कार ब्लास्ट : परत-दर-परत खुलती आतंक की साजिश, तकनीक और प्रोपेगंडा का घातक कॉकटेल
जांच एजेंसियों के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे हैं जो सिर्फ भारत तक ही नहीं बल्कि, पाकिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान - अफगानिस्तान सीमा तक फैले नेटवर्क की ओर इशारा कर रहे हैं.
By : Abhishek Rawat
Update: 2025-11-11 09:09 GMT
Red Fort Car Blast : दिल्ली के ऐतिहासिक लालकिला के बाहर हुए कार धमाके को अब महज एक आतंकी वारदात नहीं माना जा रहा। जांच एजेंसियों के पास जो जानकारियां सामने आई हैं, वे इशारा करती हैं कि यह हमला एक नए मोडसओपेरंडी ‘हाइब्रिड वारफेयर’ का हिस्सा हो सकता है, जहाँ विस्फोट से ज़्यादा खतरनाक था डिजिटल प्रोपेगंडा रहता है, जिसके माध्यम से कट्टरपंथ ब्रेनवाश कर इस तरह की आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलवाते हैं।
पहली कड़ी: पुलवामा से शुरू हुई कहानी
जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लाल किले के बाहर हुए कार ब्लास्ट के तार फरीदाबाद मोड्यूल से जुड़ते दिख रहे हैं और इस मोड्यूल के तार जम्मू कश्मीर से जुड़े हुए हैं। जाँच की शुरुआती दिशा जम्मू-कश्मीर के तारीक अहमद डार तक पहुँची, जो पुलवामा का निवासी है, जिसने कथित तौर पर i20 कार अपने सहयोगी उमर उर्फ आमिर को सौंपी थी। यही कार सोमवार को लालकिला धमाके में इस्तेमाल हुई। जाँच एजेंसियों का कहना है कि तारिक अहमद से पूछताछ जारी है।
कार का असली मालिक मोहम्मद सलमान (गुरुग्राम) है, जिसने कुछ महीने पहले यह कार बेची थी। सलमान फिलहाल जांच में सहयोग कर रहा है, लेकिन उसकी गवाही से कई अहम कड़ियाँ जुड़ने की उम्मीद है।
फरीदाबाद लिंक: डॉक्टरों की आड़ में हथियार
दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय डॉक्टर आदिल अहमद और मुज़म्मिल शकील की गिरफ्तारी ने जांच को नया मोड़ दिया। फरीदाबाद स्थित अल फलाह अस्पताल में कार्यरत इन दोनों डॉक्टरों की निशानदेही पर 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और हथियार बरामद हुए हैं। एजेंसियां शक कर रही हैं कि अस्पताल का इस्तेमाल कर रासायनिक पदार्थों की तस्करी और आतंकी लॉजिस्टिक्स के लिए किया गया है। इस मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस और फरीदाबाद पुलिस जाँच कर रही हैं. अब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी जाँच में जुट गयी है।
गुजरात से पकड़ा गया जैविक खतरा
वहीँ गुजरात में पकड़ा गया संदिग्ध डॉ. मोहियुद्दीन सैयद ने एक और भयावह योजना का खुलासा किया। गुजरात एटीएस ने उसे रिसिन टॉक्सिन निकालने की कोशिश में पकड़ा, जो एक ऐसा घातक जैविक पदार्थ है, जो मामूली मात्रा में भी सैकड़ों लोगों की जान ले सकता है। यह गिरफ्तारी बताती है कि आतंक का ये नेटवर्क महज ब्लास्ट नहीं बल्कि उससे आगे बढ़कर बायो-टेररिज़्म की दिशा में भी काम कर रहा था।
अंतरराष्ट्रीय तार: कश्मीर में मस्जिद में हुए अन्याय की बात कह कर रची हमले की साजिश !
सूत्रों का कहना है कि ख़ुफ़िया एजेंसियों की जाँच में सामने आया है कि सोशल मीडिया पर धमाके की जिम्मेदारी एक व्हाट्सएप नेटवर्क पर ली गई है, जिसकी पुष्टि की जा रही है। एक चैनल “Khyber Karwan” से पोस्ट किये गए मैसेज में लिखा था कि लश्कर-ए-तैयबा ने यह हमला कश्मीर की मस्जिद में हुए अन्याय का बदला लेने के लिए किया है।
सूत्रों का कहना है कि यह संदेश एक अन्तराष्ट्रीय नंबर +93 70----341 से आया और उससे जुड़ा एक टेलीग्राम चैनल TKD Research भी जांच के दायरे में है। एजेंसियों का मानना है कि ये अकाउंट्स पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर सक्रिय ‘मिलिटेंट-मीडिया नेटवर्क’ का हिस्सा है।
लश्कर का नया ठिकाना: बांग्लादेश !
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद अब बांग्लादेश को भारत-विरोधी गतिविधियों का नया अड्डा बनाने में जुट गया है। उसने वहां से “ग़ज़वा-ए-हिंद” जैसे विचारों को प्रचारित करना शुरू किया है। सूत्र बताते हैं कि सीधे पूर्वी सीमाओं से भारत में प्रवेश की रणनीति का हिस्सा है। हाल ही में हाफिज सईद के करीबी की बांग्लादेश गया था, ऐसी जानकारी सामने आई है।
सोशल मीडिया: ब्रेन वाश
धमाके के 24 घंटे के भीतर सोशल मीडिया पर #DelhiBlast, #RedFortBlast और #CarBlast जैसे हैशटैग छा गए। जांच एजेंसियों की डिजिटल सेंटिमेंट एनालिसिस के अनुसार 74.8% पोस्ट भारत विरोधी या हिंसा का समर्थन करने वाले थे केवल 25% पोस्ट तटस्थ या शांति की अपील करने वाले थे।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ राय नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अभियान था, जिसे डिजिटल आतंकी विस्तार कहा जा सकता है। इतना ही नहीं ये भी बात सामने आ रही है कि सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर ब्रेनवाश का काम भी जारी है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल तमाम तरह से टेलीग्राम चैनल पर निगरानी रखे हुए है।
‘भविष्यवाणी’ वाली पोस्ट ने बढ़ाया संदेह
इस बीच एक चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई — भारत में स्थित एक इंस्टाग्राम यूजर @siva_k_d ने धमाके से एक दिन पहले (9 नवम्बर 2025) अपने ब्लॉग “God’s Divinations” पर “दिल्ली ब्लास्ट” की भविष्यवाणी की थी।
एजेंसियां अब यह जांच कर रही हैं कि यह पोस्ट संयोग थी या किसी आतंकी नेटवर्क को पहले से सूचना थी। फिलहाल यह अकाउंट साइबर मॉनिटरिंग लिस्ट में है।
पाकिस्तान का दुष्प्रचार अभियान
हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान के सैन्य जनसंपर्क विभाग ISPR ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर भारत को दोषी ठहराने वाला नैरेटिव फैलाना शुरू कर दिया। पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर वाजहत काज़मी और Azaad Fact Check जैसे प्लेटफॉर्म्स ने इस हमले को “भारतीय सरकार की राजनीतिक साजिश” करार दिया। भारतीय खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह “इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर” का हिस्सा थी, ताकि असली जिम्मेदारों से ध्यान हटाया जा सके।
खतरे की नई परिभाषा
खुफिया विश्लेषकों का कहना है कि रेड फोर्ट ब्लास्ट ने एक नया पैटर्न उजागर किया है, जिसने ख़ुफ़िया एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। कम तीव्रता, लेकिन उच्च प्रतीकात्मकता वाले हमले, जिनके साथ ऑनलाइन दुष्प्रचार जोड़कर जनता के मनोविज्ञान को प्रभावित किया जाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आतंक अब केवल बम या बंदूक से नहीं, बल्कि शब्दों और सूचनाओं से लड़ा जा रहा है। यह अब दिमागों में लड़ा जा रहा है। लोगों का ब्रेनवाश किया जा रहा है।
आगे की दिशा
भारत ने बांग्लादेश, अफगानिस्तान और कुछ पश्चिमी खुफिया एजेंसियों से इस नेटवर्क के विरुद्ध सहयोग मांगा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अब डिजिटल ट्रेल, बैंकिंग लेनदेन और सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहन जांच शुरू कर दी है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क “स्लीपर सेल्स” और “ऑनलाइन एक्टिवेटर्स” के ज़रिए देश के भीतर और बाहर सक्रिय है। रेड फोर्ट ब्लास्ट की जांच अब सिर्फ एक आपराधिक केस नहीं रही। यह भारत की सुरक्षा के उस नए मोर्चे की झलक है जहाँ आतंक, तकनीक और प्रचार एक साथ मिलकर विनाश का नया तंत्र बना रहे हैं।