समझ से परे हुआ जेब काटता हवाई किराया, बढ़ते बोझ उठते सवाल, यात्री बेहाल

हवाई किराए की गणित इतनी उलझाऊ है कि शायद ही यात्री समझ पाएं। एक यात्री ने इंडिगो पर सवालों की झड़ी लगा दी। लेकिन यह मसला सिर्फ किसी एक एयरलाइन तक नहीं है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-20 03:39 GMT

Airline Fare News: अगर आपने हवाई जहाज से सफर किया हो या करते होंगे तो रॉकेट की रफ्तार से बढ़ते किराए को ना सिर्फ अदा किया होगा बल्कि अदा भी करते होंगे। जब आप सवाल करते होंगे तो जवाब भी मिलता होगा। यह हो सकता है कि वो जवाब आपको पसंद ना आए तार्किक भी ना लगे। लेकिन यदि आपको हवाई यात्रा करनी है तो जेब ढीली करनी ही होगी। यहां सवाल है कि एयरलाइन किराए बढ़ाने की जानकारी नहीं देती है। जब आप अपने टिकट का तरीके से पोस्टमार्टम करते हैं तो आपको तरह तरह के चार्ज दिखाई देंगे। एयरलाइन तर्कों के जरिए अपने वसूली को वैध ठहरा सकते हैं। लेकिन सवाल तो उठते ही हैं। 

आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह सब क्या हो रहा है।  यह बात सच है कि एयरपोर्ट का विकास होना चाहिए। लेकिन सवाल तो यह भी है कि क्या मनमाने तरह से यात्रियों को बिना बताए किराये में चोर दरवाजे से इजाफा करना चाहिए। 

एयर फेयर की उलझाऊ गणित
यह बात आज तक समझ में नहीं आती है कि 1200 किमी का किराया कभी पांच हजार तो कभी 10 हजार तो कभी कभी 15 हजार के पार भी. वैसे तो एयरलाइंस कंपनियों ने इसे डायनमिक एयर फेयर का नाम दिया है। यानी कि जैसे जैसे सीट भरती जाएगी किराया बढ़ता जाएगा। इन सबके बीच एक यूजर ने अपने एक्स अकाउंट पर इंडिगो एयरलाइन के लखनऊ से बेंगलुरू (एक तरफ का) तक के एयर फेयर को साझा किया है.
एयर फेयर का ब्रेक अप कुछ इस तरह है जैसे एयर फेयर चार्ज 7885 रुपए क्यूट चार्ज 50 रुपए, रिजनल कनेक्टिविटी चार्ज 50 रुपए, एविएशन सेक्यूरिटी फी 236 रुपए, यूजर डेवलपमेंट फी 1003 रुपए, उत्तर प्रदेश के लिए जीएसटी 399 रुपए और सीट फी 400 रुपए। इस तरह से लखनऊ से बेंगलुरु तक एक तरफ का किराया बना 10,023 रुपए। श्रेयांश सिंह नाम के यूजर ने किराए के ब्रेक अप के साथ कुछ सवाल भी पूछ डाले।


श्रेयांश का पहला सवाल क्यूट फी को लेकर था। जैसे क्या आप यूजर्स से क्यूट होने के लिए चार्ज करते हैं या इसे आप इस वजह से लेते हैं क्योंकि आपकी जहाज क्यूट है।

दूसरा सवाल यूजर डेवलपमेंट फीस को लेकर था। जब मैं आपके प्लेन में यात्रा करता हूं तो आप उसे डेवलप कैसे करते हैं

तीसरा सवाल एविएशन सेक्यूरिटी फीस को लेकर था। यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए क्या वो सरकार को टैक्स नहीं अदा कर रहे हैं, या सिविल एविएशन विभाग ने आप के व्यापार को सुरक्षा देने के लिए कर्मचारियों को आउटसोर्स किया है। कृप्या आप इस पर अपनी प्रतिक्रिया दें क्योंकि ये तुम लोगों का अब बहुत ज्यादा हो रहा है। 

इंडिगो का जवाब

यात्री के ट्वीट पर इंडिगो ने क्यूट फी को विस्तार से समझाया है, CUTE का मतलब Common User Terminal Equipment charge.इंडिगो का कहना है कि इसमें मेटल डिटेक्टिंग मशीन, एस्केलेटर और दूसरे उपकरण हैं जिनका इस्तेमाल यात्री करते हैं। इंडिगो के इस जवाब पर यात्री ने दोबारा सवाल किया कि क्या यह सब एयरपोर्ट सेक्यूरिटी का हिस्सा नहीं है। क्या मेटर डिटेक्टर सीआईएसफ की संपत्ति नहीं है, यह तो सरकार का संगठन है जिसकी जिम्मेदारी एयरपोर्ट की सुरक्षा करना है। इन औजारों का इस्तेमाल एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। जहां तक उनकी समझ है वो इसके लिए पहले से टैक्स अदा करते हैं। 

सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रिया

पैसेंजर ने एयरफेयर का जो ब्रेक अप दिया है उस पर सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया अलग अलग है मसलन जहां कुछ ने कहा कि अब पेट्रोल पंप पर जिस नोजल के जरिए पेट्रोल दिया जाता है उस पर भी टैक्स देने के लिए तैयार रहिए। कुछ ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि एविएशन सेक्यूरिटी से मिलने वाली 236 रुपए की रकम सीआईएसएफ को दी जाती है। वहीं कुछ ने कहा कि आपको पता होना चाहिए कि दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, गोवा और बेंगलुरु एयरपोर्ट को प्राइवेट कंपनियां संचालित कर रही है। 

सरकार एक तरफ वादा करती है कि हवाई यात्रा को आरामदेह, सुविधाजनक बनाएंगे। यात्रियों को जेब पर बोझ ना पड़े उसका ख्याल भी करेंगे। नागरिक उड्ड मंत्री राम मोहन रेड्डी से इस विषय पर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि एयरलाइन को बिना वजह किराया नहीं बढ़ाना चाहिए। अगर आप एयर फेयर के ब्रेकअप को देखें तो बाकायदा क्यूट, एविएशन चार्ज, सेक्यूरिटी फी तक का जिक्र भी है। लेकिन सवाल तो उठता ही है कि जो शख्स हवाई यात्रा कर रहा है वो टैक्स को अदा कर ही रहा है तो आप किसी शख्स से कितनी दफा टैक्स वसूलेंगे। 

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