UPSC Success Story: स्कूल से निष्कासित, लेकिन पहले प्रयास में AIR के साथ IPS बना...

UPSC सफलता की कहानी ये IPS अधिकारी एक तेज छात्र नहीं थे और कक्षा 10वीं में 60% से भी कम अंक प्राप्त किए थे.;

Update: 2025-04-17 12:18 GMT

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास करना भारत भर के अनगिनत उम्मीदवारों का सपना है. ये परीक्षा अपनी कठिनाई के लिए प्रसिद्ध है और ये धैर्य, बुद्धिमत्ता और दृढ़ संकल्प का सच्चा परीक्षण होती है. जिन सफलता की कहानियों ने भविष्य के सिविल सर्वेंट्स को प्रेरित किया है, उनमें से IPS अधिकारी आकाश कुलहरी की यात्रा कुछ असाधारण घटनाओं के कारण अलग दिखती है.

राजस्थान के बीकानेर में जन्मे आकाश को उनके स्कूल के दिनों में एक तेज छात्र नहीं माना जाता था. असल में कक्षा 10वीं के बोर्ड परीक्षा में सिर्फ 57% अंक लाने के कारण उन्हें अपनी स्कूल में कक्षा 11वीं में प्रवेश नहीं दिया गया. इस प्रारंभिक विफलता के बावजूद उन्होंने हार मानने का नाम नहीं लिया. उन्होंने केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने अपनी 12वीं की परीक्षा में 85% अंक प्राप्त किए और एक शानदार वापसी की.

कई रिपोर्ट्स के अनुसार आकाश को उनके कम अकादमिक प्रदर्शन के कारण एक बार स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उन्हें हतोत्साहित होने के बजाय उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और दृढ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ UPSC सिविल सेवा परीक्षा को पहले प्रयास में ही पास कर लिया.

आकाश ने अपनी अंडरग्रेजुएट डिग्री कॉमर्स (B.Com) में बीकानेर के दुग्गल कॉलेज से की. इसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए और प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से मास्टर डिग्री (MA) पूरी की. इसके साथ ही उन्होंने M.Phil कार्यक्रम में भी दाखिला लिया और UPSC की तैयारी शुरू की.

उनकी मेहनत का फल 2005 में मिला, जब उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 273वां ऑल इंडिया रैंक (AIR) प्राप्त किया।. वो साल 2006 बैच में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हुए और उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर आवंटित हुआ. सालों से उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और वर्तमान में वो उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक शिकायतों के निरीक्षक जनरल (IG) और पुलिस महानिदेशक (DGP) मुख्यालय के पद पर कार्यरत हैं.

आकाश कुलहरी की कहानी ये साबित करती है कि दृढ़ संकल्प किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है. स्कूल में अस्वीकृत होने से लेकर पुलिस बल में शीर्ष पद पर पहुंचने तक, उनकी यात्रा यह सिखाती है कि प्रारंभिक शैक्षिक संघर्ष किसी के भाग्य को निर्धारित नहीं करते. दृढ़ निश्चय और सही मानसिकता के साथ, सबसे अप्रत्याशित रास्ते भी सफलता की ओर ले जा सकते हैं.

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