क्या इस वजह से CBI के नए निदेशक पर नहीं बनी सहमति?
सीबीआई के नए निदेशक का नाम तय करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, सीजेआई संजीव खन्ना और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच बैठक हुई थी। लेकिन सहमति नहीं बन सकी।;
देश की शीर्ष जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के अगले निदेशक की नियुक्ति को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक अहम बैठक आयोजित हुई। बैठक में भारत के प्रधान न्यायाधीश संजय खन्ना और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए। हालांकि, बैठक में नए सीबीआई प्रमुख के नाम पर कोई आम सहमति नहीं बन सकी। सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में मौजूदा निदेशक प्रवीण सूद का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
नियुक्ति प्रक्रिया
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, जो कि तीन सदस्यीय चयन समिति की सिफारिश पर आधारित होती है। इस समिति में प्रधानमंत्री अध्यक्ष होते हैं, जबकि अन्य दो सदस्य भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होते हैं।
बैठक में नहीं बन पाई सहमति
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों पर विचार जरूर हुआ, परंतु किसी नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई। इसके बाद समिति के सदस्य मौजूदा प्रमुख प्रवीण सूद को एक वर्ष का सेवा विस्तार देने पर सहमत हो गए। सूत्रों के अनुसार, बैठक शाम 6:45 बजे शुरू हुई और 7:30 बजे समाप्त हुई।
राहुल गांधी विस्तार के पक्ष में नहीं?
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बैठक में किस तरह की बातचीत हुई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी सेवा विस्तार के पक्ष में नहीं थे। इसके बावजूद सरकार की ओर से मौजूदा निदेशक को एक साल का विस्तार देने पर जोर दिया गया।
प्रवीण सूद का अब तक का कार्यकाल
प्रवीण सूद कर्नाटक कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने 25 मई 2023 को सीबीआई के निदेशक का पदभार संभाला था। इससे पहले वे कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में कार्यरत थे। उनका मौजूदा कार्यकाल 25 मई 2025 को समाप्त हो रहा है।
सीबीआई जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण संस्थान के शीर्ष पद को लेकर बनी असहमति दर्शाती है कि राजनीतिक और संस्थागत संतुलन बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यदि प्रवीण सूद को सेवा विस्तार मिलता है, तो यह फैसला न केवल संस्थान की निरंतरता को दर्शाएगा, बल्कि राजनीतिक विचारधाराओं के टकराव को भी रेखांकित करेगा।