NEET UG एग्जाम को लेकर बड़े बदलावों की तैयारी, डिजिटल पेपर से होगी परीक्षा
NEET UG पेपर लीक को देखते हुए पूर्व ISRO प्रमुख डॉ. के राधाकृष्णन की अगुवाई में सरकार द्वारा नियुक्त पैनल ने परीक्षा सुरक्षा के लिए कई सुधारों का प्रस्ताव दिया है.
NEET UG multiple phases: पिछले दिनों NEET UG पेपर लीक मामले में देशभर में काफी विवाद हुआ था. छात्रों के रोष को देखते हुए परीक्षा को रद्द कर दिया गया था फिर कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा परीक्षा आयोजित की गई थी. केंद्र सरकार ने भी इस विवाद के बाद पारदर्शी परीक्षा आयोजित करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. जिसने अब कई सुधारों की सिफारिश की हैं.
हाल ही में NEET UG पेपर लीक को देखते हुए पूर्व ISRO प्रमुख डॉ. के राधाकृष्णन की अगुवाई में सरकार द्वारा नियुक्त पैनल ने परीक्षा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई सुधारों का प्रस्ताव दिया है. इन सुझावों में NEET UG को कई चरणों में आयोजित करना, पेपर को डिजिटल रूप से वितरित करना और हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल करना शामिल है.
इन परिवर्तनों का उद्देश्य सुरक्षा जोखिमों को कम करना और भारत की सबसे प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है. 21 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने पूर्व ISRO प्रमुख आर राधाकृष्णन की अगुवाई वाले पैनल से अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त दो सप्ताह का समय मांगा है.
NEET UG के लगभग 20 लाख उम्मीदवारों के बड़े पूल को देखते हुए पैनल ने JEE के समान एक मल्टीलेवल परीक्षा प्रारूप का प्रस्ताव रखा है, जिसमें JEE मेन और एडवांस्ड चरण होते हैं. यह प्रस्तावित दो-चरणीय दृष्टिकोण प्रति सत्र उम्मीदवारों की संख्या को कम करते हुए सुरक्षा प्रोटोकॉल का प्रबंधन करना आसान बना देगा. समिति ने NEET UG प्रयासों की संख्या को सीमित करने का भी सुझाव दिया है. क्योंकि उम्मीदवारों के पास वर्तमान में असीमित रीटेक हैं, जिससे अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होती है. उन्हें उम्मीद है कि इस कदम से पिछले NEET परीक्षाओं में देखी गई तरह की बड़े पैमाने पर अव्यवस्थाओं को रोका जा सकेगा.
हाइब्रिड समाधान
सुरक्षा को और कड़ा करने के लिए पैनल ने हाइब्रिड परीक्षण दृष्टिकोण की सिफारिश की है. पेपर डिजिटल रूप से प्रसारित किए जाएंगे, जो परीक्षा शुरू होने से कुछ समय पहले केंद्रों तक पहुंचेंगे. जबकि, छात्र ओएमआर शीट पर उत्तर लिखेंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे पेपर के माध्यम से गुजरने वाले हाथों की संख्या में काफी कमी आएगी. पिछली बार की घटनाओं को संबोधित करते हुए, जहां कथित तौर पर केंद्रों तक पहुंचने से पहले प्रश्न पत्र एक्सेस किए गए थे.
सीमित आउटसोर्सिंग
वर्तमान में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) परीक्षाओं को संभालने के लिए आउटसोर्स किए गए कर्मचारियों और बाहरी केंद्रों, कभी-कभी निजी स्थानों पर भी निर्भर करती है. पैनल इन थर्ड पार्टी प्रदाताओं पर निर्भरता कम करने और प्रक्रिया पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए इन-हाउस स्टाफ बढ़ाने का सुझाव देता है. इसमें NTA के भीतर अधिक स्थायी भूमिकाएं बनाना शामिल है. एक बदलाव जिसके बारे में पैनल का तर्क है कि यह संचालन को सुव्यवस्थित कर सकता है और समग्र सुरक्षा को मजबूत कर सकता है.
CUT विषयों की समीक्षा
NEET के अलावा पैनल ने केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) की भी जांच की, जिसमें विषय विकल्पों में कमी की सिफारिश की गई. वर्तमान में 50 से अधिक विषय उपलब्ध होने के कारण उम्मीदवार अधिकतम छह परीक्षाएं दे सकते हैं, जिससे प्रश्न सेटों की संख्या और पेपर तैयार करने और वितरित करने में शामिल कर्मियों की संख्या बढ़ जाती है.
पैनल के अनुसार, विषयों को सीमित करने से छात्रों की योग्यता का परीक्षण करते हुए बेहतर सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलेगी. हाल के विवादों के मद्देनजर सरकार और न्यायपालिका ने इन सुधारों के लिए मजबूत समर्थन दिखाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट के लिए अतिरिक्त समय दिया है, जो इस बात का संकेत है कि इन उपायों को कितनी गंभीरता से देखा जा रहा है. बता दें कि राधाकृष्णन पैनल की 22 बार बैठक हुई और उसे 37,000 से अधिक हितधारकों के सुझाव मिले. उसका लक्ष्य एक सुरक्षित और अधिक पारदर्शी परीक्षा प्रणाली बनाना है.