पोल्लाची यौन शोषण मामला: CBI की गहरी जांच ने दिलाया न्याय, 9 दोषियों को उम्रकैद
CBI investigation Pollachi case: सीबीआई अधिकारी ने बताया कि आरोपी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से डिलीट किए गए वीडियो और ऑडियो फाइलों को रिकवर करने से सफलता मिली।;
Pollachi sexual abuse case: सीबीआई ने 2019 के बहुचर्चित पोल्लाची यौन शोषण मामले को लेकर बड़ा बयान दिया है। एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि यह मामला उतने बड़े स्तर का नहीं था, जितना मीडिया द्वारा बताया गया था। 275 पीड़ितों और 1,100 आपत्तिजनक वीडियो के मिलने की बात को सीबीआई ने "बेबुनियाद मिथक" करार दिया है। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने इस अपराध को बड़े पैमाने पर हुआ बताकर जनता के सामने पेश किया. जबकि हकीकत इससे अलग है.
कोर्ट में 67 आरोप साबित, 9 दोषी करार
सीबीआई की सटीक और गहन जांच के बाद 9 आरोपियों के 67 आरोप अदालत में साबित हुए। डिजिटल सबूतों और वैज्ञानिक जांच की मदद से न्याय की राह आसान बनी। हालांकि, जांच के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक पीड़िता ने पहले मदद करने के बाद अचानक अदालत में बयान देने से इनकार कर दिया, जिससे मामला थोड़ा जटिल हुआ।
CBCID से CBI और न्यायपालिका तक का तालमेल
जांच की शुरुआत CBCID एसपी निशा पार्थिबन की टीम ने की, जिन्होंने आरोपियों से महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए। इसके बाद SP विजय वैष्णवी और इंस्पेक्टर पचियम्मल की अगुवाई में CBI ने गहराई से मामले की तह तक जांच की। डिलीट की गई वीडियो और ऑडियो फाइलों से मिली तारीख, समय और लोकेशन की जानकारी ने सबूतों को और भी पुख्ता बना दिया।
विशेष लोक अभियोजक बी. जीशा ने बताया कि न्यायाधीश आर. नंधिनी देवी ने बेहद संवेदनशील तरीके से कार्यवाही की, जिससे पीड़ितों और गवाहों को निर्भय होकर गवाही देने का माहौल मिला। यह तालमेल पीड़ितों की गोपनीयता सुनिश्चित करने और न्याय दिलाने में अहम रहा।
CBI को आलोचनाओं और बाधाओं का सामना
CBI जब इस केस की जांच में उतरी तो उस पर धीमी प्रगति के आरोप लगे। जनवरी 2020 में एजेंसी ने पीड़िता के भाई पर हुए हमले से जुड़े एक मामले को सबूतों की कमी के चलते बंद करने की कोशिश की, लेकिन कोयंबटूर अदालत ने इस पर आपत्ति जताई और आगे जांच का आदेश दिया। जनवरी 2021 में तीन और आरोपियों की गिरफ्तारी से मामला नए मोड़ पर पहुंचा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब आरोपियों के डिवाइस से डिलीट की गई वीडियो और ऑडियो फाइलें बरामद की गईं, तब जांच में बड़ी सफलता मिली। इन फाइलों में आरोपियों की आवाज के नमूने और सटीक समय-स्थान की जानकारी थी, जिसे वे कभी रिकवर नहीं होने वाला मानते थे।
पीड़ितों का विश्वास जीतना सबसे मुश्किल
CBI ने माना कि पीड़ितों का विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती थी। शुरुआत में कोई भी मीडिया की भारी कवरेज और सामाजिक दबाव के कारण बयान देने को तैयार नहीं था। एजेंसी ने उन्हें साइकोलॉजिकल काउंसलिंग दी और यह सुनिश्चित किया कि उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी प्रभावित न हो।
CBI अधिकारी ने कहा कि पीड़ितों को सुरक्षा का एहसास दिलाना सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन हमने धीरे-धीरे उनका विश्वास हासिल किया। जांच के दौरान 48 गवाहों और 206 दस्तावेजों की मदद से CBI ने एक मजबूत केस तैयार किया। कोर्ट ने कार्यवाही के दौरान पीड़ितों की गोपनीयता सुनिश्चित की।
सबूत इकट्ठा करना चुनौतीपूर्ण
CBI अधिकारियों ने कहा कि कोर्ट में स्वीकार्य सबूत इकट्ठा करना बेहद कठिन कार्य था। एक अधिकारी ने बताया कि इन अपराधों की क्रूरता इतनी ज्यादा थी कि मैं कई रात नहीं सो सका। यह गैंग महिलाओं के खिलाफ अमानवीय यातनाओं में शामिल था। CBI ने सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर वायरल हुए सभी वीडियो हटवाए ताकि पीड़ितों की पहचान उजागर न हो।
कैसे शुरू हुआ शोषण का सिलसिला
CBI के अनुसार, आरोपियों ने प्यार के प्रस्ताव, दोस्ताना पार्टियों या कैजुअल गेट-टुगेदर की आड़ में शोषण की शुरुआत की। युवकों का यह गैंग मानसिक रूप से बेहद विकृत सोच रखता था। उन्हें विश्वास था कि पीड़ित चुप रहेंगी और कभी शिकायत नहीं करेंगी। हालांकि, पहली पीड़िता की बहादुरी ने पूरा मामला बदल दिया। CBI ने उस पीड़िता की हिम्मत की सराहना की और कहा कि यह जीत सिर्फ उसी की है। कोई राजनीतिक दल इसका श्रेय नहीं ले सकता। यह उस पीड़िता की ताकत है, जिसने सब कुछ बदल दिया।