केंद्र सरकार ने खत्म की 'नो डिटेंशन पॉलिसी', अब 5-8वीं में फेल होंगे छात्र तो नहीं मिलेगा प्रमोशन

central government: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, अअसफल हुए छात्रों को दो महीनों में दोबारा से परीक्षा देनी होगी.;

Update: 2024-12-23 12:15 GMT

No Detention Policy: केंद्र सरकार (central government) ने छात्रों और उनके अभिभावकों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने (Union Education Ministry) 'नो डिटेंशन पॉलिसी' (No Detention Policy) को खत्म कर दिया है. इस पॉलिसी के खत्म होने के बाद अब जो छात्र 5वीं कक्षा से लेकर 8वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं और अगर वे फेल हो जाते हैं तो उन्हें अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा. नए नियम के तहत उनको फेल माना जायेगा और उन्हें अगली कक्षा में जाने के लिए दोबारा से परीक्षा पास करनी होगी. हालांकि. केंद्र सरकार (central government) ने यह साफ कर दिया है कि स्कूल ऐसे छात्रों को स्कूल से निष्कासित नहीं कर सकते हैं.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Education Ministry) के अनुसार, अब कक्षा 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को फेल किया जा सकता है. असफल हुए छात्रों को दो महीनों में दोबारा से परीक्षा देनी होगी. लेकिन अगर वे दोबारा भी असफल होते हैं तो उन्हें अगली कक्षा में पदोन्नत नहीं किया जाएगा. सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 'नो डिटेंशन पॉलिसी' (No Detention Policy) को खत्म करने के साथ ही पिछले लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को बदल दिया है. ऐसे में अब साल के अंत में होने वाली परीक्षा पास न करने वाले छात्रों को फेल करने की अनुमति मिल गई है.

अधिकारियों के अनुसार, साल 2019 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) में संशोधन के बाद कम से कम 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही दो कक्षाओं के लिए 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, अगर छात्र वार्षिक परीक्षा पास करने में विफल रहते हैं तो उन्हें अतिरिक्त कोचिंग दी जाएगी और परिणाम के दो महीने के भीतर फिर से परीक्षा देने का अवसर दिया जाएगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि यदि पुन: परीक्षा में बैठने वाला बच्चा फिर से पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है तो उसे पांचवीं कक्षा या आठवीं कक्षा में रोक दिया जाएगा. बच्चे को रोके रखने के दौरान, कक्षा शिक्षक बच्चे के साथ-साथ यदि आवश्यक हो तो बच्चे के माता-पिता का मार्गदर्शन करेगा और मूल्यांकन के विभिन्न चरणों में सीखने के अंतराल की पहचान करने के बाद विशेष इनपुट प्रदान करेगा. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी बच्चे को उसकी शिक्षा पूरी होने तक किसी भी स्कूल द्वारा निष्कासित नहीं किया जा सकता है.

शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह अधिसूचना केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार (central government) द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगी. क्योंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है. इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं. दिल्ली सहित 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही इन दो कक्षाओं के लिए नो-डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसको लेकर फिलहाल हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. जबकि शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नीति को जारी रखने का फैसला किया है.

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