BRICS summit: भारत और चीन पर सबकी निगाहें, जानें पीएम मोदी और शी जिनपिंग की बैठक के क्या हैं मायने

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले कुछ सालों से तल्खी बढ़ी है. क्योंकि इसको लेकर दोनों देशों के बीच अभी तक कोई स्थायी हल नहीं निकलता दिख रहा है.

Update: 2024-10-19 01:19 GMT

BRICS summit 2024: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले कुछ सालों से तल्खी बढ़ी है. क्योंकि इसको लेकर दोनों देशों के बीच अभी तक कोई स्थायी हल नहीं निकलता दिख रहा है. इसकी वजह चीन की चालाकी है. वह सीमा पर लद्दाख में सैन्य ठिकानों को मजबूत करने का काम जारी रखे हुए है. इसके अलावा अरुणाचल सीमा पर गांवों को बसाने में बिजी है. हालांकि, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों और एनएसए ने सीमा गतिरोध को हल करने के लिए पिछले कुछ महीनों में मुलाकात की है. लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. हालांकि, बातचीत कुछ हद तक आगे बढ़ी है. लेकिन जमीनी स्तर, कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर कोई समाधान नहीं हुआ है. इसी बीच ब्रिक्स सम्मेलन होने जा रहा है. भारत और चीन दोनों इसके सदस्य हैं. ऐसे में पीएम मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के खबरों के बीच चीनी विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शिखर सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि कर दी है. ऐसे में दुनिया भर की निगाहें पीएम मोदी और शी जिनपिंग के संभावित बैठक पर टिकी है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर तातारस्तान की राजधानी कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22-23 अक्टूबर को रूस की यात्रा करेंगे. बता दें कि इस साल प्रधानमंत्री की यह दूसरी रूस यात्रा होगी. उन्होंने 8-9 जुलाई को द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए मॉस्को का दौरा किया था. वहीं, अपनी इस यात्रा के दौरान मोदी द्वारा ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों और कज़ान में आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की उम्मीद है.

वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग 22 से 24 अक्टूबर तक कज़ान शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान शी नेताओं की बैठक, विशेषज्ञ नेताओं के संवाद और अन्य गतिविधियों में भाग लेंगे और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर नेताओं के साथ गहन विचार-विमर्श करेंगे. जबकि मोदी रूसी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक करने जा रहे हैं. ऐसे में सभी की निगाहें शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी के बीच संभावित द्विपक्षीय बैठक पर टिकी है.

वहीं, इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय 'न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह नेताओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा. शिखर सम्मेलन ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति का आकलन करने और भविष्य के सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करेगा. शिखर सम्मेलन से पहले राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स समूह आने वाले वर्षों में अपने आकार और विकसित पश्चिमी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत तेज़ विकास के कारण वैश्विक आर्थिक विकास का अधिकांश हिस्सा उत्पन्न करेगा.

पुतिन को उम्मीद है कि ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तारित हुआ है. वैश्विक राजनीति और व्यापार में पश्चिम के लिए एक शक्तिशाली प्रतिपक्ष के रूप में विकसित होगा. पुतिन ने मॉस्को में ब्रिक्स व्यापार मंच पर अधिकारियों और व्यापारियों से कहा कि हमारे संघ के देश अनिवार्य रूप से वैश्विक आर्थिक विकास के चालक हैं. निकट भविष्य में ब्रिक्स वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में मुख्य वृद्धि उत्पन्न करेगा.

उन्होंने कहा कि ब्रिक्स सदस्यों की आर्थिक वृद्धि बाहरी प्रभाव या हस्तक्षेप पर कम निर्भर करेगी. यह अनिवार्य रूप से आर्थिक संप्रभुता है. यूक्रेन के साथ ढाई साल के युद्ध के बाद रूसी राष्ट्रपति के लिए यह एक प्रमुख बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन है और वे इसे पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद क्रेमलिन के लिए एक शक्ति क्षण के रूप में पेश कर रहे हैं. पुतिन आर्कटिक सागर मार्ग और उत्तर-से-दक्षिण गलियारे को आगे बढ़ाने के लिए भी उत्सुक हैं, जो रूस को कैस्पियन सागर और ईरान के माध्यम से खाड़ी और हिंद महासागर से जोड़ता है. उन्होंने कहा कि यह यूरेशियन और अफ्रीकी महाद्वीपों के बीच माल परिवहन को बढ़ाने की कुंजी है.

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