TISS के नए VC की नियुक्ति पर उठे सवाल, आरक्षण नियमों के उल्लंघन का आरोप

उपलब्ध कानूनी मानकों और वैधानिक नियमों के बावजूद बद्री की नियुक्ति विवादों में रही। पारदर्शिता की कमी और समयबद्धता इस प्रक्रिया को और संदेहास्पद बनाते हैं। अगर शिकायतों की जांच छोड़कर उच्च पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं तो लोकतांत्रिक आस्था को चोट पहुंचती है।;

Update: 2025-08-09 08:29 GMT

30 जुलाई को प्रोफेसर बद्री नारायण तिवारी को टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) का उपकुलपति नियुक्त किया गया। लेकिन यह नियुक्ति विवादों की आग में घिरी हुई है। एक सांसद ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि यह नियुक्ति रद्द की जाए। क्योंकि यह वैधानिक नियमों का उल्लंघन है, जिसमें बद्री के खिलाफ नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेज़ (NCBC) में लंबित शिकायत का जिक्र है।

साल 2021 में, जब प्रोफेसर तिवारी गवर्नमेंट बीपी पंत सोशल साइंस इंस्टिट्यूट, प्रयागराज के निदेशक थे, तब दो विध्यार्थियों—मयंक यादव (TISS) और विवेक राज (DU) ने OBC आरक्षण पदों पर नियुक्तियों में अनियमितताओं का आरोप लगाया। उनका आरोप था कि सीनियर फैकल्टी पद OBC उम्मीदवारों के लिए NFS (None Found Suitable) श्रेणी में रिक्त रखे गए, जो नियुक्ति प्रक्रिया में पक्षपात को दर्शाता है।

NCBC की कार्रवाई

8 दिसंबर 2021 को, NCBC ने GBPSSI के निदेशक को जांच की धमकी दी और 23 दिसंबर के लिए बद्री से व्यक्तिगत सुनवाई में प्रस्तुति देने को कहा। शिकायत अब तक लंबित है और कोई निस्तारण रिपोर्ट जारी नहीं की गई है।

सांसद का तेज रुख

RJD सांसद सुधाकर सिंह ने 1 अगस्त को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और फिर 4 अगस्त को राष्ट्रपिता से पत्र लिखकर मांग की कि बद्री की नियुक्ति तुरंत रद्द की जाए। उन्होंने NCBC की बैठक की कार्यवाही का तुरंत विवरण मांगा। सिंह ने कहा कि इस तरह की नियुक्ति प्रतिष्ठित संस्थान की गरिमा का खंडन है।

Vigilance Clearance पर भी सवाल

उपकुलपति नियुक्ति के समय उम्मीदवारों से NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) और Vigilance Clearance मांगा जाता है। विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि लंबित शिकायत वाले प्रोफेसर को यह प्रमाणपत्र कैसे मिल गया—यह कानूनी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा करता है। अगर तथ्य छिपाए गए हों तो यह संवैधानिक और प्रशासनिक अनुचितता हो सकती है।

आखिरी इंटरव्यू दिसंबर 2024 में हुआ था, लेकिन नियुक्ति आदेश, GBPSSI का रिलीविंग लैटर और TISS में चार्ज लेने की प्रक्रिया सभी 30 जुलाई 2025 को एक ही दिन पूरी हुईं। इसे प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी का प्रतीक माना जा रहा है।

चर्चा का विषय

बद्री नारायण तिवारी के विषय पहले दलित, जातिगत अन्याय और सामाजिक इतिहास थे। लेकिन हालिया पुस्तक “Republic of Hindutva: How the Sangh Is Reshaping Indian Democracy” ने उनकी विचारधारा में बदलाव की आंशंका को जन्म दिया है।

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