सीबीआई : कोलकाता रेप व हत्या मामला ; पूर्व प्रिंसिपल और पुलिस अधिकारी ने किये साक्ष्य नष्ट !
सीबीआई ने अदालत से डॉ घोष और पुलिस अधिकारी मंडल पर अपराध की जानकारी देरी से मिलने पर देरी से पहुँचने के साथ साथ साक्ष्यों को मिटाने का आरोप भी लगाया है. अदालत ने दोनों को दो दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-09-16 08:26 GMT
RG Kar Medical College : आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई ट्रेनी लेडी डॉक्टर की हत्या के मामले में सीबीआई ने अदालत के सामने पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष को लेकर बड़ा खुलासा किया है. सीबीआई ने अदालत को बताया कि डॉ संदीप घोष ने ट्रेनी डॉक्टर की मौत को आतमहत्या दर्शाने की कोशिश की, जिसकी वजह से कहीं न कहीं रेप और हत्या के इस मामले से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्यों के मिटने की भी आशंका है. मतलब डॉ घोष पर रेप और हत्या जैसे संगीन मामले के सबूत नष्ट करने का आरोप है.
सीबीआई ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में किया था गिरफ्तार
सीबीआई ने डॉ. घोष को पहले सरकारी अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन अब डॉ घोष पर इस जघन्य मामले में साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप है. सीबीआई ने इस मामले में ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया है.
डॉ घोष घटना की जानकारी मिलने के बाद भी देरी से पहुंचा अस्पताल
सीबीआई द्वारा अदालत में पेश किए गए रिमांड नोट के अनुसार, डॉ. घोष को 9 अगस्त की सुबह 9.58 बजे घटना की जानकारी मिली, लेकिन वे तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचे और पुलिस में औपचारिक शिकायत भी दर्ज नहीं कराई. सीबीआई के नोट में कहा गया है कि पीड़िता के शरीर पर बाहरी चोट के निशान होने के बावजूद "आत्महत्या का नया सिद्धांत" पेश किया गया. इस बात की तस्दीक पीड़ित डॉक्टर के माता-पिता ने भी की, जिन्होंने ये बताया कि अस्पताल से आए एक फोन कॉल में उन्हें बताया गया था कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है. सीबीआई ने कहा है कि पीड़िता के बलात्कार और हत्या के बाद डॉ. घोष पुलिस अधिकारी और एक वकील के संपर्क में थे. पूर्व प्रिंसिपल ने पीड़िता के माता-पिता से भी मुलाकात नहीं की, जब वे अपनी बेटी के बलात्कार और हत्या का पता लगाने के लिए अस्पताल आए थे. डॉ. घोष घटना के बाद समय पर चिकित्सा औपचारिकताओं को पूरा करने में विफल रहे और अधीनस्थों से शव को तुरंत मुर्दाघर भेजने के लिए कहा, सीबीआई ने अदालत को बताया.
पुलिस अधिकारी अभिजित मंडल पर ये आरोप
सीबीआई ने रिमांड नोट में पुलिस अधिकारी मंडल के खिलाफ अपने लिखा है कि मंडल को जघन्य अपराध के बाद सुबह 10.03 बजे सूचना मिली, लेकिन वो एक घंटे बाद अस्पताल पहुंचा. सीबीआई ने कहा कि पहली सामान्य डीडी एंट्री में उल्लेख किया गया है कि "आर जी कर एमसीएच के पीजी प्रशिक्षु का शव बेहोशी की हालत में पड़ा मिला" जबकि शव की जांच की गई और पीड़िता मृत पाई गई. एजेंसी ने कहा कि पुलिस अधिकारी अपराध की जघन्य प्रकृति के बावजूद समय पर एफआईआर दर्ज करने में विफल रहा. सीबीआई ने कहा कि अधिकारी अपराध स्थल की घेराबंदी करने में विफल रहा. इसने अपराध स्थल पर अनधिकृत लोगों के प्रवेश को बढ़ावा दिया और महत्वपूर्ण साक्ष्यों को नुकसान पहुंचाया. एजेंसी ने मृत्यु प्रमाण पत्र और शव परीक्षण में देरी के लिए भी पुलिस अधुकारी को जिम्मेदार ठहराया है.
सीबीआई ने रेखांकित किया है कि पुलिस अधिकारी को मामले की जानकारी सुबह 10.03 बजे मिली, लेकिन एफआईआर देर रात दर्ज की गई. यह मुद्दा कलकत्ता उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में बार-बार उठाया गया है.
जल्दबाजी में करवा दिया शव का अंतिम संस्कार
सीबीआई ने दावा किया है कि पुलिस अधिकारी ने परिवार के सदस्यों द्वारा शव परीक्षण को पुन: किये जाने की विशेष मांग को दरकिनार करते हुए शव का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में करवा दिया. एजेंसी ने कहा है कि पुलिस अधिकारी ने सबूतों को नष्ट करने के प्रयास के साथ जांच शुरू की और जब सीबीआई ने उनसे पूछताछ की तो वो सिवाय टाल मटोल के कुछ और नहीं कर रहा है.
कोलकाता की अदालत ने सीबीआई को डॉ. घोष और पुलिस अधिकारी मंडल को दो दिन की हिरासत पर भेज दिया है. मामले की सुनवाई कल होगी.
मंडल के वकील ने ये तर्क दिया
पुलिस अधिकारी मंडल के वकील ने कहा कि पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार करने का कोई आधार नहीं है. "सीबीआई का आरोप है कि देरी हुई. वे ये नहीं कहते कि मैं आरोपी हूं या गवाह. यहां गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है. यह अधिक से अधिक कर्तव्य में कथित लापरवाही का मामला है. इसके लिए विभागीय जांच की जा सकती थी." डॉ. घोष और मंडल बलात्कार-हत्या मामले में सीबीआई की पहली गिरफ़्तारी हैं. उन पर आरोप है कि वे डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा कथित तौर पर मामले को दबाने में शामिल थे. इससे पहले, कोलकाता पुलिस ने अस्पताल में अक्सर आने वाले नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया था. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय एजेंसी ने जांच अपने हाथ में लेने के बाद रॉय की हिरासत सीबीआई को सौंप दी थी.