Lata Mangeshkar- Jiya Jale गाने को रिकॉर्ड करते समय क्यों फील हुआ था अकेलापन, ये थी असली वजह
गुलजार ने हाल ही में एक इंटरव्यू में रहमान के इस स्टाइल के बारे में बताया.;
ऑस्कर विजेता संगीतकार ए.आर. रहमान अपनी अनोखी और सादगीभरी रिकॉर्डिंग स्टाइल के लिए जाने जाते हैं. वो आमतौर पर शांत और खाली स्टूडियो में अकेले ही काम करते हैं. जहां बहुत कम लोग होते हैं. उनके साथ सिर्फ एक सहायक होता है, जो जरूरत पड़ने पर तारें जोड़ने जैसे छोटे काम करता है. गुलजार ने हाल ही में एक इंटरव्यू में रहमान के इस स्टाइल के बारे में बताया. उन्होंने कहा, अक्सर वो पूरे स्टूडियो में अकेले होते थे. एक बड़ी रिकॉर्डिंग मशीन के साथ बैठकर खुद ही सब कुछ करते थे. मैंने पहले ऐसा तरीका कभी नहीं देखा था. बहुत अकेलापन लगता था वहा.
लता मंगेशकर को क्यों हुआ अकेलापन
जब लता मंगेशकर ने 1998 की फिल्म दिल से के लिए जिया जले गाना रिकॉर्ड किया. तब ये उनका ए.आर. रहमान के साथ पहला काम था. रहमान के स्टूडियो में सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर आमने-सामने नहीं होते. आमतौर पर गाने के समय सामने से इशारों में समझाया जाता है, लेकिन यहा. ऐसा नहीं था. गुलजार ने बताया, उस समय रहमान को हिंदी भी बहुत अच्छी नहीं आती थी. कुछ देर बाद लता जी ने मुझसे कहा, मुझे सामने कोई दिख नहीं रहा, मैं किसके लिए गा रही हूं? बड़ा अजीब लग रहा है. उन्हें किसी की मौजूदगी महसूस नहीं हो रही थी.
गुलजार ने कैसे की मदद
गुलजार ने इस परेशानी का हल निकाला. वो एक स्टूल पर बैठ गए ताकि लता जी उन्हें देख सकें. इससे उन्हें सुकून मिला और उन्होंने आराम से रिकॉर्डिंग पूरी की. दिल से का म्यूजिक भारतीय सिनेमा के सबसे मशहूर साउंडट्रैक्स में शामिल हो गया और जिया जले आज भी लोगों का पसंदीदा गाना है.