैन के पास 12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट थे और वह पिछले 10 वर्षों में लगभग 40 देशों की यात्रा कर चुका है। इनमें यूएई, यूके, मॉरीशस, तुर्किये, फ्रांस, इटली, बुल्गारिया, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, पोलैंड, श्रीलंका और कैमरून जैसे देश शामिल हैं। वह इटली के सेबोर्गा नामक स्वयंघोषित प्रिंसिपलिटी में भी कई बार गया और खुद को वहां का "राजनयिक प्रतिनिधि" बताता रहा।
वेस्टआर्कटिका का पल्ला झाड़ना
जैन खुद को वेस्टआर्कटिका नामक एक सूक्ष्म राष्ट्र (micronation) का राजनयिक बताता था। लेकिन उसकी गिरफ्तारी के बाद वेस्टआर्कटिका ने एक आधिकारिक बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि 2016 में जैन को एक स्वैच्छिक दाता के रूप में शामिल किया गया था और उसे केवल "Honorary Consul to India" की औपचारिक उपाधि दी गई थी। उसे राजदूत (Ambassador) जैसी कोई भूमिका या अधिकार नहीं दिया गया था। संगठन ने जैन की सदस्यता को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया है।
शैक्षणिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि
हर्ष वर्धन जैन एक संपन्न व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने गाज़ियाबाद के एक निजी कॉलेज से BBA और लंदन से MBA की पढ़ाई की है। 2012 में भी वह सेटेलाइट फोन रखने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं।
STF ने जैन की कस्टडी की मांग की है और इस पूरे घोटाले की अंतरराष्ट्रीय लिंक और धन शोधन के नेटवर्क की परतें धीरे-धीरे खोल रही है। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि जैन ने कितने लोगों को इस रैकेट में फंसाया और कितने को ठगा।