सुनने में असमर्थ, दो बेटियों की मां और नौकरीपेशा फिर भी पास की UPSC परीक्षा

सपने कभी उम्र या हालात नहीं देखते, अगर हौसला हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है.;

Update: 2025-06-11 12:54 GMT

ये कहानी है निसा उन्नीराजन की, जो केरल के थिरुवनंतपुरम से हैं. वो एक सुनने में असमर्थ महिला हैं, जिनकी उम्र 40 साल है, दो छोटी बेटियां हैं और वो एक फुल-टाइम सरकारी नौकरी करती हैं. इन तमाम जिम्मेदारियों और चुनौतियों के बावजूद उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 1000वीं रैंक हासिल की और वो भी अपने सातवें प्रयास में.

एक भूला हुआ सपना फिर जगा

निसा एक असिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर के तौर पर केरल के एकाउंटेंट जनरल कार्यालय में काम करती हैं. शादी, बच्चे और नौकरी के बाद उन्होंने अपने पुराने सपने UPSC पास करने को भुला दिया था. लेकिन दूसरी बेटी के जन्म के बाद मैटरनिटी लीव के दौरान कुछ प्रेरणादायक वीडियो देखकर उनका सपना फिर जाग गया. उन्होंने सोचा जिंदगी एक ही बार मिलती है, कोशिश किए बिना मरना क्यों?

सुनने में कठिनाई और समय की कमी, लेकिन हौसला नहीं टूटा

निसा को सुनाई देने में कठिनाई है और हियरिंग एड पहनना भी असहज था. इसलिए वो ऑडियो मटेरियल से पढ़ाई नहीं कर पाती थीं. इसके अलावा नौकरी और परिवार के कारण उनके पास लंबे समय तक बैठकर पढ़ने का समय नहीं था.

उनकी पढ़ाई का तरीका था मिनटों में पढ़ना

वो सफर के दौरान घर के कामों के बीच या रात में पढ़ाई करती थीं. उन्होंने माइक्रो लर्निंग अपनाई यानी 3 से 5 मिनट में छोटे-छोटे टॉपिक्स कवर करना. उनका एक ही नियम था हर दिन अखबार पढ़ना, खासतौर पर संपादकीय और करंट अफेयर्स. उन्होंने न तो रेगुलर आंसर राइटिंग की, न ही ज्यादा मॉक टेस्ट दिए, फिर भी उन्होंने सफलता हासिल की.

परिवार बना ताकत

निसा कहती हैं कि अगर माता-पिता ने बच्चों और घर की जिम्मेदारी नहीं संभाली होती, तो वो इतने प्रयास नहीं कर पातीं. शुरुआत में उनके पति को संदेह था, लेकिन बाद में उन्होंने निसा के जुनून को समझा और साथ दिया. दिमागी ताकत सबसे ज़रूरी है. निसा मानती हैं कि UPSC की तैयारी में मनोबल सबसे अहम होता है. हर दूसरे दिन छोड़ देने का मन करता है. अगर खुद को संभालना नहीं आता, तो आप टूट जाएंगे.

मुख्य परीक्षा (Mains) के दौरान उन्होंने कई पेपर पूरे नहीं कर पाए, जिससे शायद उनकी रैंक और बेहतर हो सकती थी. फिर भी वो खुश हैं कि उन्होंने अपना सपना पूरा किया.

परफेक्ट समय का इंतजार मत करो

निसा कहती हैं अगर आप महिला हैं और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच फंसी हैं, तो भी हार मत मानिए. जो समय और ऊर्जा आपके पास है, उसी में से जितना हो सके कीजिए. बस कभी हार मत मानो. निसा की कहानी हमें सिखाती है उम्र मायने नहीं रखती. हालात कठिन हों तो भी मेहनत और मन की ताकत सबसे ज़्यादा काम आती है. अगर आप में जिद और लगन है, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं.

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