शेयर मार्किट और क्रिप्टो करेंसी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के 7 गिरफ्तार

यदि आपको किसी निवेश योजना के नाम पर अनजान व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा जाता है और फिर आपको उसके माध्यम से शेयर मार्किट या क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर कहा जाता है तो सावधान हो जाएँ.

Update: 2024-07-21 09:20 GMT

Stock/Crypto Currency Investment Fraud: यदि आपको किसी निवेश योजना के नाम पर अनजान व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा जाता है और फिर आपको उसके माध्यम से शेयर मार्किट या क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर कहा जाता है तो सावधान हो जाएँ. दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ यूनिट ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो लोगों को क्रिप्टो करेंसी और शेयर मार्किट में निवेश करने की सलाह देने के नाम पर ठग रहे थे.

पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने इसके लिए बाकायदा एक वेबसाइट www.yotemog.com भी तैयार की थी. लोगों से इस वेबसाइट पर खाता खोलने को कहा जाता और फिर इसी के माध्यम से अलग अलग खातों में निवेश की रकम भी दलवाई जाती थी. पुलिस ने इस गिरोह के 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें बैंक कर्मचारी भी शामिल हैं, जो इस गिरोह को फर्जी खातों में रकम डलवाने और निकलवाने में मदद कर रहे थे. इस गिरोह ने हाल ही में एक शख्स से 91 लाख रूपये की ठगी की थी.
आईएफएसओ के डीसीपी डॉ हेमंत तिवारी ने बताया कि सचिन बंसल नामक शख्स ने एक शिकायत दी. जिसमें उन्होंने बताया कि उनके साथ स्टॉक/क्रिप्टो ट्रेडिंग में बढ़िया रिटर्न देने के नाम पर 91 लाख रुपये की धोखाधड़ी हुई है. शिकायतकर्ता को एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया था जिसमें अपराधी स्टॉक की जानकारी दे रहे थे. साइबर क्रिमिनल्स के झांसे में आकर शिकायतकर्ता ने www.yotemog.com पर खाता खोला और 19 अलग-अलग खातों में 91 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. पुलिस ने शुरूआती जांच के बाद, इस शिकायत पर एफआईआर संख्या 287/24, आईपीसी की धारा 419/420/120बी के तहत मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई.

खातों को किया गया फ्रीज
पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान, इसमें शामिल सभी कथित बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया. बैंक खातों की जांच करने पर पाया गया कि गौरव ट्रेडिंग के नाम पर पंजीकृत एसबीआई बैंक के एक खाते में 46 लाख रुपये अब भी मौजूद थे, जिन्हें तुरंत फ्रीज़ कर दिया गया.

फर्जी मेल भेज कर की गयी बैंक खाते को डीफ्रीज करने की कोशिश
जिस खाते को फ्रीज किया गया था, उसके सम्बन्ध में संबंधित बैंक प्रबंधक द्वारा पुलिस को सूचित किया गया कि SBI बैंक को एक ईमेल आया है और कथित खाते को अनफ्रीज करने के लिए जांच अधिकारी के नाम से एक ई-मेल आईडी से एक नोटिस प्राप्त हुआ है. जब इसकी जांच की तो पता चला कि वो ईमेल फर्जी थी. जो जांच अधिकारी की ई-मेल आईडी फर्जी/जाली प्रतीत होती है. ई-मेल आईडी के तकनीकी विश्लेषण पर ये पाया गया कि डी-फ़्रीज़िंग नोटिस प्रोटोन मेल का उपयोग करके भेजा गया था. अपराध की गंभीरता को भांपते हुए, इंस्पेक्टर उदय सिंह के नेतृत्व में एक टीम जिसमे ASI ललित, HC रॉबिन, Ct.सत्यप्रकाश, Ct. दर्शन, Ct. राजन शामिल थे का गठन एसीपी मनोज कुमार की देखरेख में किया गया. टीम को अपराधियों की पहचान करने और पकड़ने का निर्देश दिया गया.

टेक्नीकल सर्विलांस की मदद से किया गया गिरफ्तार
पुलिस टीम ने तकनीकी निगरानी और डिजिटल सबूतों के आधार पर जांच करते हुए आरोपियों की पहचान करते हुए पहले दो लोगों अजय और मोहित को गिरफ्तार किया गया. उनकी निशानदेही पर पुलिस ने एसबीआई बैंक कर्मचारी समेत पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया. इन सभी आरोपियों के पास से 7 मोबाइल फोन, एक कार और धोखाधड़ी से कमाई गयी रकम में से 5.5 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं.

मोडस ओपेरेंडी

पुलिस का दावा है कि आरोपी धोखाधड़ी से कमाई गई राशि को प्राप्त करने और उसे ठिकाने लगाने के लिए बहुत ही पेशेवर और योजनाबद्ध तरीके से काम करते थे. मुख्य साजिशकर्ता दिनेश, बुली उर्फ ​​रोहित और प्रत्यक्ष हैं, वे अपराध के हर पहलू के बारे में साजिश बना रहे थे.

अजय और मोहित, दिनेश और रोहित उर्फ ​​बुली के निर्देश पर काम कर रहे थे. दिनेश और बुली उर्फ ​​रोहित हमेशा बैकग्राउंड में रहते थे, ताकि अगर अन्य साथी गिरफ्तार हो भी जाएँ तो उन्हने पहचानना बहुत मुश्किल हो. दिनेश और बुली उर्फ ​​रोहित अन्य आरोपियों को बैंक खातों की जानकारी मुहैया कराते थे. फर्जी वेबसाइट तैयार करने वाले और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शिकायतकर्ता को धोखा देने वाले जालसाजों को रोहित उर्फ ​​बुली द्वारा गौरव ट्रेडिंग के खाते का क्रेडेंशियल भी प्रदान किया गया था.


आरोपियों का प्रोफाइल
1. आरोपी अजय कुमार निवासी इंद्रा पार्क, पालम कॉलोनी, दिल्ली उम्र 34 साल- ये अलग-अलग बैंकों में जाता था और बैंक अधिकारियों से डील करता था. वो नए व्यक्तियों को नए बैंक खाते खोलने की व्यवस्था करता था और खाली दुकानों की भी व्यवस्था करता था, जिनका उपयोग विभिन्न फर्मों के नाम पर पते के सत्यापन के लिए किया जाता था. नए बैंक खाते खोलने के बाद वो दिनेश, रोहित उर्फ ​​बुली और प्रत्यक्ष को एटीएम कार्ड, चेक-बुक और अन्य दस्तावेज भेजता था.

2. आरोपी मोहित सैनी निवासी ग्राम सुन्दरपुर, कुरूक्षेत्र, हरियाणा उम्र 22 वर्ष - ये अपने साथी अजय कुमार के साथ फील्ड में घूमता था. वो अजय कुमार के साथ मिलकर नए व्यक्तियों को नए बैंक खाते खोलने की व्यवस्था करने का काम कर रहा था. उसने कई बैंक खाते खुलवाए हैं.

3. आरोपी शंकर निवासी संगम पार्क, राणा प्रताप बाग, दिल्ली - अनुबंध आधार पर एसबीआई बैंक कमला नगर, दिल्ली का कर्मचारी था. वो आरोपी व्यक्तियों को बैंक खाते खोलने और सुचारू रूप से चलाने में मदद करता था. वो इस गैंग द्वारा खोले गए करंट अकाउंट को सक्रिय करने के लिए साइट पर सत्यापन करता था. पुलिस का दावा है कि आरोपी शंकर ने मोहित और अजय कुमार के साथ मिलकर एक ही परिसर/दुकान पर कई बैंक खातों का साइट पर सत्यापन किया था. उसने एसबीआई कमला नगर शाखा में 8 खाते खोलने में उनकी मदद की. वो अजय, मोहित, दिनेश और रोहित उर्फ ​​बुली के साथ नियमित संपर्क में था. इस काम के बदले में उसे इस गैंग मोटी रकम मिल रही थी.

4. अभियुक्त प्रत्यक्ष कोशर, निवासी गीता कॉलोनी, दिल्ली उम्र 33 वर्ष - विभिन्न आईओ की ई-मेल आईडी बनाकर और खातों को डीफ्रीज करने के लिए बैंकों को फर्जी/जाली ई-मेल भेजटा था. वो चांदनी चौक में सदानंद ट्रेडिंग के नाम से कपड़े की दुकान भी चला रहा था . पुलिस का कहना है कि प्रत्यक्ष टैक्स बचाने के लिए कर रहा था. उसने आरोपी दिनेश और अन्य साथियों को नकदी भी मुहैया कराई थी.

5. आरोपी मनीष जावला निवासी शालीमार बाग, दिल्ली उम्र 34 वर्ष की वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक स्टील फैक्ट्री है. वो अलग-अलग जांच अधिकारी के नाम से फर्जी ईमेल तैयार करने में आरोपी प्रत्यक्ष और श्रेयांस पंडित के साथ शामिल था.

6. पुलिस का दावा है कि आरोपी श्रेयांस पंडित निवासी रोहिणी, दिल्ली उम्र 26 वर्ष ने ही अलग-अलग जांच अधिकारीयों ( IO ) की फर्जी ईमेल आईडी तैयार की थी और प्रोटोन ई-मेल आईडी के माध्यम से बैंक को ई-मेल भेजा था. वो ही शाखा प्रबंधक से बात करता था और खुद को मामले का जांच अधिकारी बताता था.

7. आरोपी दिनेश निवासी सेक्टर 9 रोहिणी, उम्र 37 वर्ष एक मध्यस्थ के तौर पर काम करता था, जो अपनी वास्तविक पहचान छिपाकर व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से आरोपी अजय, मोहित और शंकर के साथ बातचीत करता था. ये गिरोह का मास्टरमाइंड है, जो अपने सहयोगियों के माध्यम से सभी बैंक खातों का प्रबंधन कर रहा था. वो पहले एफआईआर संख्या 0579/21 U/S 356/379/34 IPC पुलिस स्टेशन प्रशांत विहार में भी शामिल पाया गया है. इससे पहले इसने मॉडल और जिम सेलेब्रिटी के तौर पर काम किया था.

रिकवरी:
1. 7 मोबाइल फ़ोन
2. रु. 5.05 लाख नकद
3. 1 स्कॉर्पियो कार


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