स्कूल में फेल, लेकिन पहले ही प्रयास में Rukmani Riar बनीं UPSC टॉपर
IAS रुक्मणि रियार उन सिविल सर्वेंट्स में से हैं जिन्होंने एक असफलता को अपनी किस्मत का फैसला नहीं बनने दिया.;
एक नाकामी आपकी किस्मत तय नहीं करती. ये बात IAS रुक्मणि रियार ने सच कर दिखाया. कभी छठी कक्षा में फेल होने वाली रुक्मणि ने पहले ही प्रयास में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में AIR 2 हासिल की और देश की सेवा में जुट गईं. रुक्मणि रियार का जन्म पंजाब के होशियारपुर ज़िले में एक संपन्न परिवार में हुआ. उनके पिता बलजिंदर सिंह रियार डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी थे और मां तकदीर कौर एक गृहिणी थीं.
उन्होंने पंजाब के गुरदासपुर से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर सैक्रेड हार्ट स्कूल, डलहौजी में 5वीं से 12वीं तक पढ़ाई की. इसी दौरान छठी कक्षा में वो बोर्डिंग स्कूल के तनाव के चलते फेल हो गईं. ये उनके लिए एक बड़ा झटका था. वो इतनी शर्मिंदा थीं कि 6-7 महीने तक अपने माता-पिता का सामना नहीं कर पाईं. लेकिन इस हार ने ही उनकी सोच बदल दी. उन्होंने शिकायतें छोड़ दीं और पूरी लगन से पढ़ाई में जुट गईं. 12वीं की परीक्षा उन्होंने शानदार अंकों से पास की.
UPSC की तैयारी और सफलता
रुक्मणि ने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से सोशल साइंसेज में ग्रेजुएशन किया और फिर TISS, मुंबई से पोस्टग्रेजुएशन किया, जहां वो गोल्ड मेडलिस्ट रहीं. TISS में पढ़ाई के दौरान ही उन्हें समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली. एक प्रोजेक्ट के दौरान जब वे मुंबई की झुग्गियों में गईं, तो लोगों ने पूछा क्या आप भारत सरकार से हैं? तभी उन्होंने ठान लिया कि वो सिविल सर्विसेज में जाएंगी और समाज की सेवा करेंगी.
तैयारी की रणनीति
NCERT किताबों से बुनियादी तैयारी की
हर विषय के लिए एक ही किताब पर फोकस किया
रोज अखबार पढ़ती थीं और एडिटोरियल सेक्शन पर विशेष ध्यान देती थीं
नियमित रूप से मॉक टेस्ट देती थीं
निबंध लेखन और पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर भी मेहनत की. इन सभी कोशिशों का नतीजा ये रहा कि पहले ही प्रयास में उन्होंने UPSC CSE 2011 में AIR 2 हासिल की.
आज कहां हैं रुक्मणि रियार?
इन दिनों रुक्मणि रियार राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. पदभार संभालते समय उन्होंने समाज सेवा और न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लिया.
प्रेरणा की मिसाल
IAS रुक्मणि रियार की कहानी इस बात का सबूत है कि एक असफलता आपके भविष्य का फैसला नहीं करती. अगर नीयत साफ हो, मेहनत सच्ची हो और हौसला बुलंद हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.