महुआ मोइत्रा केस को अदालत ने किया बंद, BJP MP निशिकांत दुबे ने हटाई पोस्ट

महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अपने पोस्ट को हटा लिया है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुकदमे को बंद कर दिया।;

Update: 2025-05-14 07:32 GMT
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के संबंध में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। हालांकि उन्होंने पोस्ट को हटा लिया है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर उस अंतरिम याचिका का निपटारा कर दिया है, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्रई की कथित अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ दायर की गई थी।

कोर्ट को सूचित किया गया कि निशिकांत दुबे ने अपने फेसबुक अकाउंट से विवादित पोस्ट को हटा लिया है, जबकि जय अनंत देहाद्रई ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) से संबंधित पोस्ट हटाने का आश्वासन दिया है। न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा ने यह जानकारी दर्ज करते हुए मोइत्रा की अंतरिम याचिका को निरस्त कर दिया।

न्यायालय के 9 मई के आदेश में कहा गया, “प्रतिवादी दुबे ने फेसबुक से पोस्ट पहले ही हटा दी है और देहाद्रई ने एक्स से विवादित पोस्ट हटाने का आश्वासन दिया है। ऐसे में इस अर्जी में मांगी गई राहत अब विचार योग्य नहीं रह गई है। अतः अर्जी का निस्तारण किया जाता है।”

सोशल मीडिया पर हुई थी तीखी शब्दों की जंग

महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्रई ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और मानहानिपूर्ण टिप्पणी की, जिससे उनकी छवि को ठेस पहुंची। उन्होंने कहा कि देहाद्रई द्वारा एक्स पर साझा की गई पोस्ट दुबे की फेसबुक पोस्ट के स्क्रीनशॉट पर आधारित थी और यह पोस्ट एक सीबीआई मामले से जुड़ी थी, जो लोकपाल के समक्ष विचाराधीन है।

दुबे के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि मोइत्रा ने स्वयं सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक भाषा और संकेतों का उपयोग कर भाजपा सांसद को उकसाया था। हालांकि, मोइत्रा के वकील ने यह स्पष्ट किया कि उनके पोस्ट में प्रयुक्त "आपत्तिजनक शब्द" दुबे को संबोधित नहीं था। कोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को रिकॉर्ड में दर्ज किया और मोइत्रा को अपने बयान पर कायम रहने की हिदायत दी।

पृष्ठभूमि: रिश्वत के आरोप और संसद से निष्कासन

यह विवाद 2023 में दायर एक मानहानि याचिका से जुड़ा है, जिसमें महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्रई ने उन पर संसद में सवाल पूछने के एवज में हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेने के झूठे आरोप लगाए। दुबे ने यह भी कहा था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी से लॉगिन आईडी साझा कर प्रश्न पूछने का अवसर दिया।

इस मामले की जांच के बाद लोकसभा की आचार समिति ने महुआ मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी, और 8 दिसंबर 2023 को उन्हें लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था।

मोइत्रा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक साजिश है, जिसका उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना है।

न्यायिक फैसले को मिली-जुली राहत के रूप में देखा जा रहा है

कोर्ट के इस निर्णय को महुआ मोइत्रा के लिए एक आंशिक राहत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि दोनों प्रतिवादियों ने विवादित पोस्ट को हटाने की सहमति जताई है। हालांकि, इस मामले में मुख्य मानहानि याचिका अभी भी लंबित है, जिसकी सुनवाई आगे जारी रहेगी।

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