UGC का निर्देश: पाठ्यक्रमों में होंगे बड़े बदलाव

NEP 2020 के तहत शिक्षा को व्यावहारिक और कौशल आधारित बनाने की तैयारी की जा रही है. सभी विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम तुरंत अपडेट करने का आदेश दिया गया है.;

Update: 2025-05-01 18:02 GMT
UGC ने उच्च शिक्षा संस्थानों को तुरंत पाठ्यक्रम संशोधन के निर्देश दिए हैं

भारतीय विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा को ज्यादा व्यावहारिक और कौशल-आधारित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों को अपने पाठ्यक्रमों में तत्काल बदलाव करने का निर्देश दिया है। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत प्रस्तावित शैक्षणिक सुधारों के अनुरूप होंगे।

UGC का कहना है कि अब समय आ गया है कि पारंपरिक रटंत प्रणाली से हटकर शिक्षा को जीवनोपयोगी बनाया जाए। इसके तहत छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन कौशल, व्यावहारिक अनुभव और उद्योग से जुड़ी शिक्षा देने पर ज़ोर रहेगा।

नई दिशा: अनुभव आधारित शिक्षा और कौशल विकास

UGC ने अपने निर्देश में साफ कहा है कि विश्वविद्यालयों को अनुभव आधारित शिक्षण (experiential learning), जीवन कौशल (life skills) और आलोचनात्मक सोच (critical thinking) को अपने कोर्स का हिस्सा बनाना चाहिए। इनका मकसद छात्रों को बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य के लिए तैयार करना है, ताकि वे रोजगार के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

शैक्षणिक ढांचे होंगे मार्गदर्शक

पाठ्यक्रम में बदलाव करते समय UGC ने कई राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक ढांचों का उपयोग करने की सिफारिश की है, जिनमें शामिल हैं:

नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF)

नेशनल हायर एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (NHEQF)

स्नातक और परास्नातक कार्यक्रमों के लिए क्रेडिट आधारित ढांचे

इन ढांचों का उद्देश्य उच्च शिक्षा को बहु-विषयी, लचीला और समावेशी बनाना है।

इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप का समावेश

UGC का निर्देश है कि शिक्षा संस्थान अपने पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और लघु अवधि के कौशल विकास कार्यक्रम भी जोड़ें। इससे छात्रों को शिक्षा के दौरान ही उद्योग से जुड़ने का अवसर मिलेगा और वे बेहतर तरीके से कार्यस्थलों के लिए तैयार हो सकेंगे।

UGC ने शिक्षकों, प्रोफेसरों और विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि वे इन शैक्षणिक सुधारों को अपनाने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएं। इसके साथ ही, उद्योग विशेषज्ञों के साथ मिलकर पाठ्यक्रमों को ज़मीनी हकीकत और पेशेवर जरूरतों के अनुसार ढालने की भी सलाह दी गई है।

समयबद्ध कार्यान्वयन अनिवार्य

UGC का कहना है कि संस्थानों को इन सुधारों को जल्द से जल्द लागू करना होगा। यह न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा, बल्कि छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने में भी सहायक होगा।

इस पहल से भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को छात्र-केंद्रित, नवाचार आधारित और रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।

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